तीसरा दिन हुआ साठ के लगभग श्रोता थे। बुद्ध फिर आए और बिना कुछ कहे चले गए।
ऐसे ही चौथा दिन आ गया, कुछ लोग और कम हो गए। बुद्ध तब भी कुछ नहीं बोले।
जब पांचवां दिन हुआ तो देखा सिर्फ 14 लोग थे। गौतम बुद्ध ने प्रवचन दिया और उपस्थित 14 लोग उनके साथ हो गए।
किसी ने बुद्ध से पूछा- आपने पिछले 4 दिन कुछ नहीं बोला, इसका क्या कारण था। तब बुद्ध ने उसकी जिज्ञासा को शांत किया।
वे बोले- 'मुझे भीड़ नहीं, काम करने वाले चाहिए थे।' यहां वही टिक सकेगा, जिसमें धैर्य हो। जिनमें धैर्य था वे रह गए ।