होली 2022 : रंगारंग होली के त्योहार की 10 रोचक बातें

Webdunia
रविवार, 6 मार्च 2022 (09:57 IST)
हिन्दू माह अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दूसरे दिन मनाते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है, दूसरे दिन धुलेंडी मनाते हैं और पांचवें दिन रंगपंचमी बनाते हैं। होली के दिन से हिन्दू कैलेंडर का प्रथम माह चैत्र माह प्रारंभ होता है। इस दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा होती है। इसके बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नववर्ष का प्रारंभ हो जाता है, जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं। आओ जानते हैं इस त्योहार के 10 रोचक तथ्य।
 
 
1. ब्रजमंडल में होती है 45 दिन की होली : ब्रजमंडल लगभग 45 दिन के होली के पर्व का आरंभ वसंत पंचमी से ही हो जाता है। यहां पर लट्ठमार होली खेली जाती है जिस देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं।
 
 
2. तीन दिन तक रहता है यह त्योहार : रंगों का यह त्योहार प्रमुख रूप से 3 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका को जलाया जाता है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन लोग एक-दुसरे को रंग व अबीर-गुलाब लगाते हैं जिसे धुरड्डी व धूलिवंदन कहा जाता है। होली के पांचवें दिन रंग पंचमी को भी रंगों का उत्सव मनाते हैं। भारत के कई हिस्सों में पांच दिन तक होली खेली जाती है।
 
 
3. धुलेंडी क्यों कहते हैं : होली के त्योहार से रंग जुड़ने से पहले लोग एक दूसरे पर धूल और किचड़ चुपड़ते थे इसीलिए इसे धुलेंडी कहा जाता था। कहते हैं कि त्रैतायुग के प्रारंभ में विष्णु ने धूलि वंदन किया था। इसकी याद में धुलेंडी मनाई जाती है। पुराने समय में चिकनी मिट्टी की गारा का या मुलतानी मिट्टी को शरीर पर लगाया जाता था। धुलेंडी को धुरड्डी, धुरखेल, धूलिवंदन और चैत बदी आदि नामों से जाना जाता है। 
 
4. होलका : पहले होली का नाम 'होलिका' या 'होलाका' था। साथ ही होली को आज भी 'फगुआ', 'धुलेंडी', 'दोल' के नाम से जाना जाता है।
 
5. इस तरह जुड़ा त्योहार से रंग : होली के त्योहार में रंग कब से जुड़ा इसको लेकर मतभेद है परंतु इस दिन श्रीकृष्ण ने पूतना का वध किया था और जिसकी खुशी में गांववालों ने रंगोत्सव मनाया था। यह भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रासलीला रचाई थी और दूसरे दिन रंग खेलने का उत्सव मनाया था।
 
 
6. धुलेंडी और रंगपंचमी का फर्क : आजकल होली के अगले दिन धुलेंडी को पानी में रंग मिलाकर होली खेली जाती है तो रंगपंचमी को सूखा रंग डालने की परंपरा रही है। कई जगह इसका उल्टा होता है। धुलेंडी पर शोकसंतप्त लोगों के यहां रंग डालने और बैठने के रिवाज है। रंग पंचमी पर भांग, ठंडाई आदि पीने का प्रचलन हैं।
7 गोविंदा होली : महाराष्ट्र में गोविंदा होली अर्थात मटकी-फोड़ होली खेली जाती है। इस दौरान रंगोत्सव भी चलता रहता है।

 
8. दक्षिण भारत की होली : तमिलनाडु में लोग होली को कामदेव के बलिदान के रूप में याद करते हैं। इसीलिए यहां पर होली को कमान पंडिगई, कामाविलास और कामा-दाहानाम कहते हैं। कर्नाटक में होली के पर्व को कामना हब्बा के रूप में मनाते हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगना में भी ऐसी ही होली होती है।
 
9. भांग और गीत का त्योहार : होली के दिन भांग पीने का प्रचलन भी सैंकड़ों वर्षों से जारी है। कई लोग मानते हैं कि ताड़ी, भांग, ठंडाई और बजिये के बिना होली अधूरी है। आदिवासी और कुछ ग्रामीणजन ढोल-मांदल एवं बांसुरी बजाते हुए ताड़ी पीते और मस्ती में झूमते हैं। मध्यप्रदेश में होली का भगोरिया उत्सव इसी दिन होता है। इस दिन फाग गाते हैं और रंगारंग कार्यक्रम किए जाते हैं। होली गीत के कार्यक्रम के दौरान ठंडाई और मिठाई का वितरण किया जाता है। व्यापारी अपने-अपने तरीके से खाने की चीजें- गुड़ की जलेबी, भजिये, खारिये (सेंव), पान, कुल्फी, केले, ताड़ी बेचते, साथ ही झूले वाले, गोदना (टैटू) वाले अपने व्यवसाय करने में जुट जाते हैं। 
 
10. दुश्मन भी गले मिल जाते हैं : होली के त्योहार के दिन लोग शत्रुता या दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे से गले मिलकर फिर से दोस्त या मित्र बन जाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे से गले मिलते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। 
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