गंगा दशहरा : पूर्वजों का उद्धार करने के लिए भगीरथ गंगा को पृथ्वी पर ले आए, जानिए पौराणिक कथा

Webdunia
गुरुवार, 9 जून 2022 (11:37 IST)
ब्रह्मा से लगभग 23वीं पीढ़ी बाद और राम से लगभग 14वीं पीढ़ी पूर्व भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था। इससे पहले उनके पूर्वज सगर ने भारत में कई नदी और जलराशियों का निर्माण किया था। उन्हीं के कार्य को भगीरथ ने आगे बढ़ाया। पहले हिमालय के एक क्षेत्र विशेष को देवलोक कहा जाता था।
 
 
पूर्वजों का उद्धार क्यां करना पड़ा : इक्ष्वाकु वंश के राजा सगर की 2 रानियां थीं- केशिनी और सुमति। जब दीर्घकाल तक दोनों पत्नियों को कोई संतान नहीं हुई तो राजा अपनी दोनों रानियों के साथ हिमालय पर्वत पर जाकर पुत्र कामना से तपस्या करने लगे। तब ब्रह्मा के पुत्र महर्षि भृगु ने उन्हें वरदान दिया कि एक रानी को 60 हजार अभिमानी पुत्र प्राप्त तथा दूसरी से एक वंशधर पुत्र होगा। वंशधर अर्थात जिससे आगे वंश चलेगा। बाद में रानी सुमति ने तूंबी के आकार के एक गर्भ-पिंड को जन्म दिया। वह सिर्फ एक बेजान पिंड था। राजा सगर निराश होकर उसे फेंकने लगे, तभी आकाशवाणी हुई- 'सावधान राजा! इस तूंबी में 60 हजार बीज हैं। घी से भरे एक-एक मटके में एक-एक बीज सुरक्षित रखने पर कालांतर में 60 हजार पुत्र प्राप्त होंगे।' राजा सागर ने इस आकाशवाणी को सुनकर इसे विधाता का विधान मानकर वैसे ही सुरक्षित रख लिया जैसा कहा गया था। समय आने पर उन मटकों से 60 हजार पुत्र उत्पन्न हुए। जब राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ किया तो उन्होंने अपने 60 हजार पुत्रों को उस घोड़े की सुरक्षा में नियुक्त किया। देवराज इंद्र ने उस घोड़े को छलपूर्वक चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। राजा सगर के 60 हजार पुत्र उस घोड़े को ढूंढते-ढूंढते जब कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे तो उन्हें लगा कि मुनि ने ही यज्ञ का घोड़ा चुराया है। यह सोचकर उन्होंने कपिल मुनि का अपमान कर दिया। ध्यानमग्न कपिल मुनि ने जैसे ही अपनी आंखें खोली, राजा सगर के 60 हजार पुत्र वहीं भस्म हो गए।
 
राजा सगर के एक और पुत्र अंशुमान थे और जब उनको इस बात का पता चला तो उन्होंने कपिल मुनि से अपने भाइयों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए प्रार्थना की। तब कपिल मुनि ने उन्हें बताया कि अगर पवित्र गंगा का जल भस्म हुए सगर पुत्रों पर छिड़क दिया जाए तो उन्हें मुक्ति मिल जाएगी। अंशुमान ने बहुत प्रयास किए परंतु वो अपने भाइयों के लिए गंगा का जल नहीं ला पाए और न ही कपिल मुनि के कोप से मुक्त नहीं पाए। तब बाद में उन्हीं के वंश में उनके पोते राजा भगीरथ हुए जिन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा को धरती पर लाने और अपने पूर्वजों का उद्धार करने के लिए घोर तप किया। 
भागीरथ का तप रहा सफल : उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने- 'राजन! तुम गंगा का पृथ्वी पर अवतरण तो चाहते हो? परंतु क्या तुमने पृथ्वी से पूछा है कि वह गंगा के भार तथा वेग को संभाल पाएगी? मेरा विचार है कि गंगा के वेग को संभालने की शक्ति केवल भगवान शंकर में है। इसलिए उचित यह होगा कि गंगा का भार एवं वेग संभालने के लिए भगवान शिव का अनुग्रह प्राप्त कर लिया जाए।'
 
महाराज भगीरथ ने वैसे ही किया। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा। तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं। बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर दिया। गंगा को विष्णुपदी भी कहा जाता है क्योंकि ब्रह्माजी ने श्रीहरि विष्णु के चरण कमल धोये और उसका जल अपने कमंडल में रख लिया था।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Job and business Horoscope 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों के लिए करियर और पेशा का वार्षिक राशिफल

मार्गशीर्ष माह की अमावस्या का महत्व, इस दिन क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए?

क्या आप नहीं कर पाते अपने गुस्से पर काबू, ये रत्न धारण करने से मिलेगा चिंता और तनाव से छुटकारा

Solar eclipse 2025:वर्ष 2025 में कब लगेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कहां नजर आएगा और कहां नहीं

सभी देखें

धर्म संसार

27 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

27 नवंबर 2024, बुधवार के शुभ मुहूर्त

Family Life rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की गृहस्थी का हाल, जानिए उपाय के साथ

Health rashifal 2025: वर्ष 2025 में 12 राशियों की सेहत का हाल, जानिए उपाय के साथ

मार्गशीर्ष माह के हिंदू व्रत और त्योहारों की लिस्ट

अगला लेख
More