लोकमान्य तिलक की 165वीं जयंती पर पढ़ें प्रेरक प्रसंग

Webdunia
प्रसंग 1 : मैं पैसे का लोभी नहीं हूं
 
तिलक जी ने जब वकालत की परीक्षा पास की, तो उनके मित्रों की धारणा थी कि वे या तो सरकारी नौकरी करेंगे अथवा वकालत चालू करेंगे। 
 
उन्होंने जब इस संबंध में चर्चा की तो वे बोले - 'मैं पैसे का लोभी नहीं हूं। पैसे के लिए मैं सरकार का गुलाम बनना पसंद नहीं करता। रही वकालत की बात, तो मुझे यह पेशा भी पसंद नहीं। मैं तो 'सा विद्या या विमुक्तये' (विद्या वह जो मुक्ति देवे) इस सूक्ति को मानता हूं। जो विद्या मनुष्य को असत्याचरण की ओर प्रवृत्त करती है, उसे मैं विद्या ही नहीं मानता।'
 
इस पर मित्र चुप रहे, किंतु कुछ दिनों पश्चात जब उन्हें मालूम हुआ कि तिलक जी 30 रुपए मासिक वेतन पर प्राथमिक शाला के विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं, तो उन्हें बड़ा ही आश्चर्य हुआ। 
 
उनके एक घनिष्ठतम मित्र से न रहा गया और वह बोल ही उठा- आखिर तुमने गुरुजी का पेशा ही क्यों चुना? तुम भलीभांति जानते हो कि आजकल शिक्षकों की आर्थिक स्थिति कैसी है? अरे, तुम जब मरोगे, तो दाह-संस्कार के लिए, तुम्हारे घर में लकड़ियां तक न मिलेंगी।'
 
तिलक जी ने हंसकर जवाब दिया- 'मेरे दाह-संस्कार की चिंता मैं क्यों करूं, हमारी नगरपालिका क्यों बनी हुई है? मेरी चिंता उसे होगी वही सामग्री जुटाएगी और उससे मेरी चिता जलेगी।' 
 
यह सुनते ही वह मित्र अवाक् रह गया और उससे कुछ न कहते बना।

प्रसंग 2 : साहसी बाल तिलक 
 
बाल गंगाधर तिलक के स्‍कूली जीवन की एक और यादगार घटना है। एक बार उनकी कक्षा के सारे बच्‍चे बैठे मूंगफली खा रहे थे। उन लोगों ने मूंगफली के छिलके कक्षा में ही फेंक दिए और चारों ओर गंदगी फैला दी।
 
कुछ देर बाद जब उनके शिक्षक कक्षा में आए तो कक्षा को गंदा देखकर बहुत नाराज हो गए। उन्‍होंने अपनी छड़ी निकाली और लाइन से सारे बच्‍चों की हथेली पर छड़ी से 2-2 बार मारने लगे। जब तिलक की बारी आई तो उन्‍होंने मार खाने के लिए अपना हाथ आगे नहीं बढ़ाया। जब शिक्षक ने कहा कि अपना हाथ आगे बढ़ाओ, तब उन्‍होंने कहा कि मैंने कक्षा को गंदा नहीं किया है इसलिए मैं मार नहीं खाऊंगा।
 
उनकी बात सुनकर टीचर का गुस्‍सा और बढ़ गया। टीचर ने उनकी शिकायत प्राचार्य से कर दी। इसके बाद तिलक के घर पर उनकी शिकायत पहुंची और उनके पिताजी को स्‍कूल आना पड़ा।
 
स्‍कूल आकर तिलक के पिता ने बताया कि उनके बेटे के पास पैसे ही नहीं थे। वो मूंगफली नहीं खरीद सकता था। बाल गंगाधर तिलक अपने जीवन में कभी भी अन्‍याय के सामने नहीं झुके। उस दिन अगर शिक्षक के डर से तिलक ने स्‍कूल में मार खा ली होती तो शायद उनके अंदर का साहस बचपन में ही समाप्‍त हो जाता।
 
इस घटना से हम सभी को एक सबक मिलता है। यदि गलती न होने पर भी हम सजा स्‍वीकार कर लें तो यह माना जाएगा कि गलती में हम भी शामिल थे। 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और वो मैं लेकर ही रहूंगा' इस नारे को देने वाले बाल गंगाधर तिलक का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।

प्रसंग 2 : कठिन सवालों से न डरें 
 
लोकमान्य तिलक बचपन से ही बहुत साहसी और निडर थे। गणित और संस्‍कृत उनके प्रिय विषय थे। स्‍कूल में जब उनकी परीक्षाएं होतीं, तब गणित के पेपर में तिलक हमेशा कठिन सवालों को हल करना ही पसंद करते थे।
 
उनकी इस आदत के बारे में उनके एक मित्र ने कहा कि तुम हमेशा कठिन सवालों को ही क्‍यों हल करते हो? अगर तुम सरल सवालों को हल करोगे तो तुम्‍हें परीक्षा में ज्‍यादा अंक मिलेंगे।
 
इस पर तिलक ने जवाब दिया कि मैं ज्‍यादा-से-ज्‍यादा सीखना चाहता हूं इसलिए कठिन सवालों को हल करता हूं। अगर हम हमेशा ऐसे काम ही करते रहेंगे, जो हमें सरल लगते हैं तो हम कभी कुछ नया नहीं सीख पाएंगे।
 
यही बात हमारी जिंदगी पर भी लागू होती है, अगर हम हमेशा आसान विषय, सरल सवाल और साधारण काम की तलाश में लगे रहेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। जीवन की हर कठिनाई को एक चुनौती की तरह लो, उसके सामने घुटने टेकने के बजाए उसे जीतकर दिखाओ।


ALSO READ: तिलक के बारे में 10 अनजानी बातें

ALSO READ: बाल गंगाधर तिलक के जीवन से जुड़े 2 रोचक किस्से और 10 अनमोल विचार, यहां पढ़ें

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

दीपावली पर बनाएं ये 5 खास मिठाइयां

हाथ जलने पर घबराएं नहीं, जानें तुरंत राहत के लिए ये आसान घरेलू उपाय

Healthcare Tips : दीपावली के दौरान अस्थमा मरीज कैसे रखें अपने स्वास्थ्य का ध्यान

दीपावली पर महिलाओं के लिए एनर्जी बूस्टिंग फूड्स : खाएं ये चीजें और रहें एनर्जेटिक

क्या आपको भी दिवाली की लाइट्स से होता है सिरदर्द! जानें मेंटल स्ट्रेस से बचने के तरीके

सभी देखें

नवीनतम

संस्कृति से समृद्धि तक का सफर : जानिए एमपी और छत्तीसगढ़ के स्‍थापना दिवस की पूरी कहानी

दिवाली पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति का क्या करें? इन गलतियों से बचें

लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती : 'ज्वाला थी उनकी आंखों में, था ओजस उनके प्रण में'

Eye Care Tips : कॉफी आइस क्यूब्स से करें Under Eyes की देखभाल

दिवाली के दिन सुबह-सुबह कर लें ये काम, आपके घर पर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

अगला लेख
More