मिर्जा गालिब : अपनी सोच के जादू से नई दुनिया रचने वाली शख़्सियत

Webdunia
'असद' उस जफ़ा पर बुतों से वफ़ा की, मिरे शेर शाबाश रहमत खुदा की। 
 
इतिहास वही बनाते हैं, जो इस परंपरावादी दुनिया की सारी सीमाओं को तोड़कर जज्बातों के बवंडर से नई सूरत तैयार करते हैं। ऐसी शख्सियतें खुद अपनी सोच के जादू से नई दुनिया रचते हैं। ऐसे ही थे मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग खान अर्थात ग़ालिब, ऐसा शख्स जिसने प्रेम और दर्शन के नए पैमाने तय किए पर जिसकी जिंदगी खुद ही वक्त और किस्मत के थपेड़ों से लड़ती रही, लेकिन थकी नहीं।
 
उनकी कलम ने दिल की हर सतह को छुआ, किसी भी मोड़ पर कतराकर नहीं निकले। जिंदगी ने उनकी राह में कांटे ही बोए, पर वे उनका जवाब अपने लफ्जों के गुलों से देते रहे। हिज्र और विसाल दोनों के गले में एकसाथ हाथ डालकर चलते रहे। वेदना को अद्भुत शब्द देने की उनकी जादूगरी का कायल सारा संसार है। उन्होंने जीवन को यायावरी शैली में ही जिया। उनके शेर शब्दों के हुजूम नहीं हैं बल्कि वह तो जज्बातों की नक्काशी से बनी मुकम्मल शक्ल है। 
 
बचपन आराम में : उनका बचपन बड़े ही आराम से गुजरा। ग़ालिब की पैदाइश 27 दिसंबर 1717 को काला महल, आगरा में हुई और मौत 15 फरवरी 1869 को दिल्ली में। उन्हें जिंदगी में हर चीज़ का तज़ुर्बा हुआ पर वो हमेशा अधूरी ही रही, मुकम्मल नहीं हो पाई। वे जब चार साल के थे तभी उनके पिता अब्दुल्ला बेग खाँ का इंतेकाल हो गया। वे बचपन से ही अनियंत्रित, स्वच्छंद स्वभाव के थे। 
 
यह स्वभाव पूरी जिंदगी उन पर हावी रहा। जीवन में जिम्मेदारी से कोई अच्छी नौकरी लेकर गृहस्थ जीवन बिताने की ओर उनका ध्यान नहीं गया। उनकी शादी 13 वर्ष की उम्र में नवाब इलाही बख्श खान की बेटी उमराव बेगम से हुई। गालिब की सात संतानें हुईं, पर कोई भी जीवित नहीं रह सकी। उनकी शायरी में गम का ये कतरा भी घुलता रहा। उन्होंने कहा था- 
 
शहादत थी मिरी किस्मत में, जो दी थी यह खू मुझको 
जहाँ तलवार को देखा, झुका देता था गर्दन को। 
 
यानी मेरा जुनून मुझे बेकार बैठने नहीं देता, आग जितनी तेज है उतनी ही मैं और उसे हवा दे रहा हूं, मौत से लड़ता हूं और नंगी तलवारों पर अपने शरीर को फेंकता हूं, तलवार और कटार से खेलता हूं और तीरों को चूमता हूं। (संदर्भ - दीवान-ए-गालिब)
 
उधार की शराब : एक बार का वाकया है जब ग़ालिब उधार ली गई शराब की कीमत नहीं चुका सके। उन पर दुकानदार ने मुकदमा कर दिया। अदालत में सुनवाई के दौरान उनसे सवाल-जवाब हुए तो उन्होंने एक शेर पढ़ दिया...
 
