होलाष्टक, होलिका दहन और होली..., जानें रंगबिरंगे पर्व का महत्व...

Webdunia
* होलाष्टक, होलिका दहन और धुलेंडी की पौराणिक मान्यता


 
वसंत आगमन के इस मौसम में फूलों की खुशबू अपनी महक के साथ प्रकृति में बिखरने लगती है। यह भी माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव ने क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था, इसलिए इसी दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई।
 
होलाष्टक से जुडी़ मान्यताओं को भारत के कुछ भागों में ही माना जाता है। होलाष्टक मुख्य रूप से पंजाब और उत्तरी भारत में ज्यादा मनाया जाता है। उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा आदि राज्यों में अलग-अलग ढंग से होली मनाई जाती है।
 
होलिका दहन के पूर्व होलाष्टक 8 दिन का माना जाता है। होलाष्टक में कोई भी नया शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इन आठ दिनों में मांगलिक कार्य, गृह निर्माण और गृह प्रवेश आदि के सभी कार्यों पर रोक रहेगी। होलाष्टक के आठ दिनों में किए गए शुभ कार्य अशुभ फल देते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी नया कार्य शास्त्र सम्मत नहीं माना जाता है।
 
होलाष्टक संबंधी पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दिन से सर्दियों के दिन कम होने लगते है और मौसम की बदलाव आना प्रारंभ हो जाता है। दिन में अच्छी-खासी गर्मी का अहसास होने लगता है। 
 
होलाष्टक की विशेषता यह है कि होलिका पूजन करने के लिए होली से आठ दिन पूर्व होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखी खास, सूखे उपले, सूखी लकड़ी व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है। जिस दिन यह कार्य किया जाता है, उस दिन को होलाष्टक प्रारंभ का दिन भी कहा जाता है। जिस स्थान पर होली का डंडा स्थापित किया जाता है, वहां के संबंधित क्षेत्रों में होलिका दहन होने तक कोई शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जाता।
 
उसके बाद होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक प्रतिदिन कुछ लकडि़यां इकट्‍ठी कर उसमें डाल दी जाती है। इस प्रकार होलिका दहन के दिन तक यहां लकडियों का ढेर बन जाता है। फिर मोहल्ले के सभी निवासीजन होलिका दहन करके अच्छे जीवन की कामना करते है और बच्चों की मंडली होली खेलने में रम जाते हैं। 5 दिनों तक मनाए जाने वाले होली के इस पावन पर्व पर सभी के घरों में गुझिया, भजिए-श्रीखंड और पूरन-पोली बनाकर होली का त्योहार मनाया जाता है।
 
Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

झाड़ू से क्या है माता लक्ष्मी का कनेक्शन, सही तरीके से झाड़ू ना लगाने से आता है आर्थिक संकट

30 को या 31 अक्टूबर 2024 को, कब है नरक चतुर्दशी और रूप चौदस का पर्व?

बुध ग्रह का तुला राशि में उदय, 4 राशियों के लिए रहेगा बेहद शुभ समय

करवा चौथ पर राशि के अनुसार पहनें परिधान

Diwali muhurat 2024 : दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त और सामग्री सहित पूजा विधि

सभी देखें

धर्म संसार

23 अक्टूबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 अक्टूबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Diwali 2024 : इस दिवाली तेल नहीं पानी के दीयों से करें घर को रोशन

Rama ekadashi date time: रमा एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व और कथा

Radhakunda snan 2024: कार्तिक कृष्ण अष्टमी पर राधा कुंड स्नान का क्या है महत्व?

अगला लेख
More