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Afghanistan Crisis : तालिबान के कब्जे के बाद अफगान नागरिकों को क्रूर शासन की वापसी का डर

हमें फॉलो करें Afghanistan Crisis : तालिबान के कब्जे के बाद अफगान नागरिकों को क्रूर शासन की वापसी का डर
, सोमवार, 16 अगस्त 2021 (11:47 IST)
इस्तांबुल। काबुल की दहलीज पर खड़े तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में शांति के नए युग का वादा किए जाने के बावजूद आम अफगानों के दिलों में क्रूर शासन की वापसी का डर घर करने लगा है। तमाम लोगों को डर है कि तालिबान उन सभी अधिकारों को समाप्त कर देगा जो पिछले करीब दो दशक में कड़ी मशक्कत से महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय ने हासिल किए थे। साथ ही पत्रकारों और गैर-सरकारी संगठनों के काम करने की आजादी पर भी पाबंदी लगाई जा सकती है।

 
तालिबान के रविवार तड़के काबुल पहुंचने के बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें एक ब्यूटी पार्लर का मालिक महिलाओं की तस्वीर वाले पोस्टरों को पेंट कर रहा है। वहीं, युवा जींस और टी-शर्ट बदलकर पारंपरिक सलवार-कमीज पहनने के लिए अपने घरों को भागते दिख रहे हैं।

 
हेरात शहर के एक एनजीओ के साथ काम करने वाली 25 वर्षीय युवती ने कहा कि लड़ाई के चलते वह कई सप्ताह तक घर से नहीं निकली। इस शहर पर पिछले सप्ताह तालिबान ने कब्जा जमा लिया था। हेरात से फोन पर बातचीत में युवती ने कहा कि मैं तालिबानी लड़ाकों का सामना नहीं करना चाहती। उनके बारे में मेरे मन में अच्छा अहसास नहीं है। कोई भी महिलाओं और लड़कियों के बारे में तालिबान के नजरिए को नहीं बदल सकता, वे अब भी चाहते हैं कि महिलाएं घर में ही रहें। मुझे नहीं लगता की मैं बुर्का पहनने के लिए तैयार हूं। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि तालिबान लगातार पत्रकारों को धमकी देने और बंधक बनाने का काम करता है, खासकर ऐसी महिलाओं और पत्रकारों को जो तालिबान की गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं।

 
क्या बोला तालिबान : तालिबान के एक प्रवक्ता एवं वार्ताकार ने रविवार को कहा कि चरमपंथी संगठन अफगानिस्तान में खुली, समावेशी इस्लामी सरकार बनाने के मकसद से वार्ता कर रहा है। सुहैल शाहीन ने तालिबान के कुछ ही दिनों में देश के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेने और राजधानी काबुल में घुस जाने के बाद यह बात कही है, जहां अमेरिका अपने राजनयिकों एवं अन्य असैन्य नागरिकों को वापस बुलाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है। इससे पहले, तालिबान के एक अधिकारी ने कहा था कि संगठन राष्ट्रपति भवन से एक नई सरकार की घोषणा करेगा लेकिन वह योजना फिलहाल टलती दिख रही है।
 
अफगानिस्तान के संकटग्रस्त राष्ट्रपति ने रविवार को देश छोड़ दिया और तालिबान के आगे बढ़ने के बीच भगदड़ में शामिल अपने हजारों साथी नागरिकों एवं विदेशियों के साथ हो गए। यह देश के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से 20 साल के पश्चिमी देशों के प्रयोग के अंत का संकेत था। तालिबान ने पूरी राजधानी में अपने पैर पसार लिए और चरमपंथी संगठन के एक अधिकारी ने कहा कि वह काबुल में राष्ट्रपति भवन से जल्द ही 'इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' के गठन की घोषणा करेगा। यह 9/11 के हमलों के बाद अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा आतंकवादियों को खदेड़ने से पहले तालिबान शासन के तहत देश का नाम था। मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत न होने के कारण अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर ए जानकारियां दी। अल-जजीरा समाचार चैनल ने जो तस्वीरें प्रसारित कीं उनमें तालिबान लड़ाकों का एक समूह राष्ट्रपति भवन के अंदर नजर आ रहा है।
 
अल जजीरा ने जारी किया वीडियो : अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित वीडियो फुटेज के अनुसार यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है। फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' का नाम देने की उम्मीद है। बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है। अमेरिका ने बयान जारी कर कहा- अफगानी और अंतर्राषट्रीय नागरिकों को देश छोड़ने की इजाजत मिलनी चाहिए। इसके लिए सड़क, एयरपोर्ट और सीमाएं खोली जाएं और शांति बरकरार रखी जाए। अफगानिस्तान के लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहते हैं। हम उनकी मदद के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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