World Music Day 2024 : 21 जून को विश्व संगीत दिवस पर जानें भारतीय संगीत के प्रकार
जानें भारतीय संगीत के स्वर और प्रकार के बारे में, भारतीय संगीतकारों का रहा है ये योगदान
World Music Day 2024 : विश्व संगीत दिवस, हर साल 21 जून को मनाया जाता है, एक ऐसा दिन है जो संगीत के जादू और इसकी दुनिया भर में सांस्कृतिक विविधता को मनाता है। यह दिन संगीतकारों, श्रोताओं और सभी के लिए एक उत्सव है जो संगीत की शक्ति को समझते हैं। चाहे वह शास्त्रीय संगीत हो, लोक संगीत, पॉप, या कोई अन्य शैली, संगीत हमें जोड़ता है, भावनाओं को व्यक्त करता है, और जीवन को समृद्ध बनाता है।
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विश्व संगीत दिवस संगीत के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों को एक साथ लाने का एक अवसर है। यह हमें विभिन्न संगीत शैलियों का पता लगाने, नए कलाकारों की खोज करने, और संगीत की दुनिया में डूबने का मौका देता है। इस दिन, हम संगीत की शक्ति को याद करते हैं, जो भाषाओं, संस्कृतियों और सीमाओं से परे जाती है, और हमें एक साथ लाती है। आइए जानते हैं इसके प्रकार और स्वर के बारे में.....
भारतीय संगीत
भारतीय संगीत प्राचीनकाल से ही सुना जाता रहा है। इस संगीत का मूल स्रोत वेदों को माना जाता है। हिन्दू परंपरानुसार ब्रह्मा ने नारद मुनि को संगीत वरदान स्वरूप दिया था।
संगीत के स्वर
भारतीय संगीत के सात शुद्ध स्वर होते हैं। ये हैं- षड्ज (सा), ऋषभ (रे), गंधार (ग), मध्यम (म), पंचम (प), धैवत (ध), निषाद (नी)।
इन सात स्वरों के तालमेल से संगीत की रचना होती है। संगीत बिन जग सूना अगर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इससे सुनने से मन-मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
तीन प्रकार
भारतीय संगीत को हम तीन भागों में बांट सकते हैं। ये हैं- शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत। इनमें से भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो प्रमुख पद्धतियां हिन्दुस्तानी संगीत और कर्नाटक संगीत हैं।
उपशास्त्रीय संगीत में ठुमरी, टप्पा, डोरी, कजरी आदि आते हैं। सुगम संगीत में भजन, भारतीय फिल्म संगीत, ग़ज़ल, भारतीय पॉप संगीत, लोक संगीत आदि आते हैं।
भारतीय संगीतकारों का योगदान
भारतीय संगीत को समुन्नत करने में संगीतकारों का अमूल्य योगदान रहा है। इनमें से इनके नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, जैसे नौशाद, शंकर-जयकिशन, रवि, मदनमोहन, सी. रामचन्द्र, खय्याम, एआर रहमान, अनिल बिश्वास, रोशन आदि। इनके अलावा भी अनेक नामीगिरामी तथा गुमनाम संगीतकारों ने भारतीय संगीत को समुन्नत किया है। यह परंपरा आज भी जारी है।
भारतीय संगीत तो अनमोल खजाना है। इसमें जितना डूबा जाए उतना ही कम है। इस रस का रसास्वादन करने हेतु सिर्फ अपने कानों को मांजना भर होता है। संगीत में जो जितना डूबता है वह उतना ही रसास्वादन करता है।