मॉस्को। रूस और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन संकट का राजनयिक तरीके से हल निकलने की उम्मीद जताई है, तो वहीं दूसरी ओर रूस यूक्रेन पर संभावित आक्रमण की तैयारी करता दिखाई दे रहा है। रूसी सैनिक और साजो-सामान को यूक्रेन के करीब ले जाया जा रहा है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ सोमवार को हुई बैठक में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संकेत दिया कि रूस उन सुरक्षा शिकायतों के बारे में बात करने के लिए तैयार है जिनके कारण यह संकट पैदा हुआ है। लावरोव की इस टिप्पणी को पश्चिमी देशों के लिए राष्ट्रपति पुतिन के संदेश के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही इससे युद्ध टलने का भी संकेत मिला है। हालांकि दूसरी ओर अमेरिका, ब्रिटेन और उनके अन्य सहयोगी देश पहले ही कह चुके हैं कि रूसी सैनिक बुधवार तक यूक्रेन तक पहुंच सकते हैं।
हालांकि रूस यूक्रेन पर आक्रमण की बात से इंकार कर रहा है। रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने कहा है कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस की मांगें ठुकराए जाने के बावजूद रूस को इस मामले पर और बातचीत करनी चाहिए। लावरोव ने कहा कि वार्ताएं अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकतीं, लेकिन मैं इन्हें जारी रखने और व्यापक रूप देने का सुझाव दूंगा।
अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने रूस के इस रुख का स्वागत किया है। व्हाइट हाउस की प्रिंसिपल डिप्टी प्रेस सेक्रेटरी कारीन जीन-पियरे ने कहा कि अगर रूस रचनात्मक वार्ता में शामिल होने का विकल्प चुनता है तो कूटनीति का रास्ता उपलब्ध हैं।
रूस ने अपनी कुछ सैन्य टुकड़ियों को पीछे हटाने की घोषणा की : रूस ने मंगलवार को कहा कि सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले रहीं कुछ सैन्य टुकड़ियां अपने सैन्य अड्डे के लिए लौटने लगी हैं। हालांकि रूस ने वापसी का ब्योरा नहीं दिया है। इससे यह उम्मीद जगी है कि शायद रूस की योजना यूक्रेन पर हमला करने की न हो। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि रूसी रक्षा मंत्रालय ने जिन सैन्य टुकड़ियों के लौटने की बात कही है, वे कहां से लौट रही हैं और उनकी संख्या कितनी है।
यह ऐलान रूसी विदेश मंत्री के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने संकेत दिए थे कि उनका देश उन सुरक्षा संबंधी समस्याओं पर बातचीत जारी रखने के लिए राजी है जिसने यूक्रेन संकट को जन्म दिया। तनाव पैदा होने के हफ्तों बाद रूस के रुख में यह परिवर्तन दिखा। हालांकि, अब भी पश्चिमी देशों के अधिकारी यह चेतावनी देना जारी रखे हुए हैं कि रूस किसी भी क्षण यूक्रेन पर हमला कर सकता है और वह सैन्य साजो सामान सीमा की ओर ले जा रहा है। कुछ तो बुधवार को संभावित हमले का दिन बता रहे हैं।
इस बीच, ब्रसेल्स में नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि अभी तक हमने जमीन पर कोई तनाव नहीं देखा है, ना ही हमें यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों की उपस्थिति में कोई कमी दिखी है। इस ऐलान के बाद विश्व बाजार समेत रूसी मुद्रा रूबल के भाव में उछाल देखने को मिला है। हालांकि, यूक्रेन के नेता रूस की इस घोषणा पर संदेह जता रहे हैं।
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि रूस लगातार कई तरह के बयान दे रहा है। यही वजह है कि हमने नियम बनाया है कि हम सुनी हुई बातों पर विश्वास नहीं करेंगे। हम देखने के बाद विश्वास करेंगे। यूक्रेन की सीमा पर रूस ने 1,30,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिए हैं जिसने हमले की आशंका को जन्म दिया। रूस, यूक्रेन पर हमले की मंशा से इंकार करता रहा है, लेकिन यूक्रेन के पूर्व, उत्तर और दक्षिण में बड़ी संख्या में सैनिक तैनात करके वह पास में ही बड़ा युद्धाभ्यास भी करता रहा है।
आशा की नई किरण के साथ कूटनीतिक घटनाक्रम की झड़ी लग गई है। जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कीव में यूक्रेन के नेताओं से बातचीत करने के एक दिन बाद मास्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की योजना बनाई। उधर, रूस के सबसे कड़े यूरोपीय आलोचकों में से एक पोलैंड के विदेश मंत्री भी रूसी विदेश मंत्री सर्जेई लावरोव से मिलने के लिए मंगलवार को मास्को में थे। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने अपने इतालवी समकक्ष की मेजबानी करके बातचीत की।
दरअसल मास्को गारंटी चाहता है कि नाटो, यूक्रेन और पूर्व सोवियत संघ के अन्य देशों को अपना सदस्य नहीं बनाएगा। वह यह भी चाहता है कि नाटो के सदस्य देश यूक्रेन में हथियारों की तैनाती पर रोक लगाएं और पश्चिमी यूरोप से अपने सैनिक वापस लें।
पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देश रूस को अंतहीन वार्ता में फंसा सकते हैं। पुतिन ने सवाल किया कि क्या अभी भी समझौते पर पहुंचने का अवसर है। लावरोव ने कहा कि उनका मंत्रालय अमेरिका और उसके सहयोगियों को रूस के मुख्य अनुरोधों को दरकिनार करने की अनुमति नहीं देगा। उधर, व्हाइट हाउस की प्रमुख उप प्रेस सचिव कारीन जीन-पियरे ने कहा कि अगर रूस सकारात्मक रूप से बातचीत का विकल्प चुनता है तो कूटनीति का रास्ता उपलब्ध रहेगा।