माघ माह के बाद फाल्गुन माह आता आता है। इसे फागुन माह भी कहते हैं। यह हिन्दू कैंलेंडर या पंचांग के वर्ष का अंतिम माह होता है। इस माह में महाशिवरात्रि और होली का त्योहार प्रमुख रूप से मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 6 फरवरी से यह माह प्रारंभ हो गया है। होलिका दहन के दिन यह माह समाप्त हो जाता है। आओ जानते हैं इस माह का महत्व।
- इस माह में आठ दिन का होलाष्टक का समय रहता जबकि सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य बंद रहते हैं।
- इस माह में श्रीहरि विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर भक्त प्रहलाद की हिरण्यकश्यप से रखा की थी।
- इसी माह में भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था और बाद में देवी रति को कामदेव से मिलने का वरदान दिया था।
- इस माह में दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। जरूरतमंदों को यथाशक्ति के अनुसार शुद्ध घी, सरसों का तेल, मौसमी फल, अनाज, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
- इसके साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- हिन्दू धर्म के अनुसार अनेक देवताओं में से एक हैं चंद्र देवता। चंद्र के देवता भगवान शिव है और शिव जी ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण कर रखा है।
- चंद्रमा का जन्म फाल्गुन में मास में होने के कारण इस महीने चंद्रमा की उपासना करने का विशेष महत्व है।
- फाल्गुन में पूरे महीने भर में चंद्र देव, भगवान शिव और भगवान श्री कृष्ण की उपासना करना विशेष फलदायी मानी गई है।
- इस माह की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र में आने के कारण ही इस माह का नाम फाल्गुन पड़ा है।
- फाल्गुल मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश मंदिर में जाकर श्री गणेश की मूर्ति का विधिवत पूजन कर तिल से बने पदार्थों को भोग लगाने की मान्यता है तथा तिल से हवन करने के बाद व्रत पारण का बहुत महत्व है।
- फाल्गुल महीने में अपने खान-पान और जीवनचर्या में बदलाव करना बहुत ही खास माना गया हैं, क्योंकि इस माह भोजन में अनाज का प्रयोग कम करके मौसमी फलों का सेवन अधिक करने की मान्यता है।
- फाल्गुन मास को आनंद और उल्लास का महीना भी कहा जाता है।
- इस माह में संतान पाने की चाह रखने वालों को बाल कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।