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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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उड़ चल कहीं, बह चल कहीं, दिल खुश जहाँ

संगत में इस बार प्रसून जोशी के गीत पर टिप्पणी

हमें फॉलो करें उड़ चल कहीं, बह चल कहीं, दिल खुश जहाँ

रवींद्र व्यास

Ravindra VyasWD
इधर बॉलीवुड सिनेमा में जिन गीतकारों ने अपने गीतों में अच्छी कविताई करके खासा नाम कमाया है उनमें प्रसून जोशी शिखर पर हैं। कुछ गीत अपने पास बुलाते हैं, कुछ पास आकर दिल के करीब धड़कने लगते हैं। कुछ गीत आपको अवसाद की सीलन से खींच कर गुनगुनी धूप में लाकर बैठा देते हैं।

इसे सुनकर अवसाद की सीलन गायब हो जाती है और वहाँ उम्मीद की तितली अपने रंग-बिरंगे पंख पसारे आपको जीवन की बगिया में आने के लिए बुलाती लगती है। कुछ गीत आपके दुःख के काले-भूरे रंगों को पोंछकर हरे-नीले छींटे मार देते हैं, जो एकबारगी आपको खिलने का, खिलखिलाने का मौका देते हैं।

आपको लगता है अरे ये खूबसूरत रंग तो हमने अब देखे ही नहीं थे। कुछ गीत आपको सूनेपन की चहारदीवारी से बाहर लाकर गुनगुनाते झरने के सामने लाकर खड़ा कर देते हैं। आप उनकी ठंडी फुहारों और मीठे संगीत को सुनकर सब भूल जाते हैं। सूनापन दूर होता है और आपमें एक लय गूँजने लगती है।

लगता है सब धुल गया है। आप एक ताजापन में नहाए जीवन को एक प्रसन्न आँख से देखने लगते हैं। कुछ गीत आपको आपके ही अँधेरे में आपकी ही रोशनी से आपके ही भीतर खिले रंगों से ऐसा परिचय कराते हैं कि लगता है अरे ये रंग तो हमारे ही हैं। आप उछल पड़ते हैं। खुश हो जाते हैं। जीवन में लौट आते हैं। उदासी गायब हो जाती है।

आशाएँ और उम्मीद खिलने लगती हैं। कुछ गीत आपकी आप से ही बेहतर पहचान कराते हैं। वे आपको काली घुटन से बाहर लाकर खुले नीले आसमान में साँस लेने का भरपूर मौका देते हैं। आप देखते हैं यह जीवन है, खुशी से भरपूर। रंगों से भरपूर। उम्मीदों से भरपूर। और आप नाचने लगते हैं।

यही जीवन की सहजता है। यही जीवन का आशामय दर्शन है। यही जीवन का आनंद है। यही जीवन का असल आईना है जिसमें जीवन की प्रसन्न छवियाँ दरअसल आपकी ही प्रसन्न छवियाँ हैं।

प्रसून जोशी का एक गीत ऐसा ही है। यह गीत उन्होंने फिल्म तारे जमीं पर के लिए लिखा है। गीत के बोल हैं- तू धूप है छम् से बिखरकर, तू है नदी ओ बेखबर। इस गीत को ध्यान से सुनेंगे तो इसके भाव, रंग, बिम्ब तो आकर्षित करेंगे ही लेकिन इस गीत की खूबी यह है कि यह आपको जीवन की ओर, उजाले की ओर ले जाता है।

यह दुःख को, अवसाद को, घुटन को धो डालने, पोंछ डालने की बात करता है। बहुत खूबी से, बहुत सादा लफ्जों में, एक अदा के साथ। ये लफ्ज आपको छूते हैं, यह खूबी आपको मोहित करती है, यह अदा आपको लुभाती है। और इस गीत के जादू में खो जाते हैं।

