25 दिसंबर जयंती विशेष: अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय, कोटेशन और राजनीतिक सफर

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Atal Bihari Vajpayee
 
जीवन परिचय : अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अत: काव्य लिखने की कला उन्हें विरासत में मिली। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी (Prime Minister of India) में कई खूबियां थी। अटल जी ने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था। राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। 
 
वे एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे। वे अपनी पार्टी का नेता हो या विरोधी पार्टी का, सबको साथ लेकर चलने की खूबी उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती थी। यही कारण था कि उन्हें अजातशत्रु भी कहा जाता था। उन्हें भारत के प्रति नि:स्वार्थ समर्पण और समाज की सेवा के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 
 
1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। इनके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया। आजीवन अविवाहित रहे अटल जी को सन् 2015 में सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया।  
 
राजनीतिक सफर : वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए, जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जनसंघ के नाम से जाना जाता था।
 
वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे। वाजपेयी जी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 
 
13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई।

परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों से बिना डरे वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में द्वितीय परमाणु परीक्षण किया। इसकी अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए को भनक तक नहीं लग पाई। 
अटल जी नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। अटल ही पहले विदेश मंत्री थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। 
 
वाजपेयी जी की भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में पहचान थी। उनका निधन (Atal Bihari Vajpayee Death) किडनी संक्रमण और कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के चलते 16 अगस्त 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुआ। 
 
अटल बिहारी वाजपेयी के खास कथन:Atal Bihari Vajpayee Quotes 
 
1 ‘रामचरितमानस’ तो मेरी प्रेरणा का स्रोत रहा है। जीवन की समग्रता का जो वर्णन गोस्वामी तुलसीदास ने किया है, वैसा विश्व-साहित्य में नहीं हुआ है।
 
2 निरक्षरता का और निर्धनता का बड़ा गहरा संबंध है।
 
3 राष्ट्र की सच्ची एकता तब पैदा होगी, जब भारतीय भाषाएं अपना स्थान ग्रहण करेंगी।
 
4 सभ्यता कलेवर है, संस्कृति उसका अंतरंग। सभ्यता सूल होती है, संस्कृति सूक्ष्म। सभ्यता समय के साथ बदलती है, किंतु संस्कृति अधिक स्थायी होती है।
 
5 शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है। व्यक्तित्व के उत्तम विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्शों से युक्त होना चाहिए। हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है। शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं ।
 
6 पारस्परिक सहकारिता और त्याग की प्रवृत्ति को बल देकर ही मानव समाज प्रगति और समृद्धि का पूरा-पूरा लाभ उठा सकता है।
 
7 शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। ऊंची-से-ऊंची शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए।
 
8 हिन्दू परंपरा में गर्व महसूस करता हूं, लेकिन मुझे भारतीय परंपरा में और ज्यादा गर्व है।
 
9 अहिंसा की भावना उसी में होती है, जिसकी उरात्मा में सत्य बैठा होता है, जो समभाव से सभी को देखता है।
 
10 देश एक मंदिर है, हम पुजारी हैं। राष्ट्रदेव की पूजा में हमें अपने को समर्पित कर देना चाहिए।
 
11 भुखमरी ईश्वर का विधान नहीं, मानवीय व्यवस्था की विफलता का परिणाम है।
 
12 परमात्मा एक ही है, लेकिन उसकी प्राप्ति के अनेकानेक मार्ग हैं।

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