भारत में राजनैतिक कार्टून पीएचडी, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, लंदन में दर्ज

Webdunia
राजनैतिक कार्टून अखबारों और पत्रिकाओं का सतत हिस्सा बने रहे हैं। एक जमाना था जब कार्टून कोना ही वह पहली सामग्री होती थी जिस पर पाठकों की नजर पड़ती थी। आज कार्टून की वह स्थिति नहीं दिखाई पड़ती। भारत में राजनैतिक कार्टून का क्या महत्व है और वर्तमान समय में इसकी क्या स्थिति है पर डॉ. प्रवीण तिवारी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से साल 2006 में पीएचडी की थी।

इस पीएचडी को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड, लंदन ने भारत में कार्टून पर हुई पहली पीएचडी के तौर पर औपचारिक रूप से दर्ज कर लिया है। केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम के साथ इंदौर में आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम में इसका प्रमाण पत्र डॉ. प्रवीण तिवारी को दिया। डॉ. तिवारी ने यह सम्मान अपने पिता श्रीराम तिवारी को समर्पित किया और उन्हीं ने इस कार्यक्रम में यह प्रमाण पत्र अपने बेटे की ओर से लिया।

आज जनसंचार के कई विद्यार्थी देश में कार्टूनिंग पर पीएचडी करते हैं, लेकिन एक ऐसा वक्त भी था जब कोई इस विषय के बारे में सोच भी नहीं पाता था। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह एक दिलचस्प विषय है लेकिन इसके बारे में कोई साहित्य उपलब्ध न हो पाना, छात्रों के सामने एक बड़ी चुनौती पेश करता था। प्रो. मानसिंह परमार ने अपने छात्र डॉ. प्रवीण तिवारी को इस विषय पर शोध करने के लिए प्रेरित किया और इस तरह देश में पहली बार राजनैतिक कार्टून पर कोई वृहद शोध कार्य पूरा हो पाया।
 
इस शोध को करने की प्रेरणा डॉ. तिवारी को महान कार्टुनिस्ट लक्ष्मण के साथ भोपाल में आयोजित की गई एक वर्कशॉप के दौरान मिली। इस वर्कशॉप में आर.के. लक्ष्मण, सुधीर तैलंग जैसे कई जाने माने कार्टुनिस्टों ने छात्रों को कार्टुनिंग की बारीकियों से अवगत कराया था। इस वर्कशॉप के दौरान ही प्रवीण को कार्टून से जुड़े लिटरेचर पर काम करने की प्रेरणा मिली। उन्होंने अपना एक शोध निबंध इसी विषय पर रखा।

इस शोध में आर. के. लक्ष्मण, सुधीर तैलंग, उन्नी, लहरी, धोड़पकर, शेखर गुरेरा जैसे कई दिग्गज कार्टुनिस्टों के अनुभव शामिल हैं। इस शोध का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है भारत में राजनैतिक कार्टुनिंग का इतिहास। इसके इतिहास से जुड़ी जानकारियां कहीं भी उपलब्ध नहीं हो पाती हैं। इसके अलावा इस शोध में शंकर, अबु, रंगा, मारियो जैसे कई महान कार्टुनिस्टों के जीवन और कार्टुनिंग पर कही गई बातों पर भी विस्तार से जानकारियां दी गई हैं। 
 
जनसंचार के छात्रों के लिए कार्टुनिंग को समझने की दृष्टि से ये एक महत्वपूर्ण शोध है इसीलिए इस शोध का संपादन एक किताब के रूप में किया गया है। जल्द ही इस शोध का प्रकाशन पुस्तक के रूप में किया जाएगा। देश में पत्रकारिता और जनसंचार के छात्र इसके जरिए पत्रकारिता में कार्टून के महत्व को विस्तार से समझ पाएंगे। स्व. तैलंग पहले ही इस पुस्तक की प्रस्तावना लिख चुके हैं। डॉ. तिवारी ने इस पुस्तक को स्व. तैलंग को ही श्रद्धाजंलि के तौर पर समर्पित किया है।
Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

Health Alert : क्या ये मीठा फल डायबिटीज में कर सकता है चमत्कार? जानिए यहां

Style Secrets : स्मार्ट फॉर्मल लुक को पूरा करने के लिए सॉक्स पहनने का ये सही तरीका जान लें, नहीं होंगे सबके सामने शर्मिंदा

लाल चींटी काटे तो ये करें, मिलेगी तुरंत राहत

बिना महंगे प्रोडक्ट्स के टैन को करें दूर, घर पर बनाएं ये नेचुरल DIY फेस पैक

सर्दियों में रूखी त्वचा को कहें गुडबाय, घर पर इस तरह करें प्राकृतिक स्किनकेयर रूटीन को फॉलो

सभी देखें

नवीनतम

स्ट्रेस फ्री रहने के लिए बस ये काम करना है ज़रूरी

कहीं आपकी कंसीव करने में हो रही देरी के पीछे ये तो नहीं है कारण

बच्चों के लिए खतरनाक है ओवर स्क्रीनटाइम, जानिए क्या है नुकसान

Hairfall Rescue : आपकी रसोई में छिपा है झड़ते बालों की समस्या का ये DIY नुस्खा

सी-सेक्शन के बाद फास्ट रिकवरी में मिलेगी मदद, इन चीजों को करें डाइट में शामिल

अगला लेख
More