कर्ज की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां, 
रंग लाएगी हमारी फाकामस्ती एक दिन। 
 
इतना ही कहने पर कर्ज माफ हो गया और उन्हें छोड़ दिया गया।
 
नौकरी से इंकार : ग़ालिब को फारसी में महारत हासिल थी। एक दफा उन्हें दिल्ली के कॉलेज में फारसी पढ़ाने के लिए बुलवाया गया। वे पालकी में सवार होकर पहुँचे, पर कोई गेट पर अगवानी के लिए नहीं आया। ग़ालिब भी अंदर नहीं गए और कहा कि साहब मेरे स्वागत के लिए बाहर नहीं आए इसलिए मैं भी अंदर नहीं जाऊंगा। मैंने ये नौकरी इसलिए करनी चाही, क्योंकि अपने खानदान की इज्ज़त बढ़ाना चाहता था न कि इसलिए कि इसमें कमी आ जाए। ऐसा कहकर वे वापस आ गए। 
 
ऐसा आत्मसम्मान था उनमें कि जब माली हालत ठीक नहीं थी तब भी उन्होंने अपन स्वाभिमान का सौदा नहीं किया। वे अपना अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। यह सुनने में गलत लगे परंतु वे हमेशा सकारात्मक रहे और अपने अभिमान को साथ लेकर चले। कभी उसे चोट नहीं लगने दी। वे किसी भी मजहबी रंगत के बजाय इंसानियत को ही तवज्जो देते थे। 
 
मुसलमान हूं पर आधा : एक बार ग़ालिब को अंग्रेजों ने पकड़ लिया और सार्जेंट के सामने पेश किया। उनका वेश देखकर पूछा- क्या तुम मुसलमान हो? तब ग़ालिब ने जवाब दिया कि मुसलमान हूं पर आधा, शराब पीता हूं, सूअर नहीं खाता। 
 
ग़ालिब की जिंदगी फक्कड़पन में गुजरी। वे अपनी पूरी पेंशन शराब पर ही खर्च दिया करते थे। कभी-कभी इंसान के सामने अभाव और संघर्ष मोटी दीवार खड़ी होती है। आदमी उससे टकराकर टूट भी जाता है तो कभी जीत भी जाता है। जो भी उस दीवार में दरार पैदा करने में कामयाब होता है, मंजिल वही पाता है क्योंकि उन्हीं दरारों से नैसर्गिकता, मौलिकता और रचनात्मकता फूटती है। यही वो चीज है जिसने ग़ालिब को मकबूल बनाया। उन्होंने दर्द को भी एक आनंद का जामा पहनाकर जिंदगी को जिया। उन्होंने 'असद' और 'ग़ालिब' दोनों नामों से लिखा। 
 
फारसी के दौर में गजलों में उर्दू और हिन्दी का इस्तेमाल कर उन्होंने आम आदमी की जबान पर चढ़ा दिया। उन्होंने जिन्होंने जीवन को कोरे कागज की तरह देखा और उस पर दिल को कलम बनाकर दर्द की स्याही से जज्बात उकेरे। उनकी जिंदगी का फलसफा अलहदा था जो इस शेर में है...
 
था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता।
डुबोया मुझ को होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
 
- अखिलेश पुरोहित 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

क्या है microblading treatment? जानिए कैसे बदल देती है ये आपके चेहरे का लुक

ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं तो हो जाइए सावधान, कहीं हो ना जाएं किसी स्कैम के शिकार

पानी में मिलाकर पिएं ये 10 रुपए वाली चीज, सेहत को मिलेंगे 6 गजब के फायदे

वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद है नारियल तेल, बस जान लें इस्तेमाल करने का सही तरीका

इन 6 बीमारियों के लिए चमत्कार से कम नहीं आम का पत्ता! जानें कैसे करें इस्तेमाल

सभी देखें

नवीनतम

17 सितंबर जन्मदिन पर विशेष: भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में 25 दिलचस्प बातें

क्या आपको भी पसंद है चाय के साथ नमकीन खाना? सेहत को हो सकते हैं ये 5 नुकसान

Chiffon Saree StylingTips : शिफॉन साड़ी में खूबसूरत दिखने के टिप्‍स

ऑफिस के लिए 5 best corporate outfit ideas, जानिए किन आउटफिट्स से मिलेगा परफेक्ट प्रोफेशनल लुक

खाने के बाद चबाएं एक पान का पत्ता, सेहत को मिलेंगे ये 7 गजब के फायदे

अगला लेख
More