रंगों से हमारा जीवन काफी गहराई से जुड़ा हुआ है। रंगों का स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है। वैज्ञानिक स्तर पर रंगों से लाभ पर लंबे समय से शोध हो रहा है। शोध के अनुसार प्रकाश हमारे शरीर को आंखों के द्वारा बेधकर 'पिट्यूटरी ग्लैंड' को उत्तेजित करता है। इसके परिणामस्वरूप कुछ विशेष हारमोंस का स्राव होता है। यह शरीर द्वारा रंगों के प्रति होने वाली प्रतिक्रिया होती है।
रंग चिकित्सा में शरीर में समस्या के कारण को रंगों का अतिरिक्त एक्सपोजर करके दूर किया जाता है। उदाहरण के लिए स्पैक्ट्रम का आखिरी रंग लाल उत्तेजित करता है, तो नीला रंग गहन शांति देता है। मानसिक चिकित्सालय में लाल अथवा नारंगी रंग का प्रयोग कष्ट उत्पन्न करने वाला पाया गया है, लेकिन नीला रंग शांति देने वाला था। रंग खाद्य पदार्थों का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। धूप हमारे लिए पोषक होती है। शोध द्वारा सिद्ध हो गया है कि पूरे स्पैक्ट्रम का शरीर पर अत्यंत लाभकारी प्रभाव होता है। इससे हमारे शरीर का एंडोक्राइन तंत्र सक्रिय होता है तथा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक क्षेत्र का निर्माण भी होता है।
लाल रंग हमारी इंद्रियों तथा भाव-भंगिमाओं को उत्तेजित करता है। यह शक्ति ऊर्जा तथा जीवन के प्रति उत्साह को दर्शाता है। सकारात्मक स्तर पर यह जीवन में ताकत, खुशी-सुख एवं प्रेम को देने वाला होता है, अग्नि का प्रमुख गहरा लाल रंग, मनुष्य की आदिम भावनाओं को जाग्रत कर देता है। गहरा लाल एक ओर खतरा दिखाता है, वहीं सौम्य गुलाबी रंग मातृत्व की भावना जगाता है। इस रंग का नकारात्मक पक्ष यह है कि यह दुस्साहस पैदा करते अनियंत्रित उन्माद, वासना एवं क्रोध को जन्म देता है। इस रंग का प्रयोग जीवन शक्ति के कमजोर होने, रक्त संचार धीमा होने की स्थिति से किया जा सकता है।
लाल रंग मानसिक रूप से परेशान तथा स्नायुविक तकलीफ वाले व्यक्तियों को ज्यादा परेशान कर देता है। अतः इस रंग का प्रयोग ऐसे व्यक्ति के आसपास बहुतायत से नहीं करना चाहिए। यह सभी रंगों में सबसे धीमी वाइब्रेशन वाला रंग है, जो भावनाओं को अन्य रंगों की अपेक्षा जल्दी प्रभावित करता है। इसमें शोध के दौरान पाया गया कि जब कोई व्यक्ति लाल रंग के संपर्क में आता है, तब एंडोक्राइन पिट्यूटरी ग्लैंड सक्रिय हो जाती है। यह काम कुछ सेकंड का ही समय लेता है। पिट्यूटरी ग्लैंड से एडरीनलिन का स्राव बढ़ जाता है तथा स्राव रक्त में मिलकर अपना प्रभाव अनेक स्तर पर दर्शाता है। रक्तचाप बढ़ जाता है। रक्त का बहाव तीव्र हो जाता है एवं श्वास की गति बढ़ जाती है। स्वाद कलिका अतिसंवेदनशील हो जाती है तथा भूख भी बढ़ जाती है। हमारी सूँघने की शक्ति भी बढ़ जाती है।
लाल रंग भूख बढ़ाने में सहायक होता है। इसी कारण कई महंगे रेस्त्रां लाल मेजपोश तथा लाल नेपकिन का प्रयोग करते हैं। लाल रंग की किरणें हीमोग्लोबिन बनाने में सहायक होती हैं तथा लीवर को ताकत देती हैं। यह रंग शरीर में जमा फालतू खनिज तत्वों को तोड़कर निष्कासित करता है। खून की कमी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, कब्ज, लकवा, तपेदिक में लाल रंग लाभकारी होता है। भावनात्मक कष्ट, उन्माद, बुखार, सूजन, उच्च रक्तचाप, मानसिक रोग की स्थिति में लाल रंग से बचना बेहतर है। लाल रंग पसंद करने वाले लोग बहिर्मुखी होते हैं। इनका मूड निरंतर बदलता रहता है तथा आक्रामक एवं आवेगपूर्ण रहता है। ये आशावादी होने के साथ शिकायती भी होते हैं तथा निरंतर आवाज उठाते रहते हैं। पुरुष पीले मिश्रित लाल रंग की ओर सहज आकृष्ट होते हैं। वहीं महिलाओं को नीला मिश्रित लाल रंग अपनी ओर खींचता है।