आज के समय में संस्कृत पढ़ने वालों की संख्या कम हो रही है, लोगों का झुकाव अंग्रेजी की तरफ हो रहा है। ऐसे में संस्कृत में शोध कार्य करना और पीएचडी की उपाधि प्राप्त करना एक सराहनीय प्रयास है।
देवरिया जिला के पटनेजी गांव के रहने वाले ब्रजेंद्र मालवीय ने संस्कृत में पीएचडी प्राप्त कर एक अनुकरणीय उदारहण पेश किया है। उन्होंने श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला विश्वविद्यालय से 'श्रीरामचरितमानस में वर्णित नारीपात्रों के उपदेशों में प्रयुक्त संस्कृत क्रियावाची शब्दों के मौलिकार्थ एवं प्रयोग : एक अध्ययन' विषय पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त किया है।
मालवीय वर्तमान में भारतीय रेलवे में कार्यरत हैं। नौकरी के साथ-साथ उन्होंने अध्ययन भी जारी रखा। हम सभी जानते हैं कि हमारे मौलिक ग्रंथ संस्कृत में हैं, उनमें वर्णित ज्ञान परंपरा तभी सामने आ सकती है जब संस्कृत में अध्ययन हो, शोधकार्य हो। मालवीय द्वारा पीएचडी के लिए संस्कृत भाषा का चयन करना उत्साहवर्धक तो है ही साथ ही संस्कृत के क्षेत्र में संभावनाओं को भी रेखांकित करता है। आज यह आवश्यक है कि मालवीय की तरह अन्य लोग भी संस्कृत में अध्ययन व शोधकार्य करने की पहल करें ताकि वास्तविकता का अनुसंधान किया जा सके।