अजरबैजान-आर्मेनिया के बीच युद्ध से क्या दु‍निया पर मंडरा रहा है विश्वयुद्ध का खतरा?

Webdunia
सोमवार, 28 सितम्बर 2020 (09:07 IST)
आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच रविवार को शुरू हुए युद्ध में अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। मरने वालों में दोनों पक्षों के ज्यादातर आम नागरिक शामिल हैं। तुर्की ने खुलेआम अजरबैजान का समर्थन करते हुए हर प्रकार के मदद का ऐलान किया है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने एक कदम आगे बढ़ते हुए आर्मेनिया के लोगों से अपने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की है। दोनों देशों की लड़ाई के बाद दुनिया पर विश्वयुद्ध का खतरा मंडरा रहा है। रूस के बाद संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से शांति की अपील की है। आर्मेनिया और अजरबैजान की सेना के बीच रविवार को नागोरनो-काराबख क्षेत्र में एक इलाके पर कब्जे को लेकर भीषण युद्ध शुरू हो गया।
मिसाइल से हमला : आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि नागोरनो-काराबख क्षेत्र में अजरबैजान की सेना के साथ हुए संघर्ष में उसके 18 सैनिक मारे गए हैं जबकि 100 से अधिक घायल हुए हैं। आर्मेनिया के रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता शुशान स्टीपनयन ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर यह जानकारी दी। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशनयिन ने ट्वीट कर जानकारी दी कि अजरबैजान ने अर्तसख पर मिसाइल से हमला किया है जिससे रिहायशी इलाकों को नुकसान पहुंचा है। पशनयिन के मुताबिक आर्मेनिया ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अजरबैजान के 2 हेलीकॉप्टर, 3 यूएवी और 2 टैंकों को मार गिराया है। इसके बाद आर्मेनियाई प्रधानमंत्री ने देश में मार्शल-लॉ लागू कर दिया है।
 
क्या है विवाद? : आर्मेनिया और अजरबैजान दोनों ही देश पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे, लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए। अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागोरनो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया। दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है। इसके कारण दोनों देशों के बीच 1991 से ही संघर्ष चल रहा है। वर्ष 1994 में रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्षविराम हो चुका था, लेकिन तभी से दोनों देशों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती आ रही है। दोनों देशों के बीच तभी से ‘लाइन ऑफ कॉन्टेक्ट’ है, लेकिन इस वर्ष जुलाई के महीने से हालात खराब हो गए हैं। इस इलाके को अर्तसख के नाम से भी जाना जाता है।
युद्धविराम लागू करने की अपील : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नागोरनो-काराबख क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से युद्धविराम लागू करने की अपील की है और साथ ही कहा है कि वे जल्द ही दोनों देशों के नेताओं से संपर्क कर इस पर चर्चा करेंगे। गुटेरेस ने कहा कि जल्द ही अजरबैजान के राष्ट्रपति और आर्मेनिया के प्रधानमंत्री से बात करेंगे। 
 
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि नागोरनो-काराबख क्षेत्र में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच शुरू हुए सैन्य संघर्ष को लेकर वे बेहद चिंतित हैं और सैन्य ताकत के इस्तेमाल की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने इस संघर्ष में आम नागरिकों के मारे जाने को लेकर दु:ख भी व्यक्त किया है।
 
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि नागोरनो-काराबख क्षेत्र में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच मौजूदा तनाव को कम करने के लिए अमेरिका की ओर से हरसंभव प्रयास किए जाएंगे और इस पर विचार किया जा रहा है। ट्रंप ने कहा कि हम इस विवाद पर नजर बनाए हुए हैं। उस क्षेत्र में हमारे कई देशों के साथ अच्छे संबंध हैं। हम विचार करेंगे कि इस हिंसा को रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
 
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य जारी कर आर्मेनिया और अजरबैजान से नागोरनो-काराबख क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से युद्धविराम लागू करने की अपील की है और साथ ही कहा है कि इस विवाद में किसी तीसरे पक्ष के शामिल होने से कोई लाभ नहीं होगा तथा हालात और अधिक खराब हो सकते हैं। अमेरिका ने दोनों पक्षों से ओएससीई मिंस्क समूह के साथ सहयोग करने और जल्द से जल्द बातचीत शुरू करने की अपील की है।

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