इस गीत के स्ट्रक्चर पर ध्यान देंगे तो पाएँगे कि यह एक कॉन्सेप्चुअल सॉन्ग है। एक मोटिवेशनल सॉन्ग है। इस गीत में जिंदगी की कहानी है। एक सुंदर कहानी। यह गीत किसी एक के लिए नहीं, सब के लिए है। उनके लिए जो अँधेरे में, घुटन में हताश बैठे हैं। यह गीत उन्हें कुछ कहता है, कुछ ऐसा कि मन की यह हताश दशा बदले, बाहर का मौसम भी बदले और माहौल भी बदले।

गीत इन पंक्तियों से शुरू होता है। बहुत धीमे-धीमे, लय में उठता हुआ, अपने पास बुलाता हुआ। बोल पर गौर करें-

  आपको लगता है अरे ये खूबसूरत रंग तो हमने अब देखे ही नहीं थे। कुछ गीत आपको सूनेपन की चहारदीवारी से बाहर लाकर गुनगुनाते झरने के सामने लाकर खड़ा कर देते हैं। आप उनकी ठंडी फुहारों और मीठे संगीत को सुनकर सब भूल जाते हैं...      
खोलो खोलो दरवाज
परदे करो किनार
खूँटे से बँधी है हवा
मिलके छुड़ासारे
ये शुरुआत की चार पंक्तियाँ हैं जो उन्मुक्त करना चाहती हैं, आजाद करना चाहती हैं, हवा हो या हम खुद ही क्यों नहीं जो एक खूँटे से बँधे हुए हैं। दरवाजे खोलने, परदे किनारे करने की बात है ताकि घुटन कुछ कम हो, फिर खूँटे से बँधी हवा को मुक्त करने की बात है और इसमें सबको शामिल करने की बात है। यानी सारे मिलकर कुछ ऐसा कर दें कि भीतर-बाहर का मौसम बदल जाए।

  इस गीत को फिर से सुनिए। जीवन का संगीत सुनिए। अपने भीतर के संगीत को सुनिए। और अपने खो गए सितारे को फिर पा लीजिए। इसी से हमारे जीवन में छाया अँधेरा दूर होगा, जगमग सारा जहाँ होगा, रोशन सारी जमीं होगी ...      
लेकिन यह बदलाव कैसे होगा। प्रसून कुछ इस तरह बताते हैं-

आ जाओ पतंग लेक
अपने ही रंग लेक
आसमाँ का शामियान
आज हमें है सजाना
ये चार पंक्तियाँ कुछ जज्बा पैदा करती हैं, नई ऊर्जा से भर देती हैं। इसी जज्बे से आसमान को शामियाने में बदलकर सजाने की बात भी है। अपनी ही पतंग से, अपने ही रंग से सजाने की बात है। और फिर अपने को पहचानने की बात है-

क्यूँ इस कदर है हैरान त
मौसम का है मेहमान त
ओ दुनिया सजी तेरे लि
खुद को जरा पहचान तू
फिर यह गीत हमारी खुद से पहचान कराता है। बताता है क्या है तू। कोई धीर-गंभीर बात नहीं, कोई दुरुह दर्शन नहीं बल्कि हमारे आसपास बिखरी धूप और बहती नदी से प्रेरणा लेकर कही गई एक सीधी-सच्ची बात है। सीधे दिल से निकली। सीधे दिल में उतरती हुई...

तू धूप है छम् से बिख
तू है नदी ओ बेखब
बह चल कहीं, उड़ चल कही
दिल खुश जहा
तेरी तो मंजिल है वहीं...

कितनी खूबसूरत बात है। इसमें जीवन को उत्साह से देखने का नजरिया है। इस उत्साह में अपने भीतर देखने का नजरिया है। अपने से बेखबरी दूर करने की बात है। अपने से बाखबर करने की बात है। अपने ही मनचाहे रास्ते पर चलने, उड़ने, बहने की बात है। जहाँ हम खुश हो सकें, जहाँ हम प्रसन्न रह सकें क्योंकि यही तो हमारी मंजिल है।

कितने सारे मैनेजमेंट गुरु हमें जीवन का दर्शन बताते थकते नहीं, अधिकांश ऊबाऊ ढंग से बताते हुए। इस गीत को सुनिए। ये कितनी सहजता से, कितने गहरे मायने के साथ आपको आपकी ताकत का अहसास कराता है। आपकी खासियत का अहसास कराता है और आपकी मंजिल की ओर उड़ने-बहने की जज्बेभरी बात कहता है।

यही इस गीत की ताकत है। यही इस गीत की खूबी है कि यह जीवन का दर्शन गाते हुए बताता-समझाता है। यह जीवन का गाता हुआ दर्शन है। बहुत सादा लेकिन अपने में गहरे धड़कता हुआ। आपको अपनी धड़कनों के पास ले जाता हुआ ताकि आप अपनी धड़कनों को सुन सकें।
धीरे-धीरे यह गीत यही बात करता हुआ कितनी खूबी से आगे बढ़ता हुआ आपको भी आगे ले जाने की बात करता है। सुनिए-

बासी जिंदगी उदास
ताजा हँसने को राज
गरमागरम अभी-अभी है उतार
जिंदगी तो है पताशा. मीठी-मीठी-सी आश
चख ले हथेली पे रख ले, ढँक ले इस

तुझमें अगर प्यास ह
बारिश का घर भी प्यास ह

रोके कोई तुझे क्यूँ भल
संग-संग तेरे आकाश है

यहाँ तक गीत आपको प्रेरणा देता है, कहीं चलने की बात करता है, अपने को पहचानने की बात करता है। और जब आप अपने को पहचान लेते हैं तो सारा अँधेरा, सारी घुटन, सारा अवसाद धुल जाता है, बह जाता है।

और इस अँधेरे को दूर कर जो उजाला पैदा होता है उसमें एक रास्ता खुल जाता है। इसमें हमें खोया हमारा ही सितारा मिल जाता है। बस फिर क्या है सारी दुनिया बदल जाती है। चारों ओर जगमग-जगमग है, चारों ओर रोशनी ही रोशनी हैः

खुल गया आसमाँ का रस्ता देखो खुल गय
मिल गया खो गया था जो सितारे मिल गय
रोशन हुई सारी जमी
जगमग हुआ सारा जहा
उड़ने को तू आजाद ह
बंधन कोई अब है कहाँ

क्या बात है। अब कोई बंधन नहीं क्योंकि संग-संग हमारे आकाश है। हम धूप हैं, हम नदी हैं और हमारी मंजिल वहीं हैं जहाँ हमारा दिल खुश रह सके।

  और इस अँधेरे को दूर कर जो उजाला पैदा होता है उसमें एक रास्ता खुल जाता है। इसमें हमें खोया हमारा ही सितारा मिल जाता है। बस फिर क्या है सारी दुनिया बदल जाती है। चारों ओर जगमग-जगमग है, चारों ओर रोशनी ही रोशनी है ..      
तू धूप है छम् से बिखरक
तू है नदी ओ बेखबर
बह चल कहीं, उड़ चल कहीं,
दिल खुश जहा
तेरी तो मंजिल है वहीं।

इस गीत को फिर से सुनिए। जीवन का संगीत सुनिए। अपने भीतर के संगीत को सुनिए। और अपने खो गए सितारे को फिर पा लीजिए। इसी से हमारे जीवन में छाया अँधेरा दूर होगा, जगमग सारा जहाँ होगा, रोशन सारी जमीं होगी। कोई बंधन नहीं, अब हम उड़ने के लिए आजाद हैं।

कहने दीजिए यह गीत हमें अपने ही भीतर झाँकने का मौका देता है। हम भीतर झाँकें और अपने को ही पा लें। यही तो हमारी सच्ची मंजिल है। दुनिया के तमाम दर्शन भी यही कहते हैं। यह गीत इसे अपने तरीके से कहता है। सुनो और अपने को पा जाओ।

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