गुजरात में भाजपा भले ही खुलकर इस बात को स्वीकार नहीं कर रही है, लेकिन उसे एंटी इनकंबेंसी डर अंदर-अंदर ही सता रहा है। यही कारण है कि चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री समेत पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया गया। माना जा रहा है कि विजय रूपाणी एवं उनके मंत्रिमंडल के ज्यादातर सदस्यों के टिकट कट सकते हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि राजकोट पश्चिम सीट से विधायक विजय रूपाणी ने खुद अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। उन्होंने इस बार अपने समर्थक का नाम इस सीट से आगे बढ़ाया है।
सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए भाजपा नए चेहरों पर दांव लगाने का मन बना चुकी है। बताया जा रहा है कि जिन पूर्व मंत्रियों और विधायकों का टिकट कटने जा रहा है कि उनकी संख्या 3 दर्जन से भी ज्यादा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि पाटीदार नेता और राज्य के डिप्टी सीएम रहे नितिन पटेल को भी इस बार टिकट नहीं मिलेगा।
दरअसल, जिस समय आनंदी बेन पटेल को हटाकर विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, उस समय नितिन पटेल ने इसका विरोध किया था। क्योंकि वे भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ शामिल थे। हालांकि पाटीदारों को खुश करने के लिए उस समय नितिन पटेल को भाजपा द्वारा मजूबरी में डिप्टी सीएम बनाया गया था। चूंकि वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल उसी समुदाय से आते हैं, ऐसे में भाजपा को नितिन पटेल की अब उतनी जरूरत नहीं रही।
इस बीच, भाजपा ने करीब 100 सीटों पर 3-3 उम्मीदवारों के पैनल बनाए हैं। इनमें से किसी एक का टिकट फाइनल किया जाएगा। 27 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा को कहीं न कहीं एंटी इनकंबेंसी का डर सता रहे हैं। इसी के चलते आगामी विधानसभा में कई पुराने चेहरे नजर नहीं आएंगे।
गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को पिछली बार 99 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें हासिल कर तुलनात्मक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी ने त्रिकोणीय मुकाबला बनाकर चुनाव को रोचक बना दिया है। आप जिस भी दल के वोट काटेगी उसको नुकसान होना तय है। हालांकि माना यह जा रहा है कि आप कांग्रेस को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे में भाजपा की एक बार सत्ता में वापसी तय मानी जा रही है। ओपिनियन पोल का रुझान भी कुछ यही कह रहा है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala