Hindi Diwas: एक लंबी बहस और संघर्ष के बाद इस तरह हिन्‍दी को चुना गया देश की ‘राष्ट्रभाषा’

Webdunia
प्रति वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। दूसरे पर्व की तरह ही भारत में हिंदी दिवस भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस दिन स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों में अलग-अलग तरीकों से उत्‍सव मनाया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन को विशेष रूप से हिंदी दिवस मनाने के लिए क्यों चुना गया है? आइए 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने के पीछे का इतिहास बताते हैं।

1947 में जब हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली, तब उनके सामने भाषा की एक बड़ी चिंता खड़ी हुई। भारत एक विशाल देश है जिसमें विविध संस्कृति है। ऐसी सैकड़ों भाषाएं हैं जो देश में बोली जाती हैं और हजारों से अधिक बोलियां हैं।

6 दिसंबर 1946 को स्वतंत्र भारत के संविधान को तैयार करने के लिए संविधान सभा को बुलाया गया था।

सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था, बाद में उनकी जगह डॉ. राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया। डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।

विधानसभा ने 26 नवंबर 1949 को अंतिम मसौदा पेश किया। इस तरह स्वतंत्र भारत ने 26 जनवरी 1950 को पूरी तरह से अपना संविधान प्राप्त किया।

लेकिन संविधान के लिए एक आधिकारिक भाषा चुनने की चिंता अभी भी थी। एक लंबी बहस और चर्चा के बाद हिंदी और अंग्रेजी को स्वतंत्र भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि और अंग्रेजी में लिखित हिंदी को एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। बाद में पं. जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन को देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस तरह पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।


Show comments
सभी देखें

जरुर पढ़ें

विवाह के बाद गृह प्रवेश के दौरान नई दुल्हन पैर से क्यों गिराती है चावल से भरा कलश? जानिए क्या है इस रस्म के पीछे का कारण

सावधान! धीरे धीरे आपको मार रहे हैं ये 6 फूड्स, तुरंत जानें कैसे बचें

Easy Feetcare at Home : एल्युमिनियम फॉयल को पैरों पर लपेटने का ये नुस्खा आपको चौंका देगा

जानिए नवजोत सिद्धू के पत्नी के कैंसर फ्री होने वाले दावे पर क्या बोले डॉक्टर्स और एक्सपर्ट

Winter Fashion : सर्दियों में परफेक्ट लुक के लिए इस तरह करें ओवरसाइज्ड कपड़ों को स्टाइल

सभी देखें

नवीनतम

सार्थक बाल साहित्य सृजन से सुरभित वामा का मंच

महंगे क्रीम नहीं, इस DIY हैंड मास्क से चमकाएं हाथों की नकल्स और कोहनियां

घर में बेटी का हुआ है जन्म? दीजिए उसे संस्कारी और अर्थपूर्ण नाम

क्लटर फ्री अलमारी चाहिए? अपनाएं बच्चों की अलमारी जमाने के ये 10 मैजिक टिप्स

आज का लाजवाब चटपटा जोक : अर्थ स्पष्ट करो

अगला लेख
More