तुमने थामा था जिस अहिंसा का दामन
मैं चाहता हूं मेरे हाथ भी पहुंचे उस तक
थाम कर जिस सत्य की डंडी को तुमने
की थी डांडी यात्रा और अन्य कई यात्राएं
मैं चाहता हूं, मेरे हाथ भी छूएं सत्य की वो डंडी
तुम्हारे बताए रास्ते पर चलूं
तुम्हारें सिद्धांतों और पद चिन्हों का
अनुसरण करूं
तुम्हें खुद में जीकर बता दूं दुनिया को
फिर इक बार महात्मा गांधी नाम की ताकत,
दूं शांति का परम संदेश, जो तुम्हारे सिद्धांतों में
बह रहा है आज भी
पर लाख कोशिश के बावजूद नहीं होता ऐसा,
मेरा अहं इन सब पर फेर देता है पानी
वो नहीं बनने देता तुम्हें मेरा आदर्श
बस तुम्हारा नाम लेकर खोया रहता है
कई तरह की औपचारिकताओं में
करता है जयघोष और गांधी बनने के