Johnson and Johnson के सिंगल डोज को मिला अप्रूवल, जानिए वैक्‍सीन के बारे में सब कुछ

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कोरोना वायरस का प्रकोप अभी भी पूरी दुनिया में जारी है। हर दिन लगातार 40 हजार से अधिक केस सामने आ रहे हैं। भारत में कोविड-19 से लड़ाई में अब एक और वैक्‍सीन को अप्रवूल मिल गया है। सरकार ने अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वाली वैक्‍सीन जैनसन को इमरजेंसी अप्रूवल दिया है। हालांकि भारत में यह कब तक आएगी अभी तारीख तय होना बाकी है। वर्तमान में जॉनसन एंड जॉनसन के अलावा सीरम इंस्‍टीट्यूट की कोवीशील्ड, भारत बायोटेक कोवैक्सिन, रूस की स्‍पूतनिक वी और अमेरिका की मॉर्डर्ना वैक्‍सीन शामिल है। 
 
जॉनसन एंड जॉनसन वैक्‍सीन 
 
अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने जैनसन कोविड वैक्‍सीन को बनाया है। ट्रायल के दौरान यह वैक्‍सीन 66 फीसदी इफेक्टिव है। फिलहाल इस वैक्‍सीन को इमरजेंसी के लिए अप्रूवल मिला है। भारत में हैदराबाद की बायोलॉजिकल E इस वैक्‍सीन का प्रोडक्‍शन करेगी। बता दें कि यह सिंगल डोज वैक्‍सीन है। वर्तमान में यह 59 देशों में इस्‍तेमाल की जा रही है। साथ ही डब्‍ल्‍यूएचओ से भी अप्रूवल मिल चुका है। 
 
कैसे बनी है यह वैक्‍सीन? 
 
जेएंडजे ने इस वैक्‍सीन का नाम जैनसन (Ad26.COV2.S) दिया है। यह वैक्‍सीन वायरल वेक्टर है यानी कोवीशील्‍ड जैसी ही है। इसमें कोशिकाओं तक एंटीजन को पहुंचाने के लिए एक वायरस का इस्‍तेमाल किया जाता है। वैक्‍सीन बनाने के लिए कोविड के जीन को एडीनोवायरस में मिलाकर बनाया गया है। इससे हमारे शरीर में स्‍पाइक प्रोटीन्‍स को बनाता है। बाद में यह प्रोटीन वायरस से लड़ने में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गौरतलब है कि जॉनसन एंड जॉनसन ने भी इसी तरह इबोला वैक्‍सीन बनाई थी। 
 
वैक्‍सीन का इफिकेसी रेट
 
जैनसन वैक्‍सीन करीब 40 हजार से ज्‍यादा लोगों पर ट्रायल किया गया था। जिसमें इसका इफिकेसी रेट 66 फीसदी आया। साथ ही हॉस्पिटलाइजेशन से रोकने में यह वैक्‍सीन करीब 85 फीसदी कारगर साबित हुई है। ट्रायल के दौरान कोविड से संक्रमित लोगों को जैनसन वैक्‍सीन लगवाने के बाद दोबारा अस्‍पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है। इस वैक्‍सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तक रखते हैं। 3 महीने तक इसे रखा जाएगा।  वहीं -20 डिग्री के तापमान में इसे 2 साल तक रखा जा सकता है। 
 
बता दें कि भारत में जैनसन का किसी भी प्रकार का ट्रायल नहीं हुआ है। दरअसल, वैक्‍सीन को अमेरिका, जापान, यूरोप और डब्‍ल्‍यू एच ओ द्वारा अप्रूवल मिल चुका है। इसी वजह से भारत में वैक्‍सीन को क्लिनिकल ट्रायल से छूट दी गई है। 
 
जिस वजह से कंपनी को सीधे इमरजेंसी यूज के लिए आवेदन किया है। शुरूआत में 100 लोगों को वैक्‍सीन दी जाएगी। उन्‍हें 7 दिन तक निगरानी में रखा जाएगा। अगर किसी भी मरीज को साइट इफेक्‍ट होते हैं तो तुरंत मेडिकल हेल्‍प दी जा सकें। डेल्‍टा और बीटा वेरिएंट के खिलाफ जैनसन वैक्‍सीन कारगर है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका में क्लिनिकल ट्रायल के दौरान यह वैक्‍सीन इफेक्टिव नजर आई। शोध के साथ लगातार वैक्‍सीन लगाने के बाद सर्वे भी किए जा रहे हैं ताकि वैक्‍सीन के इफिकेसी रेट चेक की जा सकें। जब 5 लाख से अधिक हेल्‍थकेयर वर्कर्स पर सर्वे किया गया तो यह वैक्‍सीन डेल्‍टा वेरिएंट के खिलाफ 95 फीसदी कारगर साबित हुई। साथ ही हॉस्पिटलाइजेशन से रोकने में 71 फीसदी प्रभावी नजर आई। साथ ही 8 महीने तक इस वैक्‍सीन की इम्‍यूनिटी बने रहने की क्षमता है। बता दें कि जॉनसन एंड जॉनसन पहली सिंगल डोज वैक्‍सीन है। अभी तक भारत में जितनी भी वैक्‍सीन का अप्रूवल मिला है वह डबल डोज वैक्‍सीन ही रही है। 
 
भारत को कितने डोज मिलेंगे? 
 
भारत में अभी प्रोडक्‍शन शुरू नहीं हुआ है। फिलहाल रिपोर्ट्स के मुताबिक हुए करार में भारतीय कंपनी 7 करोड़ डोज हर महीने बना सकती है। यानी अन्‍य 4 वैक्‍सीन के अलावा भारत में अब 7 करोड़ अतिरिक्‍त डोज होंगे। 
 
 

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