टोरंटो। एक अध्ययन में सामने आया है कि एक बहुचर्चित कृत्रिम एंटीऑक्सीडेंट 'टैंपो' प्राकृतिक रूप से मौजूदा श्रेष्ठ एंटीऑक्सीडेंट से 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली है और इससे त्वचा को होने वाले नुकसान से लेकर अल्जाइमर बीमारी तक की रोकथाम की जा सकती है।
कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय (यूबीसी) के शोधकर्ताओं के मुताबिक मुक्त कण बेहद प्रतिक्रियाशील अणु होते हैं, जो शरीर में मौजूद रहते हैं तथा सांस लेने जैसी नियमित प्राकृतिक प्रक्रिया के दौरान बनते हैं।
यूबीसी के एक प्रोफेसर जीनो डीलाबियो ने कहा कि मुक्त कण मानव उपापचय का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं लेकिन जब ये शरीर में बहुत ज्यादा हो जाते हैं, जैसे जब हम सूर्य के पराबैंगनी विकिरण के प्रभाव में आते हैं, जब हम धूम्रपान करते हैं या जब हम शराब पीते हैं, तो यह एक समस्या हो सकते हैं।
डीलाबियो ने कहा कि बेहद प्रतिक्रियाशील अणु कोशिकाओं या डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं और अल्जाइमर जैसी कई बीमारियों में योगदान दे सकते हैं। कुछ शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि वे बढ़ती उम्र के लक्षणों के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
'जर्नल ऑफ द अमेरिकन केमिकल सोसाइटी' में प्रकाशित यह अध्ययन मुक्त कणों से होने वाले नुकसान को रोकने में मदद के लिए औषधीय उपचार विकसित करने में कारगर हो सकता है। विटामिन सी और विटामिन ई के जरिए शरीर में पहले से ही मुक्त कणों के खिलाफ अपना खुद का रासायनिक रक्षा तंत्र होता है लेकिन डीलाबियो और उनके सहयोगी यह जानना चाहते थे कि मानव निर्मित एंटीऑक्सीडेंट टैंपो कैसा प्रदर्शन करेगा।
डीलाबियो ने कहा कि हम यह देखकर हैरान थे कि वसायुक्त माहौल में टैंपो, विटामिन ई के मुकाबले मुक्त कणों को बदलने में 100 गुना तेज था। (भाषा)