कुंभ नगरी। विश्व के सबसे बड़े मेले महाकुंभ में पांचवें स्नान माघी पूर्णिमा पर 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था और विश्वास की डुबकी लगाई। इस दौरान सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए थे।
स्नान कर वापस लौट रहे श्रद्धालुओं के लिए मेला स्थल से बाहर निकलने के लिए अलग-अलग रास्तों की व्यवस्था की गई थी जिससे किसी भी सड़क पर ज्यादा भीड़ एकत्र न हो सके। माघी पूर्णिमा पर स्नान के लिए मेला प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की है साथ ही मार्ग प्रतिबंधित भी किए गए थे जिससे किसी भी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। स्टेशनों पर भारी भीड़ के चलते श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में रहने या फिर बसों से वापस जाने की उद्घोषणा की जाती रही।
माघी पूर्णिमा कुम्भ मेला का पांचवां मुख्य स्नान पर्व था और भीड़ की दृष्टि से मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी के बाद तीसरा प्रमुख स्नान। इस स्नान पर्व में 50 से 70 लाख की भीड़ होने का अनुमान मेला प्रशासन ने लगाया था। मौसम साफ होने के चलते श्रद्धालुओं का लगातार तांता लगा रहा।
बसंत पंचमी के अपरान्ह से हुई बारिश से परेशानियां जरूर आईं, किन्तु उन्हें सभी विभागों ने समय रहते हुए ठीक कर लिया था लेकिन फिर भी काफी स्थानों पर जल भराव था। जल भराव वाले स्थलों से पानी निकालकर उन्हें सुखाने की कार्यवाही की जा रही है। गंगा, यमुना का जल स्तर बरसात से कुछ बढ़ा जरूर था, किन्तु उसका स्नान पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कुम्भ आरकेएस राठौर ने बताया कि स्नानार्थी को सुगम आवागमन हेतु पुलिस अधीक्षक, यातायात, कुम्भ मेला, इलाहाबाद, अपर पुलिस अधीक्षक सेक्टर कंट्रोल रूम कुम्भ मेला, इलाहाबाद पर्व के दौरान निरन्तर जनपदीय एवं रेलवे पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी से सामंजस्य बनाए रखा और मेला क्षेत्र में आने-जाने वाली भीड़ की स्थिति के संबंध में सभी सम्बन्धित अधिकारी को अवगत कराते रहे।
हैदराबाद आतंकी बम विस्फोट के दृष्टिगत कुम्भ मेला क्षेत्र को विशेष सुरक्षा अलर्ट पर रखा गया था। मेला क्षेत्र में कार्यरत समस्त अधिकारियों को निरन्तर ऑपरेशन स्वीप, ऑपरेशन सील की कार्यवाही कराने के निर्देश् दिए गए थे।
मेला क्षेत्र में सीआरपीएफ के 30, आईटीबीपी के 30, एटीएस के 150 कमांडोज किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैनात थे। इसके अलावा 6 बीडीडीएस टीम, 14 एएस चेक टीम व 19 डॉग मेला क्षेत्र में घूम-घूमकर जांच कर रहे थे और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के दिखाई देने पर उसकी तलाशी के बाद पूर्ण रूप से संतुष्त होने पर ही उसको आगे जाने दिया जा रहा था।
सुरक्षा के चलते ही हरियाणा, पंजाब, केरल, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश आदि से 12 स्पाटर्स भी नियुक्त किए गए हैं। जिससे कोई भी अप्रिय घटना नहीं हो सकी और माघी पूर्णिमा का स्नान शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हो सका।
श्रद्धालु की मौत, सड़क पर पड़ा रहा शव : माघी पूर्णिमा पर स्नान के लिए ग्वालियर से अपने परिवार के साथ पहुंचा एक श्रद्धालु इतना ज्यादा थक गया कि अस्पताल के सामने कुछ देर आराम करने के लिए बैठ गया और उसके बाद वो जब नहीं उठा तो परिजन उसको लेकर सामने मेला क्षेत्र में बने अस्पताल में गए लेकिन डॉक्टरों ने देखने से मना करते हुए उसे बाहर ले जाने को कहा।
ग्वालियर से कैलाश गुप्ता (60) अपनी पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ माघी पूर्णिमा के अवसर पर संगम स्नान करने के लिए सुबह ही अपने वाहन से आए थे। काफी दूरी तक पैदल चलने के बाद जब वे काफी थक गए तो उन्होंने सड़क किनारे ही बैठकर आराम करने के बाद चलने की बात कही।
अभी सब लोग आराम कर ही रहे थे कि अचानक गुप्ता अचेत होकर गिर पड़े। पास में मौजूद परिजनों ने देखा तो हल्ला मच गया और सभी लोग उनको लेकर सामने ही मेला क्षेत्र में बने अस्थाई चिकित्सालय में गए लेकिन डॉक्टरों ने देखते ही उनको मृत घोषित कर दिया और शव लेकर बाहर जाने को कहा।
इस दौरान कोई वाहन न होने और स्वयं का वाहन मेला क्षेत्र के बाहर ही रोक दिए जाने के कारण लगभग दो घन्टे तक शव सड़क किनारे ही रखा रहा और परिजन विलाप करने के साथ ही शव ले जाने के लिए वाहन मंगाने की मांग करते रहे। लगभग दो घंटे बाद पहुंचे एक पुलिस अधिकारी ने वाहन की व्यवस्था करने की बात कही तब कहीं जाकर वह स्वयं के खर्चे से शव को ग्वालियर लेकर रवाना हुए।