कुछ ख्वाब परिंदे बनकर हम भी जिएंगे...
नई दिल्ली, त्रिभाषी कवयित्री परोमा भट्टाचार्य का कविता संग्रह पहला गन्तव्य का विमोचन राजधानी स्थित साहित्य कला अकादमी में किया गया। यह संग्रह कवयित्री के जीवन के अनुभवों पर आधारित है। इसमें बड़ी ही खूबसूरती से जिंदगी के बारीक से बारीक अनुभवों को शब्दों में पिरोया गया है। पाठन की दृष्टि से यह भावों को समेटे हुए राजमंगल प्रकाशन की ओर से प्रकाशित एक रोचक संग्रह है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के उपमहानिदेशक (प्रशासनिक) गंगा कुमार, विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रख्यात कवयित्री व रंगमंच कलाकार मालविका जोशी, शिक्षाविद् रमोला कुमार और पटना लिटरेचर फेस्टिवल की क्रिएटिव डायरेक्टर आराधना प्रधान ने कविता संग्रह पहला गन्तव्य का विमोचन किया।\
साथ ही इन्होंने कविता संग्रह की कुछ कविताओं का काव्य पाठ भी किया, जिसका उपस्थित जनसमूह ने करतल ध्वनि से स्वागत किया। मुख्य अतिथि गंगा कुमार ने त्रिभाषी कवयित्री की तारीफ करते हुए कहा कि एक ऐसे क्षेत्र से आना, जहां की पहली भाषा हिंदी न हो और उसके बाद भी हिंदी में कविता संग्रह लिखना, दर्शाता है कि लेखिका कितनी बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं।
गंगा कुमार स्वयं साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गहन रुचि रखते हैं और उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। वहीं, विशिष्ट अतिथि रमोला, जो कि कवयित्री की शिक्षिका भी रह चुकी हैं, ने कहा कि परोमा ने हमेशा से कठिन और नए लक्ष्यों को चुना है।
विशिष्ट अतिथि अराधना प्रधान ने लेखन में उम्मीद की प्रबलता को इसकी खूबी बताया। विशिष्ट अतिथि मालविका जोशी ने जिंदगी के हर पहलू को कवयित्री द्वारा छूने की विशेष सराहना की।