बेटियों के दिन नहीं युग होते हैं : बिटिया दिवस पर सुंदर कविता

गरिमा मिश्र तोष
बेटियों के दिन नहीं
युग होते हैं
बेटियां सृष्टि नहीं
दृष्टि होती हैं
 
बेटियां ‍विश्वास हैं
आभास हैं
साथ हैं
तो श्वास है 
 
बेटियों के कल्प नहीं
संकल्प होते हैं
बेटियां भार नहीं
आभार होती हैं
 
बेटियां विश्वास हैं
सत्य का प्रकाश हैं
पास हैं
तो आस हैं
 
बेटियों के विकल्प नहीं
संबंधों के शिल्प होते हैं
बेटियां पराई नहीं
पीर भराई होती हैं
 
बेटियां कमज़ोरी नहीं
साहस होती हैं
बेटियां दान नहीं
सम्मान हैं
 
बेटियां धर्म ही नहीं 
धर्म का अभिमान हैं
बेटियां सत्य ही नहीं
सत्य का संधान हैं
 
बेटियों के दिन नहीं
युग होते हैं
बेटियां हैं तो सकल
ब्रह्मांड है....

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