Supreme Court ने Adani ग्रुप की कंपनी को दी गई जमीन वापस लेने के आदेश पर लगाई रोक

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
बुधवार, 10 जुलाई 2024 (17:54 IST)
Adani Group company gets relief from Supreme Court : उच्चतम न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर बुधवार को रोक लगा दी जिसमें राज्य सरकार से मुंद्रा बंदरगाह के पास 2005 में अडाणी समूह की कंपनी को दी गई लगभग 108 हेक्टेयर चारागाह भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा गया था।
 
न्याय के हित में इस आदेश पर रोक लगाना जरूरी : न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने ‘अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड’ की अपील पर गौर किया कि न्याय के हित में इस आदेश पर रोक लगाना जरूरी है। पीठ ने कहा, नोटिस जारी किया जाए। उक्त आदेश पर रोक लगाई जाए।
 
राज्य सरकार ने पांच जुलाई को उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि वह लगभग 108 हेक्टेयर ‘गौचर’ भूमि वापस लेगी जो अडाणी समूह की कंपनी को 2005 में दी गई थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, गुजरात राज्य के राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के हलफनामे पर गौर करते हुए हम संबंधित प्राधिकारी/ अधिकारियों से कानून के अनुरूप प्रक्रिया पूरी करने की अपेक्षा करते हैं।
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अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 जुलाई निर्धारित की थी। कच्छ जिले के नवीनल गांव के निवासियों ने अडाणी की कंपनी को 231 एकड़ ‘गौचर’ भूमि आवंटित करने के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी।
 
गांव में केवल 45 एकड़ चारागाह भूमि बची : हालांकि राज्य राजस्व विभाग ने 2005 में आवंटन किया था लेकिन ग्रामीणों को इसके बारे में 2010 में तब पता चला जब एपीएसईजेड ने उसे मिली ‘गौचर’ भूमि पर बाड़ लगानी शुरू की। स्थानीय निवासियों ने बताया कि एपीएसईजेड को 276 एकड़ में से 231 एकड़ भूमि आवंटित किए जाने के बाद गांव में केवल 45 एकड़ चारागाह भूमि बची।
 
2014 में जनहित याचिका का निपटारा कर दिया था : स्थानीय निवासियों ने कहा कि यह कदम अवैध है क्योंकि गांव में पहले से ही चारागाह भूमि की कमी है। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि यह भूमि सामुदायिक संसाधन है। उच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में जनहित याचिका का निपटारा कर दिया था जब राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि उपायुक्त ने चारागाह के लिए 387 हेक्टेयर अतिरिक्त सरकारी भूमि देने का आदेश पारित किया है।
 
हालांकि जब ऐसा नहीं हुआ तो उच्च न्यायालय में अवमानना ​​याचिका दायर की गई। राज्य सरकार ने 2015 में उच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर की जिसमें तर्क दिया गया कि पंचायत के आवंटन के लिए उपलब्ध भूमि केवल 17 हेक्टेयर है। इसके बाद राज्य सरकार ने शेष भूमि लगभग सात किलोमीटर दूर आवंटित करने का प्रस्ताव रखा लेकिन ग्रामीणों ने उसे स्वीकार नहीं किया।
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उनका कहना था कि मवेशियों के लिए इतनी दूर जाना संभव नहीं है। एक खंडपीठ ने अप्रैल 2024 में राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को समाधान निकालने का निर्देश दिया था। अतिरिक्त मुख्य सचिव ने पांच जुलाई को एक हलफनामा दाखिल करके पीठ को सूचित किया कि राज्य सरकार ने एपीएसईजेड को पूर्व में आवंटित लगभग 108 हेक्टेयर या 266 एकड़ ‘गौचर’ भूमि वापस लेने का फैसला किया है।
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राजस्व विभाग ने अदालत को सूचित किया कि राज्य सरकार गौचर के रूप में 129 हेक्टेयर भूमि की ‘पुन: पूर्ति’ करेगी और उसे गांव वालों को देगी और इसके लिए वह कुछ अपनी भूमि का इस्तेमाल करेगी तथा 108 हेक्टेयर अडाणी समूह की कंपनी से वापस ली जा रही है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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