मंगला गौरी का पांचवां व्रत, जानें इसका महत्व और पूजन विधि के साथ कथा

Webdunia
सोमवार, 14 अगस्त 2023 (17:41 IST)
Mangala Gauri Vrat : सावन माह 2023: 15 अगस्त 2023 मंगलवार को मंगल गौरी का पांचवां व्रत रखा जाएगा। इस दिन श्रावण माह की श्राद्ध अमावस्या भी रहेगी। सोमवार जहां भगवान शंकर का दिन है वहीं मंगलवार माता पार्वती का दिन माना जाता है। श्रावण माह मंगलवार मंगला गौरी व्रत रखा जाता है।  
 
मंगला गौरी व्रत का महत्व : 
  1. इस व्रत से दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
  2.  मंगला गौरी सुहाग और गृहस्‍थ सुख की देवी मानी जाती हैं। 
  3. इस दिन देवी पार्वती के गौरी स्वरूप की पूजा होती है। 
  4. यह माता का आठवां स्वरूप है। इन्हें अष्टमी की देवी भी कहा जाता है। 
  5. दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी है। यह माता वृषभ पर सवार हैं। 
 
मंगला गौरी व्रत करने के लाभ : 
  1. भविष्य और नार पुराण के अनुसार इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अत: इस दिन माता मंगला गौरी का पूजन करके मंगला गौरी की कथा सुनना फलादायी होता है। 
  2. ज्योतिषीयों के अनुसार जिन युवतियों और महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन में कमी महसूस होती है अथवा शादी के बाद पति से अलग होने या तलाक हो जाने जैसे अशुभ योग निर्मित हो रहे हो, तो उन महिलाओं के लिए मंगला गौरी व्रत विशेष रूप से फलदायी है। अत: ऐसी महिलाओं को सोलह सोमवार के साथ-साथ मंगला गौरी का व्रत अवश्य रखना चाहिए।
 
कैसे करें मंगला गौरी व्रत?
मंगला गौरी व्रत की पौराणिक कथा:- 
पम्पापुर नामक गांव में एक साहुकार अपनी पत्नी के साथ रहते थे। वे धनवान और सुखी थे, परंतु उनके कोई संतान नहीं थी। बस यही दुख उनके मन को कचोटता रहता। एक दिन साहूकार के घर पर एक साधु आया। उनका खूब आदर-सत्कार किया और अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने मंगलवार को पार्वतीजी की पूजा करने तथा व्रत रखने को कहा। श्रावण मास के पहले मंगलवार से सेठानी ने पार्वतीजी की पूजन करना प्रारंभ किर दिया। उस दिन वह व्रत भी रखतीं। कई महीनों तक उसने व्रत एवं पूजन किया। उसके भक्तिभाव से मां पार्वतीजी प्रसन्न हुईं।
 
एक दिन साहूकार को स्वप्न आया कि जिस आम के वृक्ष के नीचे गणेशजी बैठे हों, उस आम के वृक्ष का फल तोड़कर तेरी पत्नी को खिला दे, तो अवश्य ही पुत्ररत्न की प्राप्ति होगी। अब तो साहूकार ऐसे आम के वृक्ष को ढूंढता फिरा। एक दिन उस ऐसा आम का वृक्ष दिखाई दे गया, तब फल तोड़ने के लिए उसने पेड़ पर पत्‍थर मारे। आम का फल तो प्राप्त हो गया, परंतु गणेशजी को पत्थर लग जाने से उन्होंने श्राप देते हुए कहा- हे स्वार्थी मनुष्य, तूने अपने स्वार्थ के कारण मुझे चोट पहुंचाई है, अत: तुझे भी एक ऐसी ही चोट लगेगी। मां पार्वती के आशीर्वाद से तुझे पुत्र-रत्न की प्राप्ति तो होगी, परंतु वह सर्पदंश के कारण 21 वर्ष की आयु तक जीवित रहेगा। ऐसी वाणी सुनकर साहूकार घबरा गया।
 
उस साहूकार ने आम का फल अपनी पत्नी को खिला दिया, परंतु गणेशजी के श्राप देने वाली बात नहीं बतलाई। 9 माह बाद एक सुंदर बालक का जन्म हुआ। उसका नाम मनु रखा गया। उन्होंने मनु के लाड़-प्यार में कोई कमी नहीं रखी। धीरे-धीरे मनु 20 वर्ष का हो गया। वह अपने पिता के साथ व्यापार करने जाता। एक दिन व्यापार करके लौटते समय दोनों पिता-पुत्र भोजन करने के निमित्त एक गांव के पास तालाब के किनारे पेड़ की छांव में बैठ गए और भोजन (सिरावनी) करने लगे।
 
तदंतर उस गांव की दो लड़कियां उस तालाब पर कपड़े धोने आईं। वे लड़कियां नवयौवना की भांति हंसमुख, फुर्तीली एवं उच्च-सभ्य घर की प्रतीत हो रही थीं। कपड़े धोते समय वे आपस में वार्तालाप करती जातीं। उनमें से कमला ने कहा- क्योंरी मंगला, तुझे याद है, मैं कब से मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत करती हूं। अब तो अगले मंगलवार व्रत का उद्यापन भी करूंगी। इस व्रत के करने से मुझे मेरे मन लायक पति मिलेगा और सुख-चैन से रहूंगी। ऐसा कहते हुए कमला ने आगे कहा- मंगला, तू भी अगले साल श्रावण मास से पहले मंगलवार से व्रत करना चालू कर देना। तो तुझे भी मनपसंद वर मिलेगा। इस व्रत को करने से पति की आयु भी बढ़ती है। तब तो मंगला भी व्रत करने को राजी हो गई।
 
पेड़ के नीचे भोजन करते समय वे दोनों पिता-पुत्र उन लड़कियों की बातचीत सुन रहे थे। उन लड़कियों के वार्तालाप से सेठजी ने समझ लिया कि कमला नाम की लड़की अपने पुत्र के विवाह के लिए सर्वथा उपयुक्त है। सेठजी ने अपने पुत्र की मनोभावना जानने के लिए पुत्र से कई तरह की बातें कहीं। पुत्र भी अपने पिता के विचारों से सहमति प्रकट करता। अत: सेठजी ने अपने पुत्र का कमला के साथ विवाह करने का निश्चय कर लिया और सोचा कि ऐसा होने पर मेरे पुत्र की आयु बढ़ सकती है और कोई अनहोनी घटना भी टल सकती है।
 
अब पिता-पुत्र कमला के पीछे-पीछे उसके घर गए। कमला के पिता भी नामी साहूकार थे। सेठजी ने कमला के पिता से अपने पुत्र के विवाह के बारे में बातचीत की। वे कमला का विवाह मनु के साथ करने को सहमत हो गए। शुभ मुहूर्त में बड़ी धूमधाम से उनका विवाह संपन्न हो गया। दोनों ने पति-पत्नी के रूप में संसार चलाना शुरू किया तो घर में आनंद का वातावरण रहने लेगा।
 
कमला ने ससुराल में आकर भी मंगला गौरी का व्रत नियमानुसार चालू रखा जिससे माता पार्वती एक दिन कमला को स्वप्न में दर्शन देकर कहने लगी- मैं तेरे व्रत से प्रसन्न हूं, लेकिन तेरे पति की आयु बहुत कम है। अगले महीने मंगलवार को एक सर्प तेरे पति के प्राण लेने आएगा, लेकिन तू घबराना नहीं। सर्प के लिए एक प्याले में मीठा दूध रखना, उसके पास एक खाली मटकी रख देना। सांप दूध पीकर अपने अपने आप मटकी के अंदर बैठ जाएगा, तब तू जल्दी से उस मटकी का मुंह कपड़े से बांध देना और उसे जंगल में छोड़ आना। इससे तेरे पति के प्राण बच जाएंगे।
 
अब मंगलवार का दिन आया। कमला ने किसी को कुछ नहीं बताया और माता पार्वती के कहे अनुसार सारा कार्य कर दिया। मां पार्वती की कृपा से कमला के पति के प्राण बच गए। इस प्रकार व्रत के प्रभाव से मनु दोषमुक्त हो गया। जब घर लोगों को सारी घटना मालूम हुई तो सबने खुशी मनाई। अब तो चारों ओर कमला का गुणगान होने लगा। गांव की महिलाओं ने कमला से व्रत का विधि-विधान पूछा और व्रत करने लगीं। कमला ने भी अगले मंगलवार विधि-विधान से मंगला गौरी व्रत का उद्यापन भव्य रूप से कराया। ब्राह्मणों को भोजन करा यथेष्ठ दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dev Diwali 2024: देव दिवाली पर यदि कर लिए ये 10 काम तो पूरा वर्ष रहेगा शुभ

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

शुक्र के धनु राशि में गोचर से 4 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

सभी देखें

धर्म संसार

khatu shyam ji birthday: खाटू श्याम अवतरण दिवस पर जानिए उनकी पूजा करने का तरीका

dev uthani ekadashi katha 2004: देवप्रबोधिनी एकादशी की पौराणिक कथा

khatu shyam ji birthday: खाटू श्याम अवतरण दिवस, जानिए उनकी कहानी

Khatu shyam train from indore : इंदौर से खाटू श्याम बाबा मंदिर जाने के लिए कौनसी ट्रेन है?

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

अगला लेख
More