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भारत के खजाने की 10 अनमोल दास्तान

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अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020 (16:20 IST)
भारत को जब सोने की चिड़िया कहा जाता था तब लोगों के शरीर पर तीन-चार किलो सोना लदा होना सामान्य बात थी। स्वर्ण मुद्राएं चलती थी और लोग सोने का मुकुट पहनते थे। मंदिरों में टनों सोना रखा रहता था। सोने के रथ बनाए जाते थे और प्राचीन राजा-महाराजा स्वर्ण आभूषणों से लदे रहते थे। सैंकड़ों वर्षों की लूट के बावजूद भारत में आज भी टनों से सोना, चांदी, जेवरात, गिन्नियां आदि गड़ा हो सकता है।
 
 
उत्तरप्रदेश के सोनभद्र की खदान में 3000 टन सोना होने की खबर के बाद जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने कहा कि खदान में 3000 टन नहीं, बल्कि सिर्फ 160 किलो सोना होने का दावा किया है। जीएसआई के निदेशक डॉ. जीएस तिवारी ने कहा कि सोनभद्र में 52806. 25 टन स्वर्ण अयस्क होने की बात कही गई है न कि शुद्ध सोना। इससे पहले उत्तरप्रदेश के ही उन्नाव जिले में 2013 में 1000 टन सोना दबा होने की अफवाह उड़ी थी।
 
 
1.खजाने के लिए इंदिरा गांधी ने खुदवाया था किला : कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान जयपुर की महारानी गायत्री देवी के जयपुर स्थित जयगढ़ किले को खजाने के लिए पूरी तरह खुदवा डाला गया था। इंदिरा गांधी से गायत्री देवी की नहीं बनती थी। जयगढ़ किले में पांच महीने तक चली खुदाई के बाद ये बताया गया कि महज 230 किलो चांदी और चांदी का सामान ही मिला है। सेना ने इन सामानों की सूची बनाकर और राजपरिवार के प्रतिनिधि को दिखाई और उसके हस्ताक्षर लेकर सारा सामान सील कर दिल्ली ले गई।


हालांकि यह भी कहा जाता है कि वहां से करोड़ा का खजाना निकला था लेकिन जनता को भ्रम में डालकर वह सारा खजाना दबा दिया गया। उल्लेखनीय है कि 1580 में अकबर के सेनापति सवाई मानसिंह अफगानिस्तान के मोहम्मद गजनी पर जीत हासिलकर पूरा खजाना जयपुर ले आए थे। कहा जाता है कि मानसिंह द्वितीय ने अपने काल में जयगढ़ के खजाने के एक बड़े हिस्से को मोतीडूंगरी में रख दिया था। यह भी कहा जाता है कि जयपुर में चिल का टिला अम्बर में यह खजाना दबा हुआ है।
 
 
2.पद्मनाभ मंदिर का खजाना : सन् 2011 में इसका खुलासा हुआ। दक्षिण भारत के पद्मनाभ मंदिर में छिपा था 5,00,000 करोड़ का खजाना है जिसे गिनने में आधुनिक मशीनें और कई लोगों की टीमें लगीं। फिर की तहखाने से पाए गए खजाने में से कुछ तहखाने को खोलकर देखने की मनाही थी, क्योंकि मंदिर प्रशासन और भक्तजनों को किसी अननोही घटना और अशुभ के होने का डर था। 2011 में कैग की निगरानी में पद्मनाभस्वामी मंदिर से करीब एक लाख करोड़ रुपए मूल्य का खजाना निकाला गया था। यह खजाना त्रावणकोर के महाराजा का बताया जाता है।

 
3.मोक्कम्बिका मंदिर का खजाना : कर्नाटक के पश्‍चिमी घाट में कोलूर में स्थित मोक्कम्बिका मंदिर में भी खजाना दबा होने का दावा किया जाता है। खजाने के दावे से इतर मंदिर में रखे जवाहरात की कीमत ही लगभग 100 करोड़ रुपए बताई जाती है। मान्यता अनुसार मंदिर के खाजाने की सांप रक्षा करते हैं। यहां एक चेंबर में सांप का निशान बना हुआ है।

4.सोन भंडार गुफा : यह गुफा बिहार के छोटे से शहर राजगीर की वैभरगिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित गुफा है। यहीं पर बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। किंवदंतियों के मुताबिक सोन भंडार गुफा में भरा है सोने और बहुमूल्य खजाने का अकूत भंडार। ऐसा माना जाता है कि खजाना एक 10.4x5.2 मीटर आयाताकार मजबूत कोठरी में कैद है जिसका रास्ता शायद किसी को पता नहीं। इस गुफा में दो कक्ष बने हुए हैं। ये दोनों कक्ष पत्‍थर की एक चट्टान से बंद हैं। कक्ष सं. 1 माना जाता है कि सुरक्षाकर्मियों का कमरा था जबकि दूसरे कक्ष के बारे में मान्‍यता है कि इसमें सम्राट बिम्बिसार का खजाना था। यह भी कहा जाता है कि यह खजाना जरासंध का था।


तमिल भाषा की एक कविता और कथासरित्सागर अनुसार नंद की '99 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं' का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि उसने गंगा नदी की तली में एक चट्टान खुदवाकर उसमें अपना सारा खजाना गाड़ दिया था।

 
5.नादिर शाह का खजाना : 1739 में नादिर शाह ने भारत पर हमला कर दिल्ली पर में खूब लुटपाट की थी। कहते हैं कि लूटे गए खजाने में मयूर तख्त और कोहिनूर के साथ ही लाखों की संख्या में सोने के सिक्के और जवाहराता ले गया था। कहते हैं कि खजाना इस भारी मात्रा में था कि वह संपूर्ण खजाने पर नजर नहीं रख पाता था और इतने सारे खजाने को ले जाना भी कठिन था। ऐसे में उसके सिपहसालारों ने इस खजाने का एक हिस्सा हिंदूकुश पर्वत की किसी गुफा में कहीं छिपा दिया था, जो आज तक नहीं मिला है।

 
पहले सिकंदर आया था फिर चंगेज खां इसके बाद भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमणकारी था मुहम्मद बिन कासिम। उसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों और लुटेरों की फौज की फौज भारत में घुसी और भारत को तहस-नहस कर लूट ले गई। कहा जाता है कि सोमनाथ का मंदिर मोहम्मद गजनवी ने लूटा था। उसमें ढेर सारा सोना था। बाबर भी यहां लूटने ही आया था।

6.जहांगीर का खजाना : राजस्थान के अलवर में मुगल बादशाह जहांगीर का खजाना दबा होने की बात कही जाती है। कहते हैं कि जहांगीर अपने निर्वसन के दौरान इस क्षेत्र में था और उसने यहीं के जंगलों में किसी गुप्त स्थान पर अपना खजाना दबा रखा था।

 
7.कृष्णा नदी का खजाना : कहते हैं कि आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कृष्णा नदी के तटीय क्षेत्र बहुत समय से हीरो के लिए विख्यात रहे हैं। पहले यह क्षेत्र गोलकुंडा में शामिल था। यहीं से कोहिनूर हिरा निकला था। आज भी यहां कई हीरे दबे हुए हैं।
 
8.चार मीनार गुफा हैदराबाद : चार कमान घासी बाजार हैदराबाद तेलंगाना में एक गुफा है जो चार मीनार को गोलकुंडा से जोड़ती है। यह गुफा सुल्तान मोहम्मद कुली कुतबशाह ने बनवाई थी। यह गुफा अंग्रेजों के आक्रमण के समय राज परिवार को सुरक्षित बहार निकालने के लिए बनाई गई थी। कहते हैं कि इसी गुफा के किसी चेंबर में खजाना दबा हुआ है।
 
 
9.मीर उस्मान अली का खजाना : किंग कोठी रोड, ओल्ड एमएलए क्वाटर किंग कोठी हैदरगुड़ा, हैदराबाद तेलंगाना। हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली के पास अकूद धन संपत्ति थी। कहते हैं कि उसने इसी कोठी में कहीं अपना खजाना दबा दिया था।
 
 
10.धनगांव में खजाना : ऐसी मान्यता है कि राजस्थान के एक गांव धनगवां में हर कदम पर खजाना दबा हुआ है। यह गांव राजस्थान के जबलपुर में स्थित है। यहां खजाना ढ़ूंढ़ने के लिए बाहर से भी लोग आते हैं। गांव के लोगों का दावा है कि यहां जहां भी खुदाई की जाए वहां खजाना मिलेगा। इस गांव में इतना खजाना है कि पूरे जबलपुर की काया पलटी जा सकती है।
 
 
11. लुटेरों, बंजारों, पिंडारियों और आदिवासियों का खजाना : राजा-महाराजा, पंडित-पुरोहित, सेठजनों, मंदिरों के अलावा देश में हिन्दू समाज के बंजारा समुदाय, आदिवासी, पिंडारी समाज का खजाना में कई जगहों पर गढ़ा होने के कयास लगाए जाते हैं। लुटेरे भी लूटी गई संपत्ति को आपस में बांटकर फिर उसे कहीं छिपाकर रख देते थे। बंजारे में भी अपना खजाना भूमि में गाड़ कर उस पर कोई वृक्ष उगा देते, पत्थर रख कर कोई निशानी बना देते थे। विदेशियों का आक्रमण होने कर कई लोग अपने घर के धन को अपने खेत या घर की भूमि में गाड़ देते थे। कहते हैं पिंडारियों के पास अथाह सोना था, जो उन्होंने व्यापारियों से लूटा था। लूटा हुआ सोना-चांदी को ये लोग खेत में, सुनसान जगहों पर या किसी मंदिर के पास गाड़ देते थे। गिन्नियां, कपड़े और खाने-पीने का सामान खुद अपने पास रखते थे।
 
 
माना जाता है कि बंजारा, आदिवासी, पिंडारी समाज अपने धन को जमीन में गाड़ने के बाद उस जमीन के आस-पास तंत्र-मंत्र द्वारा 'नाग की चौकी' या 'भूत की चौकी' बिठा देते थे जिससे कि कोई भी उक्त धन को खोदकर प्राप्त नहीं कर पाता था। जिस किसी को उनके खजाने के पता चल जाता और वह उसे चोरी करने का प्रयास करता तो उसका सामना नाग या भूत से होता था। हालांकि इन बातों में कितनी सचाई है यह हम नहीं जानते लेकिन ऐसी बातें समाज में प्रचलित है।
 
 
राजा तो अपने खजाने को छिपाने के लिए बाकायदा बड़ी-बड़ी सुरंगें या तहखाने बनाते थे। कुछ तो लंबी-चौड़ी बावड़ियां बनाते थे जिसमें पानी के बहुत अंदर जाने के बाद नीचे गुफा या सुरंगों का निर्माण करते थे, जहां वे सोना चांदी और हीरे जेवरात रखते थे और फिर बाहर से उस सुरंग को बाद कर देते थे। आज भी ऐसी कई बावड़ियां हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता।

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