मेरे हिस्से का आकाश : ज्योति जैन का संवेदनशील काव्य-संग्रह

स्मृति आदित्य
कोई विचार, भाव या अहसास जब मन की धरा से उपज कर काग‍ज के कैनवास पर एक विशेष 'कोमलता या उग्रता' से अवतरित होते हैं तो इसे कविता कहते हैं। यूं तो कविता की कई खूबसूरत परिभाषाएं हमें पढ़ने को मिलती है लेकिन सरल शब्दों में जो मन से निकल कर सीधे मन को स्पर्श करें वही असल में कविता है। इन अर्थों में कवयित्री ज्योति जैन की कविताएं स्वागत योग्य हैं।
 
कवयित्री ज्योति जैन के काव्य-संग्रह 'मेरे हिस्से का आकाश' ने साहित्य-संसार में सुनहरी संभावनाओं के साथ दस्तक दी है। इस काव्य-संग्रह में 101 विविध रंगी कविताएं संयोजित की गई है। संग्रह की भूमिका वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर ने लिखी है।

प्रेम, स्त्री शक्ति, मां, रिश्ते, राष्‍ट्र, प्रकृति, बेटियां, जीवनसाथी जैसे सुकोमल-गंभीर विषयों पर कवयित्री ने खूबसूरत भावाभिव्यक्तियां दी हैं। संग्रह का सबसे आकर्षक पक्ष है प्रथम खंड 'कोमल अहसास प्रेम का' और अंतिम खंड 'ज्योति हूं मैं'।
 
अंतिम खंड में कवयित्री ने विभिन्न प्राकृतिक बिंबों के माध्यम से स्वयं को, और स्वयं के माध्यम से समूची नारी अस्मिता को प्रस्तुत किया है। वहीं प्रथम खंड सतरंगी प्यार से सराबोर है। चाहे वह पहली मुलाकात हो या पहला स्पर्श कवयित्री ने प्यार के हर स्निग्ध पहलू को नजाकत से पन्नों पर रखा है। गहरे प्यार को कवयित्री जितनी श्रद्धा से अनुभूत कर रही है उतनी ही प्रखरता से अभिव्यक्ति के स्तर पर भी वह सफल रही हैं।
 
प्रकृति के प्रति कवयित्री का अगाध प्रेम उनकी हर अगली कविता में छलक ही जाता है। प्रेम हो चाहे स्त्री बिना प्रकृति के उनकी शब्द-मंजूषा खुलती ही नहीं है। प्रकृति का मानवीकरण करने में भी उनकी लेखनी कुशल है और मानवता को प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति संवेदनशील बनाने में भी सक्षम हैं।
 
उनकी छंदमुक्त कविताएं तल्लीनता से रची गई हैं जो पाठक के भीतर लय तरंगित करती है। दूसरी तरफ छंदयुक्त कविताएं, काव्य को पैरामीटर पर परखने वाले सुधी पाठकों को निराश कर सकती है। चांद, तारे, आकाश, सूर्य, फूल, इन्द्रधनुष, रंग, धरती, चिड़िया उनके पूरे काव्य-संग्रह में आते-जाते रहते हैं। सामाजिक विडंबनाओं और कुरीतियों के प्रति उनके तेवर तीखे हैं। राष्ट्र के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने में वह शहीदों को नहीं भूलती और सामाजिक समरसता स्थापित करने का कर्तव्य भी सच्चे कवि की तरह निभाती है।

जीवन में आए हर रिश्ते को उन्होंने अपनी कविता में खूबसूरती से ढाला है। प्रत्येक रिश्ते को अपना सर्वश्रेष्ठ देने की छटपटाहट उनकी कविताओं में स्पष्ट परिलक्षित होती है। संवेदना कविता की आत्मा होती है। इन मायनों में ज्योति जैन की कविताएं उजली-स्वच्छ आत्मा के साथ सामने आती हैं।
 
काव्य-संग्रह 'मेरे हिस्से का आकाश' की अनूठी विशेषता है कि पुस्तक का आवरण पृष्ठ आसमानी रंगों से स्वयं कवयित्री ने रचा है। सुंदर-सरल शब्दों में रची उनकी सशक्त कविताएं पाठकों की प्रशंसा अवश्य अर्जित करेंगी।
पुस्तक : मेरे हिस्से का आकाश( काव्य-संग्रह)
कवयित्री: ज्योति जैन
प्रकाशन : दिशा प्रकाशन, 138/ 16, त्रिनगर, दिल्ली- 110035
मूल्य : 200 रुपए

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