AISECT कॉलेज के करीब 45 छात्र और अध्यापक जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डवलेपमेंट पर पहुंचे जहां उन्होंने प्राकृतिक ऊर्जा के स्त्रोतों को संभाले रखने की कला सीखी। यहां पहुंचे छात्रों ने सेंटर पर चल रही गतिविधियों को करीब से समझा और हर चीज विस्तार से समझने के बाद उनकी प्रसन्नता का ठिकाना ना रहा। ये अपनी तरह का पहला अनुभव था जो छात्रों को यहां देखने को मिला।
वायु और सोलर पॉवर से ऊर्जा उत्पन्न करने के तरीके उन्हें विस्तार से समझाए गए। छात्रों ने यहां सोलर ऊर्जा से भोजन बनाना, फ़ूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी, बायोडायवर्सिटी और पानी का संरक्षण जाना। इस फॉर्म की विशेषता गायों की विशेष देखरेख और उनका खेती में योगदान है। यहां छात्रों ने व्रजदन्ती और कॉफी के पौधे देखे। इस फॉर्म पर आसानी से देखा जा सकता है कि बिना मशीनों के उत्तम स्तर की कृषि संभव है। यहाँ ट्रेक्टर की जगह बैलों का इस्तेमाल किया जाता है।
छात्रों ने यहाँ छत पर पानी सहेजने की कला भी सीखी। सेंटर प्रमुख जनक पलटा मगिलिगन ने छात्रों को सारी प्रक्रिया समझाई। यह प्रक्रिया सस्ती भी है और तुरंत पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह महिलाओं की दूर से पानी लाने की समस्या ख़त्म करने की उत्तम विधि है। दूरदराज के कम पानी वाले इलाकों में यह अतिउपयोगी है।