एक बार गौतम बुद्ध को एक जगह प्रवचन देना था। वक्त हो गया, बुद्ध आए और बिना कुछ बोले वहां से चल दिए। वहां पर करीब-करीब डेढ़ सौ श्रोता उपस्थित होंगे।
दूसरे दिन फिर प्रवचन करना था, करीब सौ लोग उपस्थित थे। पचास कम हो गए।
बुद्ध आए, इधर-उधर देख कर बिना कुछ कहे वापस चले गए।