दुर्भाग्य दूर करने के लिए पूजें क्षिप्रप्रसाद गणपति
अलग-अलग शक्तियों के गणपति भी अलग-अलग हैं, जैसे बगलामुखी के हरिद्रा गणपति, दुर्गा के वक्रतुंड, श्री विद्या ललिता त्रिपुर सुंदरी के क्षिप्रप्रसाद गणपति हैं। इनके बिना श्री विद्या अधूरी है। जो साधक श्री साधना करते हैं उन्हें सर्वप्रथम इनकी साधना कर इन्हें प्रसन्न करना चाहिए।
कामदेव की भस्म से उत्पन्न दैत्य से श्री ललितादेवी के युद्ध के समय देवी एवं सेना के सम्मोहित होने पर इन्होंने ही उसका वध किया था। इनकी उपासना से विघ्न, आलस्य, कलह़, दुर्भाग्य दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।अगले पेज पर पढ़ें मंत्र -
मंत्रगं क्षिप्रप्रसादनाय नम:। नोट : (नमस्कार मंत्र साधारणतया अनिष्ट फल नहीं देते यानी जिनमें अंत में नम: लगा हो।) विनियोग करते समय हाथ में जल लेकर पढ़ें तथा जल छोड़ दें।विनियोग :ॐ अस्य श्री क्षिप्रप्रसाद गणपति मंत्रस्य श्री गणक ऋषि:, विराट् छन्द:, श्री क्षिप्रप्रसादनाय गणपति देवता, गं बीजं, आं शक्ति: सर्वाभीष्ट सिद्धयर्थे जपे विनियोग:।करन्यास------------------- अंग न्यासॐ गं अंगुष्ठाभ्यां नम: -------------------हृदयाय नम:ॐ गं तर्जनीभ्यां नम:-------------------शिरसे स्वाहाॐ गं मध्यमाभ्यां नम: -------------------शिखायै वषट्ॐ गं अनामिकाभ्यां नम:-------------------कवचाय हुम्ॐ गं कनिष्ठिकाभ्यां नम:-------------------नैत्रत्रयाय वौषट्ॐ गं करतलकरपृष्ठाभ्यां नम:-------------------अस्त्राय फट्निर्दिष्ट स्थानों पर अंगुलियों से स्पर्श करें।अगले पेज पर : कैसे करें ध्यान
ध्यान रक्त वर्ण, पाश, अंकुश, कल्पलता हाथ में लिए वरमुद्रा देते हुए, शुण्डाग्र में बीजापुर लिए हुए, तीन नेत्र वाले, उज्ज्वल हार इत्यादि आभूषणों से सज्जित, हस्ति मुख गणेश का मैं ध्यान करता हूं।