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ब्रिक्स में भारत को सफलता, घोषणा-पत्र में पाक के आतंकी संगठन

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श्यामन , सोमवार, 4 सितम्बर 2017 (20:43 IST)
श्यामन। ब्रिक्स देशों ने पहली बार अपने घोषणा-पत्र में क्षेत्र में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाले लश्कर-ए-तोइबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठनों के नाम लिए हैं, जिसे भारत के लिए एक बड़ी राजनयिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है। ब्रिक्स नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, साजिश रचने और सहयोग करने वालों को जवाबदेह ठहराना चाहिए।
 
भारत के लिए बड़ी राजनयिक जीत के घटनाक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिपनींग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति माइकल टेमर और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने इन संगठनों की आतंकी गतिविधियों की कड़ी निंदा की और इस समस्या से मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता जताई।
 
ब्रिक्स नेताओं की बैठक के बाद जारी 43 पृष्ठों के ‘श्यामन घोषणा-पत्र’ को पारित किया गया जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्तान में हिंसा पर तत्काल विराम लगाने की जरूरत है। इसमें कहा गया कि इस संदर्भ में, हम क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति और तालिबान, आईएसआईएस, अलकायदा एवं इसके सहयोगियों द्वारा की जाने वाली हिंसा पर चिंता जाहिर करते हैं।
 
अल कायदा के सहयोगियों में इस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम), इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उजबेकिस्तान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हिज्ब उत-तहरीर शामिल हैं। गौरतलब है कि ईटीआईएम चरीन के शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में सक्रिय है और वह ‘ईस्ट तुर्किस्तान’की स्थापना की मांग कर रहा है।
 
ब्रिक्स देशों के नौवें शिखर सम्मेलन में शामिल नेताओं ने सभी तरह के आतंकवाद और उसके सभी स्वरूपों की भर्त्सना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद की किसी भी गतिविधि को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता।
 
बयान में कहा है कि हम इस पर जोर देते हैं कि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने, साजिश रचने और सहयोग करने वालों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। आतंकवाद से निपटने और इसकी रोकथाम में देशों की प्राथमिक भूमिका एवं जिम्मेदारी को रेखांकित करते हुए समूह ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर बल दिया। इसमें कहा गया कि यह सहयोग देशों की संप्रभु समानता एवं उनके आंतरिक मामलों में बिना दखलअंदाजी के अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप होना चाहिए।
 
अधिकारियों के अनुसार मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा जोरदार ढंग से उठाया और दूसरे नेताओं ने भी उनका समर्थन किया और इस समस्या से लड़ने की इच्छा प्रकट की। विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व: प्रीति सरन ने संवाददाताओं से कहा कि पहली बार आतंकी संगठनों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।’’ पाकिस्तान आधारित संगठनों के नाम घोषणापत्र में शामिल किया जाने का खासा महत्व है क्योंकि यह पाकिस्तान से गतिविधियां संचालित करने वाले आतंकवादी समूहों को लेकर चीन की राय में थोड़ा बदलाव का संकेत है।
 
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि हमने इसका संज्ञान लिया है कि जब पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कदम की बात आती है जो भारत की कुछ चिंताएं हैं। मुझे नहीं लगता है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चर्चा के लिए यह उचित विषय है। 
 
गोवा में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीन ने पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों के नाम घोषणापत्र में शामिल नहीं होने दिया था, जबकि यह सम्मेलन उरी हमले के कुछ सप्ताह के भीतर हुआ था। अब यह देखना होगा कि चीन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित कराने के प्रयास को लेकर क्या रुख अपनाता है।
 
घोषणा-पत्र जारी होने के बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने इस सवाल को टाल दिया कि क्या अजहर के मामले पर चीन के रुख में कोई बदलाव आया है। फिलहाल चीन ने अजहर को आतंकी घोषित कराने संबंधी अमेरिकी प्रस्ताव पर रोक लगा रखी है।
 
 
आतंकवाद पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए प्रीती सरन ने कहा कि आतंकवाद एक ऐसी आपदा है, जिससे संपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मिलकर निपटा जाना चाहिए। मुझे लगता है कि अब यह अहसास बढ़ रहा है कि इस आपदा से निपटने में आप दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते। 
 
उन्होंने कहा कि आप आतंकियों को अच्छे आतंकी और बुरे आतंकी के रूप में नहीं देख सकते। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई एक सामूहिक कार्रवाई है। सरन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर सम्मेलन में सुरक्षा परिषद सुधार की प्रक्रिया तेज करने का मुद्दा उठाया है।
 
ब्रिक्स देशों ने सभी देशों का आह्वान किया कि वे आतंकवाद का मुकाबला करने को लेकर समग्र रुख अपनाएं। इसमें कहा गया, हम सभी देशों से अपील करते हैं कि वे आतंकवाद से निपटने के लिए एक समग्र रुख अपनाएं। इसमें चरमपंथ से निपटना, आतंकियों की भर्ती से निपटना, विदेशी आतंकी लड़ाकों और अन्य आतंकियों के आवागमन से निपटना, उनके वित्तीय स्रोतों को अवरुद्ध करना शामिल है। 
 
इस घोषणा में जिन चुनौतियों का जिक्र किया गया, उनमें हथियारों की आपूर्ति और नशीली दवाओं की तस्करी पर लगाम लगाना, आतंकी ठिकानों को नष्ट करना और आतंकियों द्वारा इंटरनेट , सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर लगाम लगाना आदि शामिल है।
 
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा गया था कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों और एफएटीएफ अंतराष्ट्रीय मानकों के त्वरित और प्रभावी क्रियान्वयन का आह्वान करते हैं। हम वित्तीय कार्रवाई बल (एफएटीएफ) और एफएटीएफ जैसी क्षेत्रीय इकाइयों में अपने सहयोग को बढ़ाने का प्रयास करेंगे। ब्रिक्स ने उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण की भी कड़ी निंदा की।
 
ब्रिक्स ने कहा कि हम कोरियाई प्रायद्वीप में चल रहे तनाव और लंबे समय से चले आ रहे परमाणु हथियारों के मुद्दे पर गहरी चिंता जताते हैं। हम जोर देते हैं कि इसका समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से होना चाहिए। इस मुद्दे को सभी संबंधित पक्षों के बीच सीधी बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए। ब्रिक्स खुफिया बैंक की स्थापना करने के ब्राजील के प्रस्ताव भी इस घोषणा-पत्र में संज्ञान लिया गया है। (भाषा)

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