Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

13 अखाड़ों में से सबसे बड़ा जूना अखाड़ा, जानिए परिचय

हमें फॉलो करें 13 अखाड़ों में से सबसे बड़ा जूना अखाड़ा, जानिए परिचय

अनिरुद्ध जोशी

हिन्दू संतों के मूलत: श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा सहित 13 अखाड़े हैं। शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े और उदासीन संप्रदाय के 4 अखाड़े है। जूना अखाड़ा शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े में से एक है। इन अखाड़ों के संन्यासियों का कार्य है ध्यान, तप, साधना और धर्मिक प्रवचन देना। लोगों को धर्म का मार्ग बताना। आओ जानें जूना अखाड़े के बारे में संक्षिप्त में जानकारी।
 
 
शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े :
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।
2. श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश)।
4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती- त्रम्केश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)।
5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशस्मेव घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।
7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)।
 
जूना अखाड़ा : कहते हैं कि शिव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे बड़ा है जिसके लगभग 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर संन्यासी है। इनमें से अधिकतर साधु नागा साधु हैं। इनसे अलग अलग क्षेत्र के अनुसार महंत होते हैं। वर्तमान में इस अखाड़े के अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज हैं।
 
जूना अखाड़ें की स्थापना 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में पहला मठ स्थापित किया गया था। इसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इसके ईष्टदेव शिव और रुद्रावतार गुरु दत्तात्रेय भगवान हैं। इनका केंद्र वाराणसी के हनुमान घाट पर माना जाता है और हरिद्वार के मायामंदिर के पास इनका आश्रम हैं। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा का मुख्यालय वाराणसी में स्थित है।
 
शिव संन्यासी संप्रदाय के अंतर्गत ही दशनामी संप्रदाय जुड़ा हुआ है। ये दशनामी संप्रदाय के नाम : गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन, अरण्य, तीर्थ और आश्रम। 7 अखाड़ों में से जूना अखाड़ा इनका खास अखाड़ा है।
 
किसी भी अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद सबसे ऊंचा होता है। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज हैं। वे ही पीठाधीश्वर/आचार्य महामंडलेश्वर हैं, जो अब तक एक लाख से अधिक सन्यासियों को दीक्षा दे चुके हैं। इस अखाड़े से तमाम देशी-विदेशी भक्त जुड़े हुए हैं जिसनी संख्या करोड़ों में हैं।
 
जूना अखाड़े में व्यवस्था की एक खास प्रणाली है। यह अखाड़ा एक पूरा समाज है जहां साधुओं के 52 परिवारों के सभी बड़े सदस्यों की एक कमेटी बनती है। ये सभी लोग अखाड़े के लिए सभापति का चुनाव करते हैं। एक बार चुनाव होने के बाद यह पद जीवनभर के लिए चुने हुए व्यक्तियों का हो जाता है। ये चुनाव कुंभ मेले के दौरान होते हैं। अखाड़े की चार मढ़ियां हैं। अखाड़ों की चारों मढ़ियों में महंत से लेकर अष्टकौशल महंत और कोतवाल तक नियुक्त किए जाते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

एकादशी विशेष : श्रीहरि विष्‍णु के विविध चमत्कारी मंत्र, यहां पढ़ें