केंद्र में सत्ता की चाबी है वलसाड

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अहमदाबाद। या तो यह एक बड़ा संयोग है या आंकड़ों का खेल लेकिन दक्षिण गुजरात के वलसाड लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास को अगर देखें तो पता चलता है कि जिस भी राजनीतिक दल ने यह सीट जीती है केंद्र में उसी की सरकार बनी है।

गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में से एक वलसाड इस संयोग की वजह से राजनीतिक दलों में शुभ और बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। स्थानीय नेताओं को लगता है कि इस सीट पर जीत दिल्ली में सत्ता की राह बनाती है।

पिछले रिकॉर्ड से यह बात पुख्ता होती है। 1996 में भाजपा ने पहली बार यह सीट जीती थी, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी। हालांकि सरकार केवल 13 दिन ही चल पाई।

वाजपेयी दोबारा 1998 और फिर 1999 में प्रधानमंत्री बने। दोनों ही बार लोकसभा चुनावों में भाजपा ने वलसाड सीट पर जीत दर्ज की।

इसके बाद 2004 के 14 वें लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीन ली और तब केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार का गठन हुआ। इस सीट से कांग्रेस के किशन पटेल ने चुनाव जीता था। 2009 के 15 वें लोकसभा चुनावों में निवर्तमान सांसद पटेल दोबारा सीट से निर्वाचित हुए और केंद्र में दोबारा कांग्रेस की सरकार बनी।

सीट के साथ जुड़े इस संयोग को देखते हुए भाजपा ने इस बार गुजरात के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. केसी पटेल को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने दो बार के सांसद किशन पटेल को एक बार फिर टिकट दिया है।

1977 के बाद से हुए 10 आम चुनावों में कांग्रेस ने पांच बार वलसाड सीट जीती, भाजपा तीन बार यहां विजयी रही जबकि दो बार सीट अन्य दल के उम्मीदवारों के खाते में गई।

दिलचस्प संयोग है कि जब भी अन्य दल ने वलसाड सीट पर जीत दर्ज की, केंद्र में गैर कांग्रेस, गैर भाजपा गठबंधन सरकार बनी। 1977 में जब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता दल की सरकार का गठन हुआ तब जनता दल का उम्मीदवार सीट पर विजयी हुआ था।

वलसाड लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं की संख्या 14.95 लाख है जिनमें धोदिया समुदाय के 3.68 लाख मतदाता, कोनकाना के 2.27 लाख, वरली के 1.89 लाख, कोली समुदाय के 1 लाख, अन्य पिछड़ा वर्ग के 1 लाख, हलपति के 65 हजार, मछुआरे 45,000, मुस्लिम 55,000 और भील मतदाताओं की संख्या 30,000 है। इस लोकसभा चुनाव में सीट से 10 उम्मीदवार खड़े हैं।

भाजपा उम्मीदवार केसी पटेल को लगता है कि केंद्र सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की वजह से वह सीट जीत जाएंगे। पटेल ने कहा कि उन्होंने नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए इस ‘भाग्यशाली’ सीट को जीतने के लिए अपनी ओर से पुरजोर कोशिशें की है।

वही कांग्रेसी उम्मीदवार किशन पटेल के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि हम सीट बरकरार रखने के लिए 24 घंटे मेहनत कर रहे हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि हम केंद्र में सरकार का गठन करेंगे। राजनीतिक टिप्पणीकार दिनेश शुक्ला राजनीतिक आंकड़ों के लिहाज से इस सीट के ‘भाग्यशाली’ कारक को केवल एक संयोग की तरह देखते हैं।

उन्होंने कहा कि पार्टियां भले ही भाग्य में विश्वास करे लेकिन जहां तक वलसाड के उदाहरण का संबंध है, यह महज एक संयोग है। वलसाड के साथ कोई विशिष्ट बात नहीं जुड़ी है जिससे इस विशेष परंपरा की शुरुआत हुई। (भाषा)

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