वाशिंगटन। अमेरिका की एक संघीय अदालत ने तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर के उस प्रस्तावित नियम को रद्द कर दिया है, जिसके तहत एच-1बी वीजा चयन के लिए वर्तमान लॉटरी प्रणाली की जगह वेतन स्तर पर आधारित चयन प्रक्रिया को लागू किया जाना था। नियम रद्द होने से हजारों भारतीयों को फायदा होगा।
कैलिफोर्निया के उत्तरी जिले के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय के न्यायाधीश जेफरी एस व्हाइट ने ट्रंप युग के एच-1बी सीमा चयन नियमन इस आधार पर खारिज कर दिया कि जब नियमन को लाया गया, तब तत्कालीन कार्यवाहक होमलैंड सुरक्षा सचिव चाड वुल्फ उस समय कानूनी रूप से सेवा नहीं कर रहे थे।
एच1बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जिसकी मदद से अमेरिकी कंपनियां सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत वाले विशिष्ट पेशों में विदेशी कर्मियों को नौकरियों पर रखती हैं। आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों लोगों को नियुक्त करने के लिए इस वीजा पर निर्भर करती है।
हर साल जारी किए जाने वाले एच-1बी वीजा की संख्या 65,000 तक सीमित है, साथ ही उच्च डिग्री वाले व्यक्तियों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा आरक्षित हैं। आवेदनों के चयन की वर्तमान प्रणाली पहले आओ, पहले पाओ और लॉटरी पर आधारित है।