विश्व हृदय दिवस विशेष : दिल से कीजिए दिल की हिफाजत...

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दिल, हृदय या हार्ट के मायने अलग-अलग मिजाज के लोगों के लिए अलग हो सकते हैं। लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि सीने के बाईं ओर धड़कता पान के आकार का यह छोटा-सा अंग, शरीर में खून साफ करने का काम करता है। पर अगर इसकी हिफाजत ढंग से न की जाए तो यह ठप होकर इंसान को ही दुनिया से साफ कर सकता है। 
 
दिल की हिफाजत की जरूरत तो हर कोई समझता है, लेकिन इसके लिए प्रयास करने वाले लोग कम ही हैं। यही वजह है कि एक समय वृद्धावस्था में घेरने वाली दिल की बीमारी आज छोटी उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है। एक शोध के अनुसार भारत में पिछले 15 वर्षो में हृदयघात से मरने वालों की संख्या में 34% का इजाफा देखा गया है। हालत यह है कि लगभग हर घर में दिल की बीमारी के मरीज मौजूद है। यही वजह है कि सरकार को रुकी धमनियों को खोलने के लिए लगाए जाने वाले स्टेंट की कीमत निर्धारित करनी पड़ी, ताकि इसका इलाज सबकी पहुंच में हो।
 
दरअसल भारत में -  
-  खराब जीवन शैली
- तनाव
- शारीरिक गतिविधियों की कमी
- अनियमित खानपान 
 
आदि कारणों से लोगों को दिल से संबंधित गंभीर रोग होने लगे हैं। हृदय रोग, दुनिया में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है, और ह्रदय रोगों के किसी और रोग की तुलना में अधिक मौतें होती हैं। 
 
पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ टीएस क्लेर का कहना है कि दिल की संभाल में लापरवाही बरतना जान पर भारी पड़ सकता है। एक बार हार्ट अटैक झेल चुके लोगों को और अधिक सावधानी से अपनी जीवन शैली में बदलाव करना चाहिए। लोगों को इस संबंध में जागरूक करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाता है।
 
धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर, कार्डियो थोरेसिक अवं वैस्कुलर सर्जन, डॉ मितेश बी शर्मा बताते है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव से घिरा हुआ है, जो हृदयाघात को मुख्य कारण है। इसके अलावा - 
दिल को कमजोर बना रहे हैं और प्रदूषण भी इसमें अपना योगदान दे रहा है।
 
श्रीबालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अमर सिंघल का कहना है कि लोग कई बार दिल की बीमारी के बारे में पर्याप्त जानकारी न होने पर इसके लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं और जानलेवा स्थिति तक पहुंच जाते हैं। उनका कहना है कि -
 
 वह कहते हैं कि खुद को या आपके किसी परिजन को इस तरह के लक्षण महसूस हों तो उसे गंभीरता से लें।
 
मेडिकवर फर्टिलिटी की क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसलटैंट, डॉ श्वेता गुप्ता के अनुसार - 
 
ऐसे में पौष्टिक आहार, सही जीवन शैली और समय समय पर जांच करवाने से बीमारी का शुरूआती अवस्था में ही पता लगाकर इसका उपचार संभव है।

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