डार्क नाइट : किशोर मन का कोमल दस्तावेज

स्मृति आदित्य
रात के अंधेरे में जीवन के गहरे रहस्य छुपे होते हैं। जीवन भी कई बार निराशाओं और अवसाद की काली रात से गुजरता है, लेकिन उस रात के बाद आने वाला एक चमकता दिन आपकी दिशा तय करता है और मार्ग प्रशस्त करता है। दिल और दिमाग को उजालों से भर देता है।

हाल ही में प्रकाशित डार्क नाइट उपन्यास में संदीप नैयर ने जीवन, मन,विचार और भावनाओं के अंधेरे से सुबह के उजालों का सफर खूबसूरती से तय किया है। उपन्यास में रोमांस है, अहसास है, वासना का भी वास है पर यह पूरी किताब अश्लील शब्द से दूर रही।कहीं कहीं जरूरत के अनुसार भटकाव है और वह अखरता भी है पर जब लेखक संदीप आध्यात्मिक पक्षों को अभिस्पर्श करते हैं तो आश्चर्यजनक रूप से बाज़ी मार ले जाते हैं। शुरुआत हल्का सा निराश करती है लेकिन आगे बढ़ते ही पाठकीय दिलचस्पी गहराने लगती है।

उपन्यास की सबसे खास बात यह कही जा सकती है कि वह मानस पर कोई दबाव नहीं बनाती। आप जब भी जहां भी उपन्यास को पढ़ना छोड़ते हैं वह वहीं पर आपका इंतज़ार करता मिलता है। दूसरे शब्दों में कहे तो प्रस्तुति, कथानक और भाषा में इतनी सहजता है कि आप कहीं से भी इसका छोर पकड़ लेते हैं और वह बिना कोई व्यवधान के आपको थाम कर आगे की कहानी में प्रवेश करवा देता है।

उपन्यास के पात्रों में इतनी स्पष्टता है कि कबीर के जीवन में आई हर लड़की अपना एक अलग अस्तित्व रखती है। उनके चरित्र इतनी बारीकी से उकेरे गए हैं कि वे एक दूसरे को 'ओवरलैप' नहीं करती। कबीर का मीरा से आरंभ होकर हिकमा,नेहा,टीना,लूसी,प्रिया,माया तक का सफर लेखक ने सलीके से गूंथा है और शाश्वत प्रेम की तलाश,मधुर कल्पना लोक, दैहिक आकर्षण को वे लेखकीय खूबी के साथ सुव्यक्त कर सके हैं। कहीं कहीं पर इरॉटिक डिटेल्स अखरते हैं पर वे उनके विस्तार को तेजी से समेट भी लेते हैं। भाषा की मोहकता संदीप का प्रबल पक्ष है। शाब्दिक आडंबरों से दूर उनकी भाषा में ऐसा लालित्य है जो रुचिकर लगता है।

पूरे उपन्यास में जहां कलात्मक प्रवाह है वहीं नन्हे मोड़ पर वह समझदारी से पाठकों की सुविधा का ख्याल करते हुए हाथ बढ़ाता है। नैराश्य के अंधेरों को जिस गहनता में जाकर वे प्रस्तुत करते हैं वह मन के भीतर हलचल मचाता है।और जिस उजाले में उनका पात्र चमकता है उसकी गुलाबी आभा पाठक के चेहरे पर आती है। कबीर के जीवन में आई हर लड़की एक सबक देकर जाती है। हर किरदार की अपनी कहानी है।प्रेम, सेक्स,सौंदर्य, आकर्षण, फैंटेसी का कोमल सम्मिश्रण युवा पाठकों के लिए एक ऐसा 'मानस व्यंजन' है जिसे वह गहरी दिलचस्पी के साथ लेना पसंद करेगा। उपन्यासकार संदीप के पास पाठकों को बांधे रखने की क्षमता है पिछले उपन्यास समरसिद्धा में वे ये बात साबित कर चुके हैं।

डार्क नाइट में एक नई सुगंध के साथ हम उनसे रूबरू होते हैं। 215 पृष्ठों का यह उपन्यास हर लिहाज से पठनीय है। संदीप के शब्दों में उपन्यास का सार छुपा है-बहुत कम पुरुष होते हैं जो नारी के अतींद्रिय सौंदर्य को देख पाते हैं, नतीजा यह है कि  हमारे समाज से नारीत्व खो रहा है।हमारे समाज का सबसे बड़ा नुकसान नारीत्व के खोने में ही है और हमारे समाज की मुक्ति उस नारीत्व को फिर जीवित करने में है। प्रेम और सौंदर्य के भीतर की सच्ची यात्रा है डार्क नाइट।
 
*उपन्यास : डार्क नाइट  
*लेखक : संदीप नैयर
*प्रकाशक:रेड ग्रैब बुक्स
*मूल्य: 175

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