एक बार फिर से जगत जननी मां दुर्गा के लिए कुछ लिखूं ऐसा दिल किया। क्यूंकि जब जब नवरात्रियां आती है, चिंतन-मनन, ध्यान, पूजा पाठ का माहौल नजर आता है। (जी हां, नवरात्रियां... क्यूंकि एक चैत्र की नवरात्रि होती है और दूजी शारदीय नवरात्रि, जिसमें बड़ी भक्ति भाव के साथ भक्त कहूं या मां के बच्चे, जो दिल से मां को पुकारते हैं, उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
गुजरात में शाम को जब गरबा-डांडिया होता है, पंजाब में मां का जगराता होता है, बंगाल में धुप आरती होती है और उत्तर प्रदेश में गेहूं के जवारे के बीच कुंभस्थापना के बाद स्नेह सहित मां की आरती होती है। तब ऐसा लगता है कि सच में मां हमारे सामने आ खड़ीं हुईं हैं और मानो अपने बच्चों की पुकार सुनकर सबके दुःख को दूर कर रही हैं। सब ध्यानमग्न हो, अपने जीवन के दुखों को भुलाकर मस्ती में मस्त होकर, मां का गुणगान करते हैं...भारत के सभी राज्यों में मां की पूजा बड़े ही सम्मान से भक्तिभाव से सराबोर होकर की जाती है।
जब ध्यान से मां की आंखों को देखते हैं तो ऐसा लगता है मानो मां से हम बात कर सकते हैं। हम अपने दुःख अपने सुख उसे सुना सकते हैं। इतना जीवंत होता है माता का सुंदर स्वरुप इस 9 दिनों में। वैसे तो हमेशा ही मां का स्वरुप बेहद दयावान और स्नेहमय हुआ करता है, पर इन दिनों की तो बात ही कुछ और है।
आप मां दुर्गा के बारे में, उनके इतिहास के बारे में तो सब जानते ही हो, किंतु आज मुझे आप सबसे इस विषय पर कुछ हटकर बात कहनी है।
आज सामाज में कलियुग का प्रभाव इन पवित्र दिनों में भी दिखता है...आप कहेंगे वो कैसे ? वो ऐसे कि बेटियां, जो हमारे घर की आन-बान-शान हैं, कई लड़के झुंड में खड़े होकर उसका मजाक बनाते हैं, तो कई शराब के नशे में डांडिया खेलने आते हैं और महिलाओं से और बुजुर्गों से बदतमीजी करते हैं, जिससे एक तो पवित्र वातावरण दूषित होता है, दूसरा रंग में भंग पड़ता है। जहां खुशी से लोग नाचते गाते हैं, मां को रिझाते हैं, वही स्थान लड़ाई का मैदान बन जाता है और बेवजह दुश्मनी का कारन बन जाती है ऐसी वारदातें।
इसलिए यदि सभी लोग सोच समझ कर मां के सम्मान में (कम से कम )कन्या स्वरूप देवी शक्ति का अपमान न करें। क्यूंकि आप एक मर्द होकर किसी की बेटी बहन की मजाक बनाते हो और आपके ही घरवाले नवरात्रि के नौवें दिन कन्या के रूप में मां को आमंत्रित करते हैं, कन्या पूजन के लिए। सोचिए, क्या ऐसे में माता दुर्गा आपके घर में आएंगी??? एक महिला का अनादर माता का अनादर है। इसलिए नारी का सम्मान करना सीखें। यही अनुरोध है मेरा ऐसे लोगों से, जो महिलाओं को मानसिक प्रताड़ना के साथ अपमानित किया करते हैं...दूसरों की बहन बेटी का अपमान करने का जब मन बने, तब एक पल को सिर्फ अपनी मां, बहन और बेटी को याद कर लें।
अंत में इतना कहूंगी की हर्षोल्लास के साथ, पूरी पवित्रता से पूजा तो करें ही, साथ ही खुद सुरक्षित रहकर दूसरों को भी सुरक्षित रखें और बड़ी धूमधाम से इस त्योहार का आनंद लें। साथ ही मां का आशीर्वाद लें, इसी में हम सबकी भलाई है।