कवि अटल जी की कविता : रोते-रोते रात सो गई

Webdunia
रोते-रोते रात सो गई
 
झुकी न अलकें
झपी न पलकें
सुधियों की बारात खो गई।
 
दर्द पुराना,
मीत न जाना,
बातों में ही प्रात: हो गई।
 
घुमड़ी बदली,
बूंद न निकली,
बिछुड़न ऐसी व्यथा बो गई।

ALSO READ: जब जनता पार्टी टूटी थी तो यह रचा था कवि अटल ने...

ALSO READ: अटल जी की कविता : क्या खोया, क्या पाया जग में

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

आंखों को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो इन 4 चीजों को जरूर करें अपनी डाइट में फॉलो

प्रेगनेंट महिलाओं के लिए गजब हैं शकरकंद के फायदे, ऐसे करें डाइट में शामिल

भारत की Coral Woman उमा मणि, मूंगा चट्टानों के संरक्षण के लिए दादी बनने की उम्र में सीखी डाइविंग

ज्यादा नमक खाने से सेहत को होती हैं ये 7 समस्याएं, शरीर में दिखते हैं ये संकेत

क्या गुस्सा करने से बढ़ जाता है Heart Attack का खतरा? जानिए कैसे रहें शांत

सभी देखें

नवीनतम

क्या वजाइनल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है मसालेदार खाना?

श (Sh) अक्षर से ढूंढ रहे हैंa अपनी लाड़ली के लिए नाम

लोटपोट हो जाएंगे यह चुटकुला पढ़कर: प्रेमिका का जवाब सुनकर प्रेमी पहुंचा ICU में

शरीर में इसलिए मारता है लकवा! कहीं आप तो नहीं कर रहे ये गलतियां? जानें बचाव

अगला लेख
More