Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अमेरिका चीन विवाद : एक-दूसरे के वाणिज्य दूतावासों को बंद करने से हुआ भारी नुकसान

हमें फॉलो करें अमेरिका चीन विवाद : एक-दूसरे के वाणिज्य दूतावासों को बंद करने से हुआ भारी नुकसान
, शुक्रवार, 31 जुलाई 2020 (14:43 IST)
वॉशिंगटन। एक-दूसरे के वाणिज्य दूतावास को बंद करने से अमेरिका और चीन ने अपने बढ़ते तनावपूर्ण रिश्तों में आपस में बहुत नुकसान पहुंचाया है और उन्होंने क्षेत्रों की निगरानी और जासूसी करने की एक-दूसरे की क्षमता को भी कम किया है।
अमेरिका के लिए दक्षिण-पश्चिम चीन में चेंगदू वाणिज्य दूतावास का बंद होना तिब्बत में उसकी निगरानी को कमजोर करता है, जो एक ऐसा क्षेत्र है, जहां बौद्ध निवासियों का कहना है कि बीजिंग उनकी सांस्कृतिक और पारंपरिक आजादी को खत्म कर रहा है। चीन का कहना है कि तिब्बत सदियों से उसका क्षेत्र रहा है।
 
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार चीन के लिए ह्यूस्टन वाणिज्य दूतावास का बंद होना उसके जासूसी नेटवर्क के केंद्र का खात्मा होना है। कोरोनावायरस वैश्विक महामारी और नवंबर में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के मद्देनजर अमेरिका और चीन के बीच तनावपूर्ण चल रहे रिश्तों में एक-दूसरे के वाणिज्य दूतावास बंद करने से और खटास पैदा हो गई है।
 
महामारी से निपटने में नाकाम रहने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहे ट्रंप इस महामारी के लिए चीन को दोषी ठहराते रहे हैं। शंघाई में 2008 से 2011 तक अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में महावाणिज्य दूत के तौर पर काम कर चुकी बीट्रिस कैम्प ने कहा कि रिश्तों में तनाव से कृषि, ऊर्जा, विमानन, पर्यावरण और वाणिज्यिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र पर असर पड़ेगा। प्रत्येक शहर में वीजा मांगने वाले चीनी और अमेरिकी नागरिकों को परेशानी होगी।
 
ह्यूस्टन में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने चीन के जासूसी नेटवर्क के केंद्र को हटा दिया है, जो 25 से अधिक शहरों में फैला हुआ था, खुफिया जानकारी एकत्रित कर रहा था, बौद्धिक संपदा चोरी करने की कोशिश कर रहा था और असंतुष्टों के निर्वासित परिवारों को चीन लौटने के लिए विवश करने की कोशिश करते हुए उनका उत्पीड़न कर रहा था।
 
एक अन्य अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि चेंगदू स्थित दूतावास चीनी लोगों खासतौर से उस जिले के लोगों को समझने और उनसे संवाद करने के लिहाज से महत्वपूर्ण था। इस क्षेत्र में तिब्बत भी आता है। अमेरिका का चेंगदू में दूतावास 35 वर्षों से था लेकिन दक्षिण-पश्चिम चीन में उसकी मौजूदगी इससे पहले से है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी विमानों ने भारत और म्यांमार में स्थित अड्डों से इस इलाके में चीनी सेना को सामान की आपूर्ति की थी।
 
कई वर्षों तक चेंगदू में यह एकमात्र दूतावास था जबकि अन्य देशों को अपने राजनयिक मिशन चोंगकिंग शहर में बनाने के लिए विवश होना पड़ा। चेंगदू को तिब्बत के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जाता था, जहां विदेशियों के जाने पर लंबे समय से पाबंदी रही है। चीन का कहना है कि तिब्बत 7 सदियों से उसका क्षेत्र है लेकिन तिब्बत में कई लोगों का कहना है कि वे स्वतंत्र रहे हैं।
 
तिब्बत के बौद्ध आध्यात्मिक नेता दलाई लामा चीनी शासन के खिलाफ बढ़ते आक्रोश के बीच 1959 में भारत चले गए थे और बीजिंग ने निर्वासन में उनकी स्वघोषित सरकार के साथ संवाद करने से इंकार कर दिया। तनाव से पहले चीन में अमेरिका के राजदूत टेरी ब्रैनस्टाड ने पिछले साल तिब्बत की यात्रा की थी और बीजिंग से दलाई लामा के साथ ठोस बातचीत करने तथा धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का अनुरोध किया था।
 
8.1 करोड़ से अधिक की आबादी वाला चेंगदू चीन की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है। उसकी विमानन से लेकर दवाओं और कृषि उत्पादों के उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका है। ह्यूस्टन दूतावास के बंद होने से अमेरिकी नागरिकों और अमेरिका में व्यापार करने की इच्छा रखने वाली चीनी नागरिकों को वीजा के लिए बीजिंग या पूर्वी तट में स्थित दूतावास में जाना होगा। चीन के मध्य वुहान शहर में अमेरिकी दूतावास अब भी बंद है। कोरोनावायरस वैश्विक महामारी पिछले साल इसी शहर से फैली थी। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Ayodhya भूमिपूजन कार्यक्रम में प्रसिद्ध शेफ बनाएंगे नरेन्द्र मोदी का भोजन