श्री गणेश चतुर्थी, महाभारत और वेद व्यास का क्या है कनेक्शन, जानिए पौराणिक तथ्य

Webdunia
गुरुवार, 25 अगस्त 2022 (15:07 IST)
31 अगस्त को गणेश स्थापना होगी और गणेशोत्सव पर्व मनाया जाएगा। भाद्रपद के शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेशजी का जन्म हुआ था। गणेशजी सतयुग में, त्रेतायुग में और द्वापर युग में भी थे। द्वापर में उन्होंने प्रकट होकर वेद व्यासजी के कहने पर महाभारत लिखी थी। आओ जानते हैं इस संबंध में संपूर्ण इतिहास।
 
द्वापर में गणेशजी का अवतार : द्वापर युग में गणपति ने पुन: पार्वती के गर्भ से जन्म लिया व गणेश कहलाए। परंतु गणेशजी के जन्म के बाद किसी कारणवश पार्वती ने उन्हें जंगल में छोड़ दिया, जहां पर पराशर मुनि ने उनका पालन-पोषण किया। वेद व्यासजी के पिता थे पराशर मुनि। ऐसा भी कहा जाता है कि वे महिष्मति वरेण्य के पुत्र थे। कुरुप होने के कारण उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया था।
यह भी कहा जाता है कि कहते हैं कि द्वापर युग में वे ऋषि पराशर के यहां गजमुख नाम से जन्मे थे। गजमुख नाम के राक्षस को मारने के कारण उनका ये नाम रखा गया जान पड़ता है। उनका वाहन मूषक था, जो कि अपने पूर्व जन्म में एक गंधर्व था। इस गंधर्व ने सौभरि ऋषि की पत्नी पर कुदृष्टि डाली थी जिसके चलते इसको मूषक योनि में रहने का श्राप मिला था। इस मूषक का नाम डिंक है।
 
द्वापर में सिंदुरासुर का किया था वध : द्वापर युग में गणेशजी मूषक पर सवार होकर प्रकट हुए थे। द्वापर युग में उनका वर्ण लाल है। वे चार भुजाओं वाले और मूषक वाहन वाले हैं तथा गजानन नाम से प्रसिद्ध हैं। कहते हैं कि द्वापर के इस अवतार में गणेश ने सिंदुरासुर का वध कर उसके द्वारा कैद किए अनेक राजाओं व वीरों को मुक्त कराया था। इसी अवतार में गणेश ने वरेण्य नामक अपने भक्त को गणेश गीता के रूप में शाश्वत तत्व ज्ञान का उपदेश दिया।
प्रथम लेखक : गणेशजी को पौराणिक पत्रकार या लेखक भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने ही 'महाभारत' का लेखन किया था। इस ग्रंथ के रचयिता तो वेदव्यास थे, परंतु इसे लिखने का दायित्व गणेशजी को दिया गया। इसे लिखने के लिए गणेशजी ने शर्त रखी कि उनकी लेखनी बीच में न रुके। इसके लिए वेदव्यास ने उनसे कहा कि वे हर श्लोक को समझने के बाद ही लिखें। श्लोक का अर्थ समझने में गणेशजी को थोड़ा समय लगता था और उसी दौरान वेदव्यासजी अपने कुछ जरूरी कार्य पूर्ण कर लेते थे।

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

तुलसी विवाह देव उठनी एकादशी के दिन या कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन करते हैं?

Shani margi 2024: शनि के कुंभ राशि में मार्गी होने से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान?

आंवला नवमी कब है, क्या करते हैं इस दिन? महत्व और पूजा का मुहूर्त

Tulsi vivah 2024: देवउठनी एकादशी पर तुलसी के साथ शालिग्राम का विवाह क्यों करते हैं?

Dev uthani ekadashi 2024: देवउठनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये 11 काम, वरना पछ्ताएंगे

सभी देखें

धर्म संसार

Saptahik Muhurat 2024: नए सप्ताह के सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त, जानें साप्ताहिक पंचांग 11 से 17 नवंबर

Aaj Ka Rashifal: किन राशियों के लिए उत्साहवर्धक रहेगा आज का दिन, पढ़ें 10 नवंबर का राशिफल

MahaKumbh : प्रयागराज महाकुंभ में तैनात किए जाएंगे 10000 सफाईकर्मी

10 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

10 नवंबर 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

अगला लेख
More