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अगस्त 11, 1976 को भुट्टो ने इंदिरा गाँधी को एक पत्र लिखा कि विभाजन के समय ऐसी किसी दौलत की अविभाजित भारत को जानकारी नहीं थी। विभाजन के पूर्व के समझौते के अनुसार जयगढ़ की दौलत पर पाकिस्तान का हिस्सा बनता है। भुट्टो ने लिखा था कि ‘पाकिस्तान को यह पूरी आशा है कि खोज और खुदाई के बाद मिली दौलत पर पाकिस्तान का जो हिस्सा बनता है वह उसे बगैर किसी शर्तों के दिया जाएगा।
इंदिरा गांधी ने 31 दिसम्बर 1976 को भुट्टो को लिखे अपने जवाब में कहा कि उन्होंने विधि-विशेषज्ञों को पाकिस्तान के दावे के औचित्य की जांच के लिए कहा था। विशेषज्ञों की राय है कि पाकिस्तान का कोई दावा ही नहीं बनता। इंदिरा गांधी ने यह भी लिखा कि जयगढ़ में किसी तरह का खजाना नहीं मिला।
कुछ पुराने लोग कहते हैं कि खजाने का पता चल गया था लेकिन श्राप के डर से उसे निकालने की हिम्मत कोई न कर सका। तो कुछ लोग संजय गांधी की असमय मौत से भी इस खजाने को जोड़ते हैं।