- गायत्री शर्मा शिक्षा मानव के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शिक्षा से व्यक्ति सभ्य नागरिक बनता है व सभ्य नागरिक सभ्य समाज का निर्माण करता है। शिक्षा मानव को आत्म-साक्षात्कार कराकर उसे एक जिम्मेदार नागरिक बनाती है, जिसकी जिम्मेदारी अपने घर-परिवार के साथ-साथ देश की रक्षा करने की भी होती है।
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आजादी से पूर्व भारत में अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी प्रणाली का सूत्रपात कर नि:संदेह ही यहाँ की शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा प्रदान की। आजादी के बाद तो देश में शिक्षा के क्षेत्र में कई आमूलचूल परिवर्तन हुए।
1947 के बाद भारत में प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, तकनीकी शिक्षा से लेकर व्यावसायिक शिक्षा तक शिक्षा के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं, जिससे शिक्षा का क्षेत्र व्यापक होने के साथ बहुआयामी भी हो गया है।
क्या कहता है संविधान? *भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 के द्वारा 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को सरकार नि:शुल्क व अनिवार्य रूप से प्राथमिक शिक्षा प्रदान करेगी। *भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 में शिक्षा की दृष्टि से अति पिछड़े हुए समाज के कमजोर वर्गों हेतु सरकार द्वारा शिक्षा की विशेष व्यवस्था करने के प्रावधान भी किए गए हैं, ताकि इन वर्गों को सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों के चलते शिक्षा के अधिकार से वंचित न किया जा सके। *अनुच्छेद-30(1) के अनुसार धर्म या भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी पसंद की शिक्षण संस्थाएँ स्थापित करने तथा प्रशासित करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है। *अनुच्छेद-15(1 व 2) के अनुसार-'धर्म, जाति व लिंग के आधार पर किसी भी नागरिक को शैक्षिक अवसरों की उपलब्धता में विभेद करने पर रोक लगाई गई है।'
कौन कहता है आजादी के बाद हमने बहुत कुछ खोया है। हमारे इंजीनियरों व डॉक्टरों की विदेशों में भी माँग है। गुरुकुल शिक्षा पद्धति से प्रभावित होकर कई विदेशी भारत का रुख कर रहे हैं।
वैसे तो स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही शिक्षा के क्षेत्र में तीव्र विकास हेतु अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, किंतु इक्कीसवीं सदी के प्रारंभ से ही इन प्रयासों की गति और भी अधिक तीव्र हो गई है। इसी तारतम्य में माह नवंबर 2000 से केंद्र सरकार द्वारा 'सर्व शिक्षा अभियान' का श्रीगणेश किया गया, जिसमें 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था। इसमें काफी हद तक सरकार को सफलता मिली है।
इनके अलावा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार ने अपनी रुचि दिखाते हुए कई नए भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कॉलेजों को स्वीकृति प्रदान की है। शिक्षा प्रणाली में सुधार करते हुए कई कॉलेजों में इस वर्ष सेमिस्टर प्रणाली शुरू की गई है। देश के नौनिहालों को शिक्षित करने के लिए हर गाँव के गली-मोहल्लों में आँगनवाड़ियों की स्थापना की गई है, जहाँ शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को संतुलित भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है। यहीं नहीं गाँव के सरकारी स्कूलों में भी बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है।
इसके अलावा प्रबंधन एवं तकनीकी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में देश के 6 भारतीय प्रबंध संस्थान व 9 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान देश-विदेश में अपनी पैठ जमा चुके हैं। इन संस्थानों से निकले छात्र पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।
आज हमारा देश तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति कर रहा है। भारत के इंजीनियरों व डॉक्टरों की विदेशों में भी माँग है। भारत की गुरुकुल शिक्षा पद्धति से प्रभावित होकर कई विदेशी शिक्षा प्राप्ति हेतु भारत की ओर पलायन कर रहे हैं।
कौन कहता है आजादी के बाद हमने बहुत कुछ खोया है। सच तो यह है कि आजादी के बाद भारत ने बहुत सारी उपलब्धियाँ हासिल की है। कल तक पिछड़ा माने जाने वाला हमारा देश आज शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी बन रहा है। आज साल-दर-साल बालिका शिक्षा में बढ़ोतरी होना, भारतीय छात्रों को विदेशी कंपनियों द्वारा हाथोहाथ लेना तथा और भी कई उदाहरण हमारे शिक्षित होने के द्योतक हैं।