श्रीमती पुष्पा छजलानी :हमेशा सीखने को प्रेरित करेगा आपका व्यक्तित्व

श्रीमती पुष्पा छजलानी : स्मृति शेष

Webdunia
स्वाति शैवाल
 
मुझे अब भी याद है नईदुनिया जॉइन करने के बाद की पहली 26 जनवरी। नए नए थे और पत्रकारिता का उत्साह चरम पर था। हमेशा से झंडावंदन पर स्कूल -कॉलेज में जाने की आदत और उत्साह को नईदुनिया में भी जगह मिल गई। एकदम घर जैसा वातावरण जहां बॉस कभी बॉस जैसे लगे ही नहीं। और उसी उत्साह में सुबह सुबह की ठंडी हवा के साथ नईदुनिया परिसर में खड़े हम गार्ड्स की पारंपरिक नईदुनिया वाली परेड और झंडावंदन का इंतज़ार कर रहे थे।

संख्या में हम यूं भी कम ही थे और महिलाएं तो बस उंगली पर गिनने लायक। इतने में अभयजी सपरिवार आये और उस दिन पहली बार मेरा परिचय उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा छजलानी जी से हुआ। उनसे परिचय तो मिसेस छजलानी जी के सम्बोधन के साथ करवाया गया था लेकिन सच कहूं तो उनकी शख्सियत उससे कहीं ज्यादा भव्य थी।  एकदम शांत-सौम्य लेकिन एक राजसी व्यक्तित्व वाली महिला। आते ही मुस्कुराते हुए उन्होंने हमसे मुलाकात की और हमारे साथ पीछे खड़ी हो गईं। हम सकुचाये थे कि क्या प्रोटोकॉल फॉलो करना है लेकिन उन्होंने ये महसूस ही नहीं होने दिया कि वो 'क्या हैं'और 'किस परिवार' से ताल्लुक रखती हैं।

फिर कार्यक्रम के बाद हमसे घर की ही किसी बड़ी महिला की तरह मुस्कुराते हुए बोलीं-'मुझे आप सबसे एक शिकायत है।' हम खिसियानी सी हंसी हंस पड़े और वो बोलीं-'गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस। आप लोगों की (महिलाओं की) उपस्थिति हमेशा कम होती है। मैं जानती हूं कि छुट्टी के दिन आप लोगों को घर पर ज्यादा काम होते हैं और कुछ लोगों के घर बहुत दूर भी होंगे। लेकिन अपने देश के लिए हम एक दिन थोड़ा समय तो निकाल सकते ही हैं। है न?' और चश्मे के पीछे से उन्होंने हमारी ओर गहरी नजरों से देखा। उस दिन के बाद जब तक हम उस परिसर में रहे, हम कुछ महिलाओं ने तय कर लिया कि अब तो ऐसे हर प्रोग्राम में शामिल होना ही है। 
 
हमें यह बताया गया था कि वे राजस्थान के बड़े जौहरी घराने की लाड़ली बिटिया हैं। लेकिन हर कार्यक्रम में वे बहुत सहजता से हमारे साथ घुलमिल जातीं और कभी घर जाना होता तो उसी तरह बतियातीं। जब भी मिलीं इतने प्रेम भाव से जैसे घर की अपनी कोई काकी भाभी मिलती हैं। उसी ऊष्मा के साथ हाथ पकड़ लेती थीं और उसी स्नेह से आशीर्वाद भी देती थीं।

दूसरी-तीसरी मुलाकात के बाद ही पता चला कि वे संगीत सीख रही हैं। उस समय उनकी उम्र करीब 60 वर्ष तो रही ही होगी। जब मिलने पर मैंने पूछा तो बोलीं-'पहले घर-परिवार की जिम्मेदारियों में समय ही नहीं मिला। अब समय है, बच्चों ने सब सम्भाल लिया है तो मैंने सोचा समय का सदुपयोग करूँ। इसलिए संगीत भी सीख रही हूं और रोज शाम एक घण्टे अंग्रेजी सुलेख का अभ्यास भी करती हूं। मुझे अच्छा लगता है।' उन्होंने जिस सादगी और सहजता से ये बात की, मैं उनका चेहरा ही देखती रह गई। इस सबके साथ परिवार में भी उनकी रौनक हर कार्यक्रम में नजर आती थी। उन्होंने बकायदा भजनों-गीतों की सीडी भी बनाई थी।
 
कुछ साल पूर्व मुझे पता चला था कि वे हॉस्पिटलाइज़ हैं। मैं मिलने पहुंची तो पता चला उन्हें आज ही आईसीयू में शिफ्ट किया गया है और अभी मिल नहीं सकते। न मिलने की निराशा तो थी लेकिन मैं जानती थी कि वे फाइटर हैं। इस समय से बाहर आएंगी और वे आईं भी। लेकिन दूसरी बार बीमार होने पर शायद उन्होंने अलविदा कहने का मन बना लिया होगा क्योंकि उनके चाहे बिना तो ईश्वर भी उन्हें न बुलाते। 
 
दुनिया बहुत बड़ी है। ऐसा कई लोग कहते हैं। लेकिन इस बड़ी सी दुनिया में कोई बहुत खामोशी से, आपके आस-पास रहकर आपको प्रेरणा देता रहता है और वह भी बिना जताए। आदरणीय पुष्पा छजलानी जी ऐसी ही शख्सियत रही हैं। सकारात्मकता और जीवंतता से भरी। उनका व्यक्तित्व, सहजता और सीखने की उनकी इच्छा सबकुछ प्रेरणादायक रहेगा। ये हमेशा सिखाता रहेगा।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

इस DIY विटामिन C सीरम से दूर होंगे पिगमेंटेशन और धब्बे, जानें बनाने का आसान तरीका

फटाफट वजन घटाने के ये 5 सीक्रेट्स जान लीजिए, तेजी से करते हैं असर

Indian Diet Plan : वजन घटाने के लिए इस साप्ताहिक डाइट प्लान को फॉलो करते ही हफ्ते भर में दिखेगा फर्क

Essay on Jawaharlal Nehru : पंडित जवाहरलाल नेहरू पर 600 शब्दों में हिन्दी निबंध

सभी देखें

नवीनतम

Saree Styling : आपकी पर्सनालिटी बदल देंगे साड़ी स्टाइल करने के ये 8 खास टिप्स

Health Alert : क्या ये मीठा फल डायबिटीज में कर सकता है चमत्कार? जानिए यहां

गुरु नानक देव जी पर निबंध l Essay On Gur Nanak

प्रेरक प्रसंग : नानक देव और कुष्‍ठ रोगी

कोरोना में कारोबार बर्बाद हुआ तो केला बना सहारा

अगला लेख
More