Haridwar Mahakumbh 2021 : कुंभ नगरी हरिद्वार के 10 खास दर्शनीय स्थल

अनिरुद्ध जोशी
उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। हरि याने भगवान विष्णु। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है। हरिद्वार में हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इसी विश्वप्रसिद्ध घाट पर कुंभ का मेला लगता है। आओ जानते हैं हरिद्वार के 10 खास दर्शननीय स्थलों की संक्षिप्त जानकारी।
 
 
1. हर की पौड़ी : हर की पौड़ी वह घाट हैं जिसे विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरि की याद में बनवाया था। इस घाट को 'ब्रह्मकुण्ड' के नाम से भी जाना जाता है। किवदन्ती है कि हर की पौड़ी में स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं।
 
 
2. मनसा देवी मंदिर : हर की पौडी के पीछे के बलवा पर्वत की चोटी पर सर्पों की देवी मनसा देवी का मंदिर बना है। यह माता भगवान शिव की पुत्र हैं। देवी मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं जबकि अन्य प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं।
 
 
3. चंडी देवी मंदिर : गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह चंडी देवी मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में बनवाया गया था। किवदंतियों के अनुसार चंडी देवी ने शुंभ निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यहीं मारा था। यहीं पर आदिशंकराचार्य ने चंडी देवी की मूल प्रतिमा स्थापित करवाई थी।
 
 
4. मायादेवी शक्तिपीठ : हरिद्वार में भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक माया देवी का मंदिर है। यहां माता सती का हृदय और नाभि गिरे थे। माया देवी को हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, जिसका इतिहास 11 शताब्दी से उपलब्ध है। मंदिर के बगल में 'आनंद भैरव का मंदिर' भी है।
 
 
5. सप्त सागर : यहां सप्त सागर नामक एक स्थान हैं जहां पर गंगा नदी सात धाराओं में बहती है। इसी के पास सप्तऋषि आश्रम है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहां सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे 'सप्‍त धारा' भी कहा जाता है।
 
 
6. दक्ष मंदिर : यहां पर माता सती के पिता राजा दक्ष की याद में बनवाया गया एक मंदिर भी है जो प्राचीन नगर के साऊथ में स्थित है। किवदंतियों के अनुसार यहीं पर राजा दक्ष ने वह यज्ञ किया था जिसमें कूदकर माता सती ने आत्मदाह कर लिया था। इससे शिव के अनुयायी वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया था। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
 
 
7. हरिद्वार लक्ष्मण झूला : कहते हैं कि शेषावतार लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों के सहारे नदी को पार किया था। आधुनिकाल में यहां एक पूल बनाया गया जिसे नाम दिया गया लक्ष्मण झूला। इस पुल के पश्चिमी किनारे पर भगवान लक्ष्मण का मंदिर है जबकि इसके दूसरी ओर श्रीराम का मंदिर है। इस पुल को सबसे पहले स्वामी विशुदानंद की प्रेरणा से कलकत्ता के सेठ सूरजमल झुहानूबला ने सन् 1889 में मजबूत तारों से बनवाया था परंतु यह 1924 की बाढ़ में बह गया तो फिर बाद में और भी मजबूत एवं आकर्षक पुल बनाया गया।
 
 
8. राजाजी नेशनल पार्क : यहां पर शिवालिक पर्वत श्रृंखला से गुजरता नेशनल पार्क बहुत ही सुंदर है। पक्षी और वन्य प्राणियों के सुंदर नजारों के साथ ही आप जंगल का आनंद ले सकते हैं। वन साल, टीक, आदि जैसे अन्य पेड़ों से लदे इस वन में बाघ और हाथियों के के अलावा किंग कोबरा, भालू, चीतल, सांभर, जंगली बिल्ली आदि देखने को मिल जाएंगे।
 
 
9. स्वामी विवेकानंद पार्क : हर की पौड़ी के पास स्थित इस पार्क में हरी घासों के लंबे लॉन व फूलों की बिछी चादर से लोगों को आकर्षित करता है। इस पार्क में जहां स्वामी विवेकानंद की भव्य मूर्ति स्थापित है वहीं भगवान शिव की प्रतिमा भी है जो दूर से ही दिखाई देती है। यात्री यहां पिकनिक आदि मनाने के लिए भी आते हैं।
 
 
10. बड़ा बाजार : यहां कर मुख्य बाजार है जिसे बड़ा बाजार कहते हैं। यहां पर पूजन सामग्री के अलावा आयुर्वेदिक दवाइयों की खरीद की जाती है। इसके अलावा यहां पर लकड़ी से बनी वस्तुओं और सुंदर हस्तशिल्प भी खरीद सकते हैं। खरीददारी करते हुए आप यहां लज़ीज़, स्वादिष्ट देशी पेड़श भी खा सैकते हैं। यह रंग बिरंगा बाजार पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है।
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