हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 12 दिसंबर को वोटिंग की जाएंगी। आखिरी हफ्ते के चुनाव प्रचार में सियासी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा हिमाचल में लगातार दूसरी बार सत्ता में काबिज हो राज्यों में दशकों पुराना मिथक तोड़ने की पूरी कोशिश में लगी हुई है। वहीं कांग्रेस एक बार सत्ता में वापसी करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा और कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी राज्य में पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में डर मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है।
मिथक तोड़कर मिशन रिपीट में जुटी भाजपा-हिमाचल में सत्तारूढ़ भाजपा के लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी कर तीन दशकों से भाजपा-कांग्रेस की बारी-बारी से सरकार बनाने का मिथक तोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राज्य में डबल इंजन वाली सरकार का नारा बुलंद कर वोटरों से मोदी के चेहरे के नाम पर वोट करने की अपील कर रही है।
दरअसल हिमाचल प्रदेश का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प है। नब्बे के दशक से राज्य में बारी-बारी से कांग्रेस और भाजपा की सरकार बनती आई है। 1993-1998 तक राज्य में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी तो 1998-2003 तक भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाई। वहीं 2003 में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी करते हुए वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में फिर से राज्य में सरकार बनाई, तो अगले ही विधानसभा चुनाव 2007-2012 में भाजपा फिर से सत्ता में काबिज हुई। वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की और एक बार फिर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता में वापसी की और जयराम ठाकुर राज्य के मुख्यमंत्री बने।
ऐसे में अगर हिमाचल के चुनावी इतिहास को देखे तो बीते तीन दशक से सत्ता परिवर्तन का मिथक बना हुआ है। ऐसे में इस बार भाजपा प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के चेहरे के सहारे तीन दशक पुराना मिथक तोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है।
बागी बने भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती-हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी की राह में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस और आप से ज्यादा उसके ही बागी उम्मीदवार है। 68 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में एक तिहाई 21 विधानसभा सीटों पर भाजपा के बागी चुनाव लड़ रहे है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य में इतनी बड़ी संख्या में बागी उम्मीदवारों के चुनावी मैदान में आ डंटने से कहीं न कहीं भाजपा का चुनावी मैंनेजमेंट भी सवालों के घेरे में आ गया है।
कांग्रेस को सत्ता में वापसी की उम्मीद-हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को इस बार सत्ता में वापसी की पूरी उम्मीद है। राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त होने से राज्य में कांग्रेस की चुनावी कमान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने हाथों में संभाल रही है। राज्य में प्रियंका गांधी अब तक तीन बड़ी चुनावी रैलियां कर चुकी है। चुनाव में कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। तीन दशक बाद राज्य में अपने सबसे बड़े चेहरे वीरभद्र सिंह के बिना चुनावी मैदान में डटी कांग्रेस राज्य में वीरभद्र सिंह की विरासत को भुनाने में पूरी तरह जुटी है।
हिमाचल में कांग्रेस ने वादा किया है कि सत्ता में वापस आते ही राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम को सबसे पहले बहाल किया जाएगा। इसके साथ कांग्रेस ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को डेढ़ हजार रूपए प्रतिमाह के साथ सरकार नौकरी देने से लोकलुभावन वादे किए है। कांग्रेस मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सरकार के शासन काल में राज्य में बेरोगारी के साथ महंगाई और राज्य की खराब आर्थिक हालात को जनता के बीच पुरजोर तरीके से उठा रही है। कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि चुनाव हिमाचल के स्थानीय मुद्दों पर हो न कि पीएम मोदी के चेहरे पर।
AAP विकल्प के तौर पर मैदान में?-आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में आने से राज्य की कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनावी रैली और रोड शो कर वोटरों को लुभाने के लिए हर कोशिश कर रहे है। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के प्रमुख नेता राज्य में बदलाव के नारे के साथ भाजपा और कांग्रेस पर हमलावर है। अरविंद केजरीवाल जनता के बीच भाजपा और कांग्रेस सरकार को हिमाचल को लूटने वाली पार्टी बताकर इस बार आम आदमी पार्टी को मौका देने की बात कह रही है। केजरीवाल हिमाचल की जनता के सामने दिल्ली सरकार के कामकाज को मॉडल को पेश कर जनता से वोट की अपील कर रहे है।