दिव्य आभा वाले महान दार्शनिक एवं क्रांति-योगी थे महर्षि अरविंद

Webdunia
क्रांतिकारी महर्षि अरविंद का जन्म 15 अगस्त 1872 को कोलकाता में हुआ था। वे आध्यात्मिक क्रां‍ति की पहली चिंगारी थे। वे बंगाल के महान क्रांतिकारियों में से एक थे। 5 से 21 वर्ष की आयु तक अरविंद की शिक्षा-दीक्षा विदेश में हुई।
 
उनके पिता केडी घोष एक डॉक्टर तथा अंग्रेजों के प्रशंसक थे। पिता अंग्रेजों के प्रशंसक लेकिन उनके चारों बेटे अंग्रेजों के लिए सिरदर्द बन गए। उन्हीं के आह्वान पर हजारों बंगाली युवकों ने देश की स्वतंत्रता के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदों को चूम लिया था। सशस्त्र क्रांति के पीछे उनकी ही प्रेरणा थी।
 
वैसे तो अरविंद ने अपनी शिक्षा खुलना में पूर्ण की थी, लेकिन उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए वे इंग्लैंड चले गए और कई वर्ष वहां रहने के पश्चात कैंब्रिज विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की। वे आईसीएस अधिकारी बनना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने भरपूर कोशिश की, पर वे अनुत्तीर्ण हो गए। उनके ज्ञान तथा विचारों से प्रभावित होकर गायकवाड़ नरेश ने उन्हें बड़ौदा में अपने निजी सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया।
 
बड़ौदा से कोलकाता आने के बाद महर्षि अरविंद आजादी के आंदोलन में उतरे। कोलकाता में उनके भाई बारिन ने उन्हें बाघा जतिन, जतिन बनर्जी और सुरेन्द्रनाथ टैगोर जैसे क्रांतिकारियों से मिलवाया। उन्होंने 1902 में उनशीलन समिति ऑफ कलकत्ता की स्थापना में मदद की। उन्होंने लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के साथ कांग्रेस के गरमपंथी धड़े की विचारधारा को बढ़ावा दिया। 
 
सन् 1906 में जब बंग-भंग का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने बड़ौदा से कलकत्ता की ओर प्रस्थान कर दिया। जनता को जागृत करने के लिए अरविंद ने उत्तेजक भाषण दिए। उन्होंने अपने भाषणों तथा 'वंदे मातरम्' में प्रकाशित लेखों द्वारा अंग्रेज सरकार की दमन नीति की कड़ी निंदा की थी।
 
अरविंद का नाम 1905 के बंगाल विभाजन के बाद हुए क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़ा और 1908-09 में उन पर अलीपुर बमकांड मामले में राजद्रोह का मुकदमा चला जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने उन्हें जेल की सजा सुना दी।
 
अरविंद ने कहा था चाहे सरकार क्रांतिकारियों को जेल में बंद करे, फांसी दे या यातनाएं दे, पर हम यह सब सहन करेंगे और यह स्वतंत्रता का आंदोलन कभी रुकेगा नहीं। एक दिन अवश्य आएगा, जब अंग्रेजों को हिन्दुस्तान छोड़कर जाना होगा। यह इत्तेफाक नहीं है कि 15 अगस्त को भारत को आजादी मिली और इसी दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है। 
 
आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारी विचारधारा के कारण जेल भेज दिए गए। जब सजा के लिए उन्हें अलीपुर जेल में रखा गया तो जेल में अरविंद का जीवन ही बदल गया। वे जेल की कोठरी में ज्यादा से ज्यादा समय साधना और तप में लगाने लगे। वे गीता पढ़ा करते और भगवान श्रीकृष्ण की आराधना किया करते। वहां उन्हें कष्णानुभूति हुई जिसने उनके जीवन को बदल डाला और वे 'अतिमान' होने की बात करने लगे। 
 
ऐसा कहा जाता है कि अरविंद जब अलीपुर जेल में थे, तब उन्हें साधना के दौरान भगवान कृष्ण के दर्शन हुए। कृष्ण की प्रेरणा से वे क्रांतिकारी आंदोलन छोड़कर योग और अध्यात्म में रम गए।
 
जेल से बाहर आकर वे किसी भी आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक नहीं थे। अरविंद गुप्त रूप से पांडिचेरी चले गए। वहीं पर रहते हुए अरविंद ने योग द्वारा सिद्धि प्राप्त की और आज के वैज्ञानिकों को बता दिया कि इस जगत को चलाने के लिए एक अन्य जगत और भी है।
 
सन् 1914 में मीरा नामक फ्रांसीसी महिला की पांडिचेरी में अरविंद से पहली बार मुलाकात हुई जिन्हें बाद में अरविंद ने अपने आश्रम के संचालन का पूरा भार सौंप दिया। अरविंद और उनके सभी अनुयायी उन्हें आदर के साथ ‘मदर’कहकर पुकारने लगे।
 
उन्होंने जहां वेद, उपनिषद आदि ग्रंथों पर टीका लिखी, वहीं योग साधना पर मौलिक ग्रंथ लिखे। खासकर उन्होंने डार्विन जैसे जीव वैज्ञानिकों के सिद्धांत से आगे चेतना के विकास की एक कहानी लिखी और समझाया कि किस तरह धरती पर जीवन का विकास हुआ। उनकी प्रमुख कृतियां लेटर्स ऑन योगा, सावित्री, योग समन्वय, दिव्य जीवन, फ्यूचर पोयट्री और द मदर हैं।
 
वेद और पुराण पर आधारित महर्षि अरविंद के 'विकासवादी सिद्धांत' की उनके काल में पूरे यूरोप में धूम रही थी। 5 दिसंबर 1950 को महर्षि अरविंद का देहांत हुआ। बताया जाता है कि निधन के बाद 4 दिन तक उनके पार्थिव शरीर में दिव्य आभा बने रहने के कारण उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया और अंतत: 9 दिसंबर को उन्हें आश्रम में समाधि दी गई। उनका पूरे विश्व में दर्शनशास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है। अरविंद एक योगी और महान दार्शनिक थे। 
 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

पढ़ाई में सफलता के दरवाजे खोल देगा ये रत्न, पहनने से पहले जानें ये जरूरी नियम

Yearly Horoscope 2025: नए वर्ष 2025 की सबसे शक्तिशाली राशि कौन सी है?

Astrology 2025: वर्ष 2025 में इन 4 राशियों का सितारा रहेगा बुलंदी पर, जानिए अचूक उपाय

बुध वृश्चिक में वक्री: 3 राशियों के बिगड़ जाएंगे आर्थिक हालात, नुकसान से बचकर रहें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

सभी देखें

धर्म संसार

Weekly Horoscope: साप्ताहिक राशिफल 25 नवंबर से 1 दिसंबर 2024, जानें इस बार क्या है खास

Saptahik Panchang : नवंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के शुभ मुहूर्त, जानें 25-01 दिसंबर 2024 तक

Aaj Ka Rashifal: 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन, पढ़ें 24 नवंबर का राशिफल

24 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

24 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More