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गुजरात पर तीखे तेवर, नंदीग्राम पर चुप्पी

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नई दिल्ली (भाषा) , शुक्रवार, 21 दिसंबर 2007 (19:07 IST)
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के बारे में ताजा खुलासे के मद्देनजर केन्द्र सरकार से जवाबदेही का सिद्धांत लागू करने को कहा है और माँग की कि साम्प्रदायिक घृणा तथा कट्टरता फैलाने वाले किसी व्यक्ति, संस्था या विचारधारा के खिलाफ कानून का इस्तेमाल बगैर भय या पक्षपात के किया जाए। हालाँकि नंदीग्राम हिंसा पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और प्रधानमंत्री डॉ. सिंह की चुप्पी आश्चर्यजनक में डालने वाली रही।

परमाणु करार का समर्थन : राजनीतिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को समाहित करने वाले प्रस्ताव में कांग्रेस ने अमेरिका के साथ परमाणु करार का पुरजोर समर्थन किया और कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय परमाणु बिरादरी से भारत का अलगाव खत्म होगा तथा भारत की पहुँच आधुनिकतम प्रौद्योगिकी तक हो सकेगी।

पार्टी ने यह भी कहा कि उसे इसमें कोई शक नहीं है कि परमाणु करार भारत के मूल सामरिक हितों की हर तरह से रक्षा करता है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की एक दिवसीय बैठक में यहाँ इस मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है।

इसमें कहा गया एआईसीसी हर तरह की फिरकापरस्ती से लड़ने की कांग्रेस की पक्की प्रतिबद्धता दोहराती है। यह कांग्रेस की हमेशा से प्राथमिकता रही है, लेकिन अब इसकी अहमियत तथा जरूरत और बढ़ गई है। सांप्रदायिक घृणा और कट्टरता फैलाने वाले तथा धार्मिक उन्माद और पूर्वाग्रह भड़काने वाले किसी भी व्यक्ति संस्था या विचारधारा के खिलाफ कानून का इस्तेमाल बगैर भय या पक्षपात के करना चाहिए।

कांग्रेस ने कहा कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों और उसके कई वीभत्स विवरणों के मीडिया द्वारा किए गए हालिया खुलासे ने सभी को झकझोर दिया है।

पार्टी ने कहा सर्वाधिक निंदनीय तथ्य यह है कि शांतिप्रिय नागरिकों के जानमाल की रक्षा की कानूनी और संवैधानिक जिम्मेदारी जिन पर थी वे ही इन अत्याचारों के षड्यंत्रकारी बन गए और इन्हें अंजाम दिया।

पोटा हटाने का बचाव : प्रस्ताव में कहा गया एआईसीसी का यह महाधिवेशन इन घटनाओं की स्पष्ट रूप से निंदा करता है और सरकार से जवाबदेही का सिद्धांत लागू करने की माँग करता है, जो लोकतांत्रिक शासन की जान है। इसमें कहा गया कि पोटा हटाए जाने से आतंकवाद से निबटने का कानूनी ढाँचा किसी भी तरह कमजोर नहीं हुआ है।

प्रस्ताव में कहा गया कि विभिन्न शहरों और कस्बों में आतंकवादी हमले होना दुखद है। इसमें कहा गया कि हताशा और संत्रास के समय में सांप्रदायिक सद्भाव कायम रखने में इस बात से भी मदद मिली कि केन्द्र में ऐसी सरकार है, जो समाज का ध्रुवीकरण नहीं चाहती है तथा ऐसे हमलों से राजनीतिक लाभ लेने की उसकी कोई भेदभावपरक मंशा नहीं है।

परमाणु मुद्दे पर प्रस्ताव में कहा गया कि आत्मनिर्भरता की समूची रूपरेखा के दायरे में अपनी शर्तों पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग बनाए रखना भारत के परमाणु कार्यक्रम का मूल सिद्धांत रहा है और यह जवाहरलाल नेहरू की मूल्यवान वसीयत है।

प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी ऐसी विदेश नीति में विश्वास करती है जो भारत के हितों को बढ़ावा दे। विदेश नीति को साम्प्रदायिक कलेवर देने की कुछ राजनीतिक दलों की कोशिशों की प्रस्ताव में निंदा की गई।

गठबंधन के बारे में प्रस्ताव में यह माना गया कि कांग्रेस को केन्द्र में गठबंधन से तालमेल बैठाना पड़ेगा और इसके अनुरूप खुद को ढालना पड़ेगा। इसमें हालाँकि कहा गया कि एआईसीसी की साफ राय है कि ऐसा गठबंधन खुद कांग्रेस के पुनर्जीवन की कीमत पर नहीं हो सकता है। खासतौर से उन राज्यों में जहाँ इसका आधार घटा है। दीर्घकालिक तौर पर अपने दम पर सत्ता में आने की क्षमता वाली कांग्रेस का कोई विकल्प नहीं है।

विदेश नीति : प्रस्ताव में कहा गया कि बड़ी ताकतों के बीच प्रतिस्पर्धा और सहयोग तथा विकासशील देशों के लिए खतरे और अवसरों के इस अंतरराष्ट्रीय माहौल में कांग्रेस नीत सरकार ने दुनिया में भारत को एक विशिष्ट स्थान पर एक बार फिर स्थापित किया है। प्रस्ताव में कहा गया भारत की आजाद विदेश नीति जारी रखने में कांग्रेस को किसी और से कोई सबक सीखने की जरूरत नहीं है।

एआईसीसी ने कुछ राज्यों में नक्सली हिंसा जारी रहने पर चिंता जताई और कहा कि इससे निबटने की रणनीति में आदिवासी इलाकों में प्रशासन में दृष्टिगोचर सुधार तथा जमीन से जुड़े मुद्दों में जनसहभागिता को जरूरी तौर पर शामिल किया जाना चाहिए।

कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री को जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार का सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के लिए धन्यवाद भी दिया और प्रगतिशील तथा राष्ट्रवादी शक्तियों से गठबंधन का साथ देने की अपील की।

आतंकवादी और उग्रवादी गतिविधियों के चंगुल में फँसे देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बारे में कांग्रेस ने कहा कि संवाद किया जाना चाहिए, लेकिन उग्रवादियों की ओर से पेश की गई चुनौती से सख्ती से निबटा जाए।

सच्चर समिति के गठन का स्वागत : अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए खासतौर से शिक्षा के क्षेत्र में उठाए गए विभिन्न कदमों के लिए सरकार को धन्यवाद देते हुए प्रस्ताव में कहा गया कि सच्चर समिति का गठन स्वागत योग्य है, जो अतीत में उठाए गए कदमों के क्रम में नवीनतम कड़ी है।

प्रस्ताव में केन्द्र सरकार से सच्चर समिति की सिफारिशें लागू करने के समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा करने की अपील की गई। पार्टी ने राष्ट्रीय पुनर्वास नीति 2007 के ऐलान का स्वागत किया और सरकार से इस नीति के अनुसार शीघ्रता से कानून बनाने तथा भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में उपयुक्त बदलाव करने को कहा। कांग्रेस ने सरकार से आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से देश में भूमि सुधार का दूसरा चरण शुरू करने का अनुरोध किया।

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