सार्स कोविड-19 से बचाव के लिए लोगों को वैक्सीन लगाया जा रहा है ताकि इस बीमारी की चपेट में नहीं आएं। अगर कोई संक्रमित हो भी जाता है तो वह जल्द ठीक होने की आकांशा बढ़ जाएगी। इतना ही नहीं कुछ मरीज होम आइसोलेशन में रहकर भी ठीक हो रहे हैं। कोविड वैक्सीनेशन को लेकर लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। हालांकि अभी भी बहुत से लोगों में कोविड-19 के टीके को लेकर मन में डर है। क्योंकि उसके साइड इफेक्ट्स का डर बैठ गया है।विशेषज्ञ, सरकार और डॉक्टर द्वारा यही अपील की जा रही है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के बाद वैक्सीनेशन ही बचाव का उपाय है। वहीं अगस्त-सितंबर तक तीसरी लहर की भारत में संभावना जताई जा रही है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा भारत से बाहर अन्य देशों में तीसरी लहर को घोषित कर दिया गया है। अभी तक भारत में 4 से सवा चार करोड़ लोगों को वैक्सीन लगी है।
जिन्हें कोविड वैक्सीन लग चुकी है उनके मन में सवाल उठ रहा है कि क्या तीसरी के पहले तीसरा डोज लागने से कोविड नहीं होगा। और अगर मई में ही दोनों वैक्सीन के डोज लग गए है तो क्या अगस्त -सितंबर तक वैक्सीन का प्रभाव कम तो नहीं हो जाएगा। हाल ही में एक रिसर्च में खुलासा भी हुआ है कि कोविड संक्रमित होने के बाद आपकी बॉडी में पैदा हुई एंटीबॉडी का असरदार कब तक रहेगा।
9 महीने तक रहेगी एंटीबॉडी - रिसर्च
इटली के यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुआ और ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के रिसर्चर द्वारा शोध में किया गया। इसमें सामने आया कोविड से संक्रमित होने के बाद शरीर में करीब 9 महीने तक एंटीबॉडी मौजूद रहती है। रिसर्च के अनुसार अगर व्यक्ति में लक्षण दिखे हो या नहीं संक्रमित होने पर 9 महीने तक एंटीबॉडी रहेगी। हालांकि इटली में 3000 लोगों पर यह जांच की गई थी। पहले फरवरी और मार्च 2020 में जांच की गई थी। इसके बाद मई और नवंबर में दोबारा एंटीबॉडी की जांच की गई। रिसर्च में सामने आया कि करीब 98 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी का स्तर अधिक था।
-रिसर्च में हुए खुलासे चौंकाने वाले रहे हैं। जी हां, जिन्हें लक्षण के साथ कोविड हुआ और बिना लक्षण के संक्रमित पाए गए उन दोनों में एंटीबॉडी बराबर रही। इस पर रिसर्च नेचर कम्युनिकेशन द्वारा की गई। साथ ही यह आकलन किया कि एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर कितने लोग संक्रमित हुए। इसमें खुलासा हुआ परिवार में एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर दूसरे व्यक्ति भी संक्रमित हुए।
हालांकि एंटीबॉडी को लेकर इंपीरियल कॉलेज की रिपोर्ट अलग आई है। रिसर्च के प्रमुख लेखक इलारिया डोरिगटी ने कहा कि,'हमें ऐसा साक्ष्य नहीं मिला जिसमें बिना लक्षण और लक्षण वालों में एंटीबॉडी को लेकर अंतर आया हो। रिसर्च में यह सामने आया है कि कुछ लोगों में एंटीबॉडी बढ़ी है। लेकिन इसका कारण है वे दोबारा संक्रमित हुए है।
तीसरी वैक्सीन का ख्याल
अगर आपको लगता है कि तीसरी लहर तक वैक्सीन का असर कम तो नहीं होगा। तो ऐसा नहीं है। एक्सपट्र्स के मुताबिक अगर आपका भीड़-भाड़ वाली जगह से कोई लेना-देना नहीं है, आप घर में ही रहते हैं तो आपको 2 डोज ही काफी है। वहीं तीसरी वैक्सीन लगाने की चर्चा फिलहाल में डॉक्टर्स के लिए हो रही है। वह बूस्टर डोज पर कार्य करेगा।