लेखक-पत्रकार ललित सुरजन को सोशल मीडि‍या पर यूं किया याद

Webdunia
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020 (13:42 IST)
प्रगतिशील विचारक, लेखक, कवि, पत्रकार और संपादक ललित सुरजन का 2 दिसंबर को निधन हो गया। उनके निधन की खबर के बाद सोशल मीडि‍या पर कई लेखक, पत्रकार और कवियों ने उन्‍हें याद किया।

छत्‍तीसगढ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा,

प्रगतिशील विचारक, लेखक, कवि और पत्रकार ललित सुरजन जी के निधन की सूचना ने स्तब्ध कर दिया है। आज छत्तीसगढ़ ने अपना एक सपूत खो दिया। सांप्रदायिकता और कूपमंडूकता के ख़िलाफ़ देशबंधु के माध्यम से जो लौ मायाराम सुरजन जी ने जलाई थी, उसे ललित भैया ने बखूबी आगे बढ़ाया।

ललित सुरजन को मानवीय सरोकारों वाला लेखक और पत्रकार माना जाता था। उन्‍हें याद करते हुए सुदीप ठाकुर ने लिखा,

देशबंधु के प्रधान संपादक ललित सुरजन जी नहीं रहे। दो दिन पहले तक वह निरंतर सक्रिय थे और इस मुश्किल समय में जनपक्षधरता के साथ मजबूती से खड़े थे... उनके निधन से छत्तीसगढ़ ने मानवीय सरोकारों के लिए लड़ने वाला एक योद्धा खो दिया...सादर नमन

असद जैदी ने लिखा,
अलविदा मित्र,

मोहन श्रोत्र‍िय ने लिखा,
यह क्या समय चुना ललितजी, आपने जाने का!
अभी तो आपके सक्रिय रहने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी हमें, और भारतीय पत्रकारिता को!
जिस दिन आप अस्पताल में भर्ती हुए, उसी सुबह तो आपका शानदार संपादकीय आलेख पढा था, हम सबने!
आपका जाना एक ज़रूरी भरोसे का टूट जाना है!
आपकी कमी बहुत लंबे समय तक खलती-अखरती रहेगी!
आपको आख़िरी सलाम, और शोक-संतप्त परिजनों-मित्रों के साथ संवेदनाएं, हमारे परिवार की ओर से!

मनीषा कुलश्रेष्‍ठ ने उन्‍हें याद करते हुए लि‍खा,
ज़हीन संपादक, चिंतक ललित सुरजन जी के निधन ने स्तब्ध कर दिया। श्रद्धांजलि।

रितेश मिश्रा ने लिखा,
ललित सुरजन चले गए
दोस्त और प्रेमी चले गए
क्या आदमी थे !
मेरे छत्तीसगढ़ आने के बाद उन्होंने बहुत मदद की मेरी
सुरजन छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता के स्तंभ थे
नमन उनको

कविता वर्मा ने उन्‍हें यूं याद किया,
आदरणीय ललित सुरजन जी से पहली मुलाकात भोपाल में वागीश्वरी पुरस्कार समारोह में हुई थी जहां मेरे उपन्यास छूटी गलियां का विमोचन उनके हाथों हुआ था। विमोचन के पश्चात मैं एक प्रति पर उनके हस्ताक्षर लेने गई थी तब मन में बहुत संकोच था कि एक नामालूम सी लेखिका जो लेखिका कहलाने की जद्दोजहद में है उसका इस तरह व्यस्त कार्यक्रम में तंग किया जाना उन्हें शायद अच्छा न लगे। लेकिन उन्होंने न सिर्फ बडे़ प्यार और सम्मान के साथ अपने हस्ताक्षर किये बल्कि अपनी स्नेहिल मुस्कान से आश्वस्त भी किया। आपका जाना बहुत बड़ी क्षति है। सादर नमन